लखनऊ में गंदे काम पर हुई थी किन्नर बने युवक की हत्या, कानपुर से गिरफ्तार आरोपित ने खोले राज
लखनऊ में युवक से किन्नर बने युवक की हत्या का मामला। साथ में रहने वाले ढोलकिया मित्र ने दूसरे युवक से अनैतिक संबंध बनाने के कारण की थी हत्या। झगड़े के दौरान ही रोटी बनाने वाले तवा से सिर पर किया था प्रहार।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। सर्जरी कराकर किन्नर बने आयुष्मान उर्फ जोया की हत्या के मामले में पुलिस ने उसके ढोलकिया साथी फैजान को गुरुवार देर रात कानपुर से गिरफ्तार कर लिया है। आरोपित फैजान ने पूछताछ में बताया कि आयुष्मान उर्फ जोया के साथ रहता था। दोनों में नजदीकियां थी। कुछ समय से जोया के संबंध एक अन्य युवक से हो गए थे। जिसको लेकर दोनों का झगड़ा होता था। झगड़े के दौरान ही रोटी बनाने वाले तवा से सिर पर प्रहार कर हत्या कर दी। इसके बाद भाग निकला।
एसीपी अलीगंज अली अब्बास ने बताया कि वारदात को अंजाम देकर फैजान कानपुर भाग गया था। उसकी गिरफ्तारी के लिए सर्विलांस समेत कई टीमें लगाई गई थी। लोकेशन कानपुर मिली थी। पुलिस टीम ने आरोपित फैजान को कानपुर के हरबंशमोहाल स्थित नारायणी पैलेस होटल से गिरफ्तार कर लिया। इंस्पेक्टर मड़ियांव वीर सिंह ने बताया कि फैजान सआदतगंज का रहने वाला है। करीब नौ माह से वह आयुष्मान के साथ पल्टन छावनी स्थित एक मकान में किराए पर रह रहा था। फैजान ने 31 जनवरी की रात आयुष्मान की हत्या की थी। हत्या के बाद वह फरार हो गया था।
आत्महत्या का रूप देने के लिए शीशे से काट दी हाथ की नस : इंस्पेक्टर मड़ियांव ने बताया कि फैजान बहुत शातिर है। उसने आयुष्मान उर्फ जोया की मौत को आत्महत्या का रूप देने के लिए शीशे के टुकड़े से हाथ की नस काट दी थी। आयुष्मान के दोनों हाथों की नस कटी थी।
बेटे की जिद पर हार गए थे संजीव, सर्जरी के लिए दिए थे 70 हजार रुपये : पुलिस के मुताबिक राजाजीपुरम निवासी आयुष्मान के पिता ने बताया कि बेटे ने दो साल पहले दिल्ली में सर्जरी कराई थी। सर्जरी कराकर वह किन्नर बना था। बेटा एक कानवेंट स्कूल में 10वीं तक पढ़ा था। उसकी संगति किन्नर के साथ हो गई। वह उनके साथ ही रहने लगा था। इसके बाद उसकी हरकतें भी उन्हीं की तरह होने लगी। दो साल के लिए दिल्ली चला गया था। वहां से लौटा तो सर्जरी कराने का दबाव बनाने लगा। विरोध पर वह धमकी देता था। बेटे ने कहा कि उसका शरीर है, जो मन होगा वह करेगा। शरीर पर उसका हक है। उसकी जिद के आगे उनकी एक न चली। उसे 70 हजार रुपये दिए। इसके बाद वह दिल्ली चला गया। वहां जाकर उसने सर्जरी करा ली और किन्नर बन गया। इसके बाद लौटा और फिर किन्नरों के साथ रहकर ढोलक बजाने का काम करने लगा। घर भी आना-जाना उसने बंद कर दिया था।