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Muharram 2020: मौलाना कल्बे जवाद- रसूल अल्लाह की औलादों की कुर्बानी का महीना है मुहर्रम

Muharram 2020 शारीरिक दूरी के साथ तीसरी मुहर्रम पर जारी रहा मजलिसों का सिलसिला। राजधानी समेत प्रदेश के हर जिले में घरों में अजादारी शुरू हो गई।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Mon, 24 Aug 2020 09:01 AM (IST)Updated: Mon, 24 Aug 2020 09:01 AM (IST)
Muharram 2020: मौलाना कल्बे जवाद- रसूल अल्लाह की औलादों की कुर्बानी का महीना है मुहर्रम

लखनऊ, जेएनएन। Muharram 2020: मुहर्रम के तीसरे दिन रविवार को घरों में अजादारों ने ऑनलाइन मजलिस सुनी तो मौलानाओं ने इमाबाड़े में कोराेना संक्रमण की गाइडलाइन के अनुसार मजलिस को खिताब किया। कोरोना के संक्रमण की वजह से बदले अंदाज में अजादार पैगंबर ए इस्लाम के नवासे हजरत इमाम हुसैन अलेहिस्सलाम का गम मना रहे हैं। पुराने शहर में कई जगह शारीरिक दूरी के साथ अशरा-ए- मजलिस का सिलसिला जारी रहा।

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इमाम ए जुमा मौलाना सैयद कल्बे जवाद ने चौक स्थित इमामबाड़ा गुफरानमआब में ऑनलाइन हो रही अशरे की तीसरी मजलिस को खिताब किया। मौलाना ने कहा कि जो भी इंसान मुहर्रम की मुबारकबाद दे वो यजीदी नस्ल से है। क्योंकि मुहर्रम रसूल अल्लाह की औलादों की कुर्बानी का महीना है। कर्बला के बाद इंसान दो हिस्सों में बट गया। एक हुसैनी जो इंसानियत पंसद हैं दूसरा यजीदी। जो आजतक अजादारी के खिलाफ है और मुहर्रम का चांद नजर आने के खुशी का इजहार कर मुबारकबाद देता है। 

कुछ लोग मुहर्रम में कर्बला के शहीदों की याद में रोने वालों पर सवाल खड़े करते हैं लेकिन वह यह भूल जाते हैं कि रसूल ने भी जनाबे हमजा की वफात पर आंसू बहाए थे। जनाबे हमजा का गम रसूल का गम था। अजादारों ने नम आंखों से इमाम को पुरसा पेश किया।चौक स्थित इमामबाड़ा आगाबाकर में मौलाना मीसम जैदी ने मजलिस को खिताब किया। मौलाना ने तहफ्फुजे जिक्र के उनवान से तीसरी मजलिस को खिताब करते हुए कहा कि अल्लाह ने कुरआन को जिब्राईल के वसीले से नाजिल किया। इसपर सभी मुसलमानों का यकीन है। 

विक्टोरिया स्ट्रीट स्थित मदरसा नाजमिया में वरिष्ठ धर्मगुरु मौलाना हमीदुल हसन ने मजलिस को खिताब करते हुए कहा कि कोरोना महामारी के दौर में सरकार की गाइडलाइन पर अमल कर पाबंदियों के बीच शिया समुदाय कर्बला के शहीदों का गम मना रहे हैं। ताकि वह लोग जो इस्लाम के खिलाफ साजिश कर रहे हैं न सिर्फ उनको बल्कि पूरी दुनिया यह बता सकें कि सच्चा इस्लाम क्या है। वह इस्लाम जिसको बचाने के लिए कर्बला वालों ने अपनी कुर्बानी दी। 

आज लोग इस्लाम को आतंकवाद से जोड़ रहे हैं लेकिन इस्लाम व कुरआन में किसी भी इंसान पर जुल्म करने की इजाजत नहीं है। सही इस्लाम को समझने के लिए कुरआन और अहलेबैत दोनों को मजबूती से थामे रहना होगा।अकबरी गेट स्थित इमामबाड़ा जन्नत मआब सैयद तकी साहब सहित कई स्थानों पर मजलिस हुई। उधर, इमाम ईदगाह मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने ऑनलाइन जलसे को खिताब किया।


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