मीजल्स ही नहीं, घातक इंसेफेलाइटिस से भी बचाएगा एमआर टीका
बच्चों को होने वाली एसएसपीइ बीमारी से बचाव का एकमात्र विकल्प है मीजल्स का टीका।
लखनऊ, (रूमा सिन्हा)। सबएक्यूट स्कलेरोसिंग पैन इंसेफेलाइटिस (एसएसपीइ) बच्चों को होने वाली मस्तिष्क की ऐसी गंभीर बीमारी है जिसमें बौद्धिक क्षमता कमजोर हो जाती है। शरीर की मांसपेशियों में जबर्दस्त संकुचन होता रहता है जिसके कारण रोगी में चलने तथा खड़े रहने की क्षमता नहीं रह जाती है। इसका कोई इलाज न होने से अंतत: रोगी की मृत्यु हो जाती है। एसएसपीइ से बचाव का एकमात्र उपाय मीजल्स का टीका है।
किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के न्यूरोलॉजी विभाग के हेड डॉ.आरके गर्ग बताते हैं कि मीजल्स टीकाकरण बच्चों के लिए बेहद जरूरी है। कारण यह है कि यह न केवल मीजल्स से बल्कि एसएसपीइ जैसी गंभीर बीमारी से भी बचाता है। इसलिए एमआर टीकाकरण को लेकर लोग बिल्कुल भी भ्रमित न हों और बच्चे को मीजल्स के साथ-साथ इस गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारी से बचाव के लिए टीका जरूर लगवाएं।
डॉ.गर्ग ने बताया कि यह रोग ज्यादातर 10 से 15 वर्ष की आयु में होता है। रोग का कारण बचपन में होने वाला मीजल्स यानी खसरा रोग है। यदि किसी बच्चे को दो वर्ष से पहले मीजल्स हो जाए तो एसएसपीइ बीमारी होने की संभावना 16 गुना ज्यादा होती है। इस रोग में मस्तिष्क क्षतिग्रस्त हो जाता है एवं रोग के लगभग छह माह से साल भर में रोगी की मृत्यु हो जाती है। वह कहते हैं कि इस घातक रोग का जिम्मेदार बचपन में होने वाला मीजल्स रोग है। इसलिए टीकाकरण के जरिए केवल मीजल्स से ही नहीं बल्कि से भी बचाव होता है। एसएसपीइ चिंताजनक इसलिए है क्योंकि इस बीमारी के सबसे ज्यादा रोगी भारत में है।
लखनऊ में भी यह रोग बच्चों को प्रभावित कर रहा है। उन्होंने कहा कि मीजल्स वैक्सीन का अभियान चलाया जा रहा है। यही इस रोग से बचने का एकमात्र विकल्प है। विश्व के जिन देशों में एसएसपीइ को पूरी तरह से नियंत्रित किया जा चुका है वह इसी टीकाकरण से संभव हो सका है। इसलिए लोग बच्चों का टीकाकरण अवश्य कराएं जिससे भारत से भी इस खतरनाक बीमारी को खत्म किया जा सके।