हस्तिनापुर सियासत के 'श्राप' से मुक्त, राष्ट्रीय पुरातात्विक साइट के रूप में होगा विकसित
Budget 2020 योगी आदित्यनाथ सरकार इसकी पैरोकार बनी और सियासत के श्राप से मुक्त हुए हस्तिनापुर के लिए उम्मीदों की निर्मल धारा फूट पड़ी है।
लखनऊ [जितेंद्र शर्मा]। विश्व भर में धर्म-अधर्म के 'महाभारत' की गवाह रही हस्तिनापुर की धरती के साथ भेदभाव का अधर्म क्यों हुआ? यह समझ से परे है। ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व का खजाना समेटे यह विरासत खंडहर होती गई, वजूद खतरे में आ गया।
'धृतराष्ट्र' की भूमिका में रहीं बसपा और सपा सरकार ने राज्य योजनाओं के बजट से फूटी कौड़ी इसके संवर्धन को न दी। अंतत: अब योगी आदित्यनाथ सरकार इसकी पैरोकार बनी और सियासत के 'श्राप' से मुक्त हुए हस्तिनापुर के लिए उम्मीदों की निर्मल धारा फूट पड़ी है।
'यूपी नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा...।' यह दंभ खोखला नहीं है। उत्तर प्रदेश की धरती का हर कोना ऐतिहासिक स्थल और धरोहरों से भरा पड़ा है। आगरा, फतेहपुर सीकरी, काशी, प्रयागराज, मथुरा-वृंदावन, नैमिषारण्य, चित्रकूट आदि ही नहीं, इसके अलावा भी बहुत कुछ है। ऐसा ही एक अभागा महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है पश्चिमी उत्तर प्रदेश में स्थित हस्तिनापुर। मेरठ से करीब 37 और दिल्ली से लगभग सौ किलोमीटर दूर स्थित महाभारतकालीन यह स्थल एक बार फिर चर्चा में है, क्योंकि नरेंद्र मोदी सरकार ने देश के जिन पांच स्थलों को राष्ट्रीय पुरातात्विक साइट के रूप में विकसित करने के लिए चुना है, उनमें हस्तिनापुर भी है। यहां राष्ट्रीय संग्रहालय भी बनाया जाना है।
यहां का विकास होगा तो पर्यटकों की आमद बढ़ेगी। उनके देखने के लिए यहां बहुत कुछ है। जैसे पांडव टीला, जो रखरखाव के अभाव में बदहाल हो चुका है। कर्ण मंदिर की कोई सुधि नहीं ली गई। द्रोपदी घाट, विदुर टीला, द्रोणादेश्वर मंदिर और पांडवेश्वर मंदिर कहानी सुनाते हैं अपने महत्व की और उपेक्षा की भी। हैरत की बात है कि इतिहासकार जिस स्थल का वजूद करीब तीन हजार वर्ष पुराना मानते हैं, उसके विकास के लिए बहुजन समाज पार्टी की मायावती सरकार या समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार ने अपनी पर्यटन राज्य योजनाओं में एक पैसा भी नहीं दिया। धार्मिक- सांस्कृतिक पर्यटन पर जब योगी आदित्यनाथ सरकार ने काम शुरू किया, तब इसके लिए योजनाओं का खाका खींचा गया। केंद्र सरकार से भी पैरोकारी की गई, जिसका परिणाम सामने है।
सबका साथ, सबका विकास को भी बल
नरेंद्र मोदी सरकार के सबका साथ, सबका विकास के संदेश को भी यहां के विकास से आधार मिलेगा। हस्तिनापुर स्थित जंबूद्वीप मंदिर, श्वेतांबर जैन मंदिर, प्राचीन दिगंबर जैन, अष्टापद जैन मंदिर से जैन धर्म के अनुयायियों की आस्था जुड़ी है तो पंज प्यारे भाई धरम सिंह की जन्मस्थली होने के कारण सिख भी यहां आते हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में संस्कृति, पुरातत्व और पर्यटन को भी महत्व दिया है। संस्कृति मंत्रालय के लिए 3150 करोड़ रुपए और पर्यटन विकास के लिए 2500 करोड़ रुपए के बजट का प्रस्ताव रखा गया है। इस बजट का एक बड़ा हिस्सा 5 पुरातात्विक स्थानों को आइकोनिक बनाने में खर्च किया जाएगा। इन पांच स्थान में हरियाणा के राखीगढ़ी, असम के शिवसागर, गुजरात के धोलावीरा और तमिलनाडु के आदिचेन्नलूर के साथ उत्तर प्रदेश का हस्तिनापुर भी शामिल है। यहां सड़क और रेल यातायात के साथ पर्यटन सुविधाएं भी विकसित की जाएंगी।
मेरठ जिले में हस्तिनापुर नगर है। यह महाभारत कालीन शहर है, जो कुरु वंश के राजाओं की राजधानी थी। हिंदू इतिहास में हस्तिनापुर के लिए पहला संदर्भ सम्राट भरत की राजधानी के रूप में आता है। महा काव्य महाभारत में बताई गई घटनाएं हस्तिनापुर की ही हैं। बाबर ने भारत पर आक्रमण के दौरान हस्तिनापुर पर हमला किया था और यहां के मंदिरों पर तोपों से बमबारी की थी। मुगल काल में हस्तिनापुर पर गुर्जर राजा नैन सिंह का शासन था, जिसने हस्तिनापुर और इसके चारों ओर कई मंदिरों का निर्माण किया।
उपेक्षा से कई दर्शनीय स्थल बदहाल
प्रदेश के पयर्टन एवं संंस्कृति मंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी ने कहा कि पिछली सरकारों द्वारा की गई उपेक्षा से कई स्थलों की ऐसी दशा हुई, जिनके विकास के लिए लगातार काम चल रहा है। हस्तिनापुर के लिए राज्य सरकार ने भी योजनाएं बनाई हैं। अब बजट में घोषणा हो गई।