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Mulayam Singh Yadav Birthday: मुलायम सिंह यानी यूपी की राजनीति का अहम अध्याय, अखाड़े से राजनीति तक का सफर

Mulayam Singh Yadav Birthday समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव आज 82 साल के हो गए। सियासी गलियारों में नेता जी के नाम से मशहूर मुलायम सिंह यदव का जन्मदिन कोरोना काल के चलते इस बार बेहद सादगी से मनाया जा रहा है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sun, 22 Nov 2020 06:15 PM (IST)Updated: Mon, 23 Nov 2020 06:09 AM (IST)
Mulayam Singh Yadav Birthday: मुलायम सिंह यानी यूपी की राजनीति का अहम अध्याय, अखाड़े से राजनीति तक का सफर
समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव आज 82 साल के हो गए।

लखनऊ, जेएनएन। समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव आज 82 साल के हो गए। सियासी गलियारों में 'नेता जी' के नाम से मशहूर मुलायम सिंह यदव का जन्मदिन कोरोना काल के चलते इस बार बेहद सादगी से मनाया जा रहा है। मुलायम सिंह का राजनीतिक सफर बेहद लंबा रहा है। वर्ष 1967 में पहली बार वह विधायक बने और फिर सात बार विधायक रहे। उसके बाद वह आबादी के लिहाज से सबसे बड़े प्रदेश यूपी के तीन बार मुख्यमंत्री रहे। यूपी के मुख्यमंत्री के अलावा वह 1996 से 1998 तक केंद्र सरकार में रक्षामंत्री भी रहे। वह सबसे ज्यादा राम मनोहर लोहिया से प्रेरित रहे हैं।

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उत्तर प्रदेश की सियासत का अहम अध्याय माने जाने वाले मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवंबर, 1939 को इटावा जिले के सैफई गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम सुघर सिंह, और माता का नाम मूर्ति देवी था। उनके पिता एक पहलवान थे और मुलायम को भी पहलवान बनाना चाहते थे। उन्होंने अपने शैक्षणिक जीवन में केके कॉलेज इटावा, एके कॉलेज शिकोहाबाद और आगरा यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की। उन्होंने दो शादियां की है। उनकी पहली पत्नी का नाम मालती देवी था, जिनका 2003 में निधन हो गया। सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव उन्हीं के बेटे हैं। उन्होंने दूसरी शादी साधना गुप्ता से की जिनके बेट प्रतीक यादव हैं।

छात्र राजनीति से की शुरुआत : खेत-खलिहान की राजनीति के जरिये देश की शीर्ष राजनेताओं में शुमार होने वाले मुलायम सिंह यादव ने छात्र संघ अध्यक्ष के रूप मे अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत इटावा स्थित केके कॉलेज से की थी। उनकी स्तानक स्तर की शिक्षा इसी कॉलेज में हुई। पहली बार मुलायम सिंह छात्रसंघ के अध्यक्ष बने थे। मुलायम सिंह यादव का खासा लगाव इस कॉलेज से है, इस बात को साबित करने के लिये इस कॉलेज के संचालक मंडल ने मुलायम सिंह की यादों की जुड़ी हुई तमाम तस्वीरें संकलित करके रखी हैं।

आपातकाल में गए जेल : मुलायम सिंह यादव को छात्र जीवन मे पहलवानी का बेहद शौक था। केके कॉलेज में अध्ययनरत होने के दौरान वह कॉलेज की ओर से आगरा कुश्ती टीम के कप्तान बन कर गए और जीत करके वापस लौटे। मुलायम सिंह यादव ने साल 1954 में सिर्फ 15 साल की उम्र में नेता डॉ. राम मनोहर लोहिया के आह्वान पर नहर रेट आन्दोलन में भाग लिया और पहली बार जेल गए थे। समाजवादी पार्टी की स्थापना से पूर्व मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश लोकदल और उत्तर प्रदेश जनता दल के अध्यक्ष रह चुके हैं। आपातकाल में वह 19 महीने जेल में रहे। अक्टूबर 1992 में देवरिया के रामकोला में गन्ना किसानों पर पुलिस फायरिंग के खिलाफ चलाए गए किसान आन्दोलन सहित विभिन्न आन्दोलनों में नौ बार इटावा, वाराणसी और फतेहगढ़ आदि जेलों में रहे।

बचपन से ही पहलवानी का बड़ा शौक : मुलायम सिंह यादव को बचपन से ही पहलवानी का बड़ा शौक रहा। शाम को स्कूल से लौटने के बाद अखाड़े में जाकर कुश्ती लड़ते थे, जहां पर वह बड़े से बड़े पहलवानों को चित्त कर देते थे। मुलायम सिंह छोटे कद के हैं, लेकिन उनमें गजब की फुर्ती थी। अक्सर वह पेड़ों पर चढ़ जाते थे और आम, अमरूद, जामुन बगैरह तोड़कर अपने साथियों को खिलाते थे। मुलायम सिंह यादव को राजनीति में लाने का श्रेय अपने समय के कद्दावर नेता नत्थू सिंह को जाता है। चैधरी नत्थू सिंह ने मुलायम सिंह के लिए अपनी सीट छोड़ दी। उन्हें चुनाव लड़वाया और सबसे कम उम्र में विधायक बनवाया।

खांटी राजनीति के कारण नाम पड़ा 'धरती पुत्र' : भारतीय राजनीति में जमीन से जुड़े नेताओं का जब भी जिक्र किया जाता है तो उनमें समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव का नाम काफी ऊपर दिखाई देता है। मुलायम सिंह यादव का उनके गृह राज्य उत्तर प्रदेश में उनकी खांटी राजनीति के कारण 'धरती पुत्र' की संज्ञा दी जाती है। उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह से जुड़े कई किस्से मशहूर हैं। इन्हीं किस्सों में से एक किस्सा ऐसा है, जिसमें कहा जाता है कि उन्होंने मंच पर ही एक पुलिस इंस्पेक्टर को उठाकर पटक दिया था। बताया जाता है कि वह पुलिस इंस्पेक्टर मंच पर एक कवि को उसकी कविता नहीं पढ़ने दे रहा था।

मुलायम सिंह यादव का सियासी सफर...

  • 1960 में राजनीति में कदम रखा।
  • 1967 में पहली बार विधायक बने।
  • 1977 में वह राज्य मंत्री बने।
  • 1980 में लोकदल का अध्यक्ष पद संभाला, जो बाद में जनता दल का हिस्सा बन गई।
  • 1985-87 तक वह उत्तर प्रदेश में जनता दल के अध्यक्ष रहे।
  • 1989 में पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
  • 1992 में समाजवादी पार्टी का गठन किया।
  • 1993-95 में दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
  • केंद्र सरकार में रक्षा मंत्री के पद पर भी रहे।
  • 2003 से 2007 में वो तीसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।

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