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शरई अदालत का नाम मीडिएशन सेंटर होना चाहिए : फरहा फैज

तीन तलाक, हलाला व बहुविवाह का पुरजोर विरोध करते हुए देश में अन्य धर्मों की तरह मुस्लिम मैरिज एक्ट की वकालत की।

By Ashish MishraEdited By: Published: Tue, 04 Sep 2018 02:06 PM (IST)Updated: Tue, 04 Sep 2018 02:06 PM (IST)
शरई अदालत का नाम मीडिएशन सेंटर होना चाहिए : फरहा फैज
शरई अदालत का नाम मीडिएशन सेंटर होना चाहिए : फरहा फैज

सहारनपुर (जेएनएन)। तीन तलाक व हलाला के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहीं सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता फरहा फैज सोमवार को एक बार फिर देवबंद पहुंचीं। उन्होंने तीन तलाक, हलाला व बहुविवाह का पुरजोर विरोध करते हुए देश में अन्य धर्मों की तरह मुस्लिम मैरिज एक्ट की वकालत की। शरई अदालत (दारुल कजा) पर कहा कि उन्हें इसके काम से नहीं, बल्कि नाम पर आपत्ति है।

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सोमवार को फरहा फैज ने पत्रकारों से बातचीत में शरई अदालतों के गठन पर कहा कि एक संविधान और एक देश में दो अदालतें नहीं हो सकतीं, इसलिए दारुल कजा के काम के मुताबिक इसका नाम शरई अदालत के बजाय मीडिएशन सेंटर होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि मुसलमान बच्चे मदरसों तक सीमित रहने के बजाय उच्च शिक्षित होकर मुख्य धारा से जुड़ें। उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर देश में ऐसा विश्वविद्यालय स्थापित करने की जरूरत बताई है, जहां धार्मिक व आधुनिक दोनों शिक्षा एक साथ दी जा सके।

बार-बार भाजपाइयों के बीच आकर अपनी बात कहने के पत्रकारों के सवाल पर बोलीं, राजनीति में आने का उनका कोई इरादा नहीं है। वह महिलाओं के हक की लड़ाई पूरी ताकत से लड़ती रहेंगी।  


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