Budget 2018-19: हंगामे के बीच शुरू हुई नगर निगम सदन की कार्यवाही, हर वार्ड में 95-95 लाख से होंगे कार्य Lucknow News
कई मदों में कटौती 4461.45 लाख के बजट को मंजूरी।
लखनऊ, जेएनएन। हंगामे के बीच शुरू हुई सदन की कार्यवाही में नगर निगम के चालू वित्तीय वर्ष के बजट को संशोधन के साथ ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। बजट में कई मदों में कटौती के साथ 4461.45 लाख के लाभ के बजट को मंजूरी दी। नगर निगम चालू वित्तीय वर्ष में 168759.5 लाख की आय करेगा और 164298.5 लाख खर्च होगा। अब नगर निगम निधि से ही हर वार्ड में 95-95 लाख से विकास कार्य होंगे। बजट में 4465.45 लाख की बचत का प्रावधान किया गया है, जबकि मूल बजट में बचत को 11.50 करोड़ रखा गया था।
मूल बजट में 45 लाख नगर निगम निधि और 50 लाख 14वें वित्त आयोग से हर वार्ड में विकास पर खर्च करने की योजना थी, लेकिन पार्षदों के विरोध के चलते मूल प्रावधान में संशोधन किया गया है। अब 14वें वित्त आयोग से विकास कार्य कराने का अधिकार मेयर को होगा। अब पार्षद 80 लाख से सड़क व नाली का निर्माण करा सकेंगे। इसी तरह पांच लाख से पेयजल के कार्य, पांच लाख से पार्क का जीर्णोद्धार और पांच लाख से रोड लाइट का काम करा सकेंगे। इन कार्यो पर लगने वाले जीएसटी का खर्च नगर निगम वहन करेगा।
सदन को अवैध बताया, हंगामा
दोपहर 12.25 मिनट पर सदन की कार्यवाही शुरू हुई। सपा पार्षद दल के नेता सै.यावर हुसैन रेशू ने बजट पर ही सवाल खड़ा कर दिया। उनका कहना था कि नगर निगम अधिनियम की धारा 146 में यह प्रावधान है कि अगर कार्यकारिणी ने बजट को पास कर दिया है और 25 मार्च तक वह सदन से पास नहीं होता है तो उसे नगर आयुक्त का बजट मानते हुए पास माना जाएगा। इसका समर्थन कांग्रेस पार्षद गिरीश मिश्र और भाजपा पार्षद नागेंद्र सिंह चौहान और रमेश कपूर बाबा ने भी किया। नागेंद्र सिंह चौहान का कहना था कि अगर बजट संशोधन के साथ पास किया जा रहा है तो चालू वित्तीय वर्ष से अब तक तीन माह छह दिन में नगर निगम ने जो भी भुगतान किया है और भवन कर ओटीएस (एक मुश्त समाधान) से आय की है तो वह सब अवैध हो जाएगी। भुगतान करने वाले अधिकारियों को जेल जाना पड़ सकता है।
हालांकि भाजपा पार्षद दल के नेता रामकृष्ण यादव यह सफाई देते रहे कि संशोधित बजट ठीक है और नगर निगम अधिनियम की धारा 151 के अनुरूप है। नगर आयुक्त डा. इंद्रमणि त्रिपाठी ने भी पटल पर आकर बजट को वैध बताया और कहा कि सदन को संशोधन का अधिकार है। इसी बीच कार्यकारिणी उपाध्यक्ष अरुण तिवारी पटल पर आकर बजट को पढ़ने लगे। इससे नाराज सपा और कांग्रेस के पार्षद सीट छोड़कर मेयर का घेराव करने लगे तो भाजपा के कुछ पार्षद भी पीछे से उनके समर्थन में दिखे। मेयर ने बजट को वैध बताया तो कार्यकारिणी उपाध्यक्ष अपना भाषण जारी रखा। इसे नाराज पार्षद धरने पर बैठ गए तो गिरीश मिश्र समेत कई पार्षद सदन से बाहर निकलकर नारेबाजी करने लगे। इस कारण करीब दस मिनट तक सदन की कार्यवाही बाधित रही। कुछ पार्षदों के हस्तक्षेप के बाद नाराज पार्षद अपनी सीट पर बैठे और उन्हें अधिनियम की जानकारी दी गई तो शांत हो गए।