यूपी बजट सत्र में हंगामा
लखनऊ। बुधवार को विधानमंडल बजट सत्र के हंगामाखेज होने के आसार हैं। इसमें 21 फरवरी क
लखनऊ। विधानमंडल के बजट सत्र में पहले ही दिन बुधवार को लोकतांत्रिक मर्यादाएं तार-तार हो गयीं। राज्यपाल को अभिभाषण नहीं पढ़ने दिया गया। विपक्ष ने जमकर हंगामा किया और सरकार विरोधी नारे लगाए। हद तब हुई, जब रालोद के वीरपाल और सुदेश शर्मा अर्द्धनग्न होकर बेंच पर चढ़ गए। गन्ना किसानों व मोदी कपड़ा मिल के श्रमिकों की समस्याओं को लेकर बैनर लहराने लगे। हालात बेकाबू होते देख राज्यपाल को अभिभाषण पूरा पढ़े बिना बीच में ही लौटना पड़ा। दोबारा सदन शुरू करने पर भी स्थिति सामान्य न हो सकी तो अध्यक्ष माताप्रसाद पांडेय ने सदन की कार्यवाही को गुरुवार तक स्थगित कर दिया।
लोकसभा चुनाव से पूर्व आहूत सत्र में अभिभाषण के बहिष्कार का एलान भाजपा पहले ही कर चुकी थी। सदन की संयुक्त बैठक में राज्यपाल बीएल जोशी के पहुंचते ही नेता विरोधी दल स्वामीप्रसाद मौर्य और नसीमुद्दीन सिद्दीकी की अगुवाई में बसपा सदस्य सरकार विरोधी पोस्टर-बैनर लेकर वेल में आ गए और सरकार बर्खास्त करने की मांग शुरू कर दी। कांग्रेस,रालोद, पीस पार्टी और अपना दल के सदस्य भी हंगामे में शामिल हो गए।
इस बीच रालोद के वीरपाल राठी और सुदेश शर्मा ने अपनी कमीजें उतार फेंकीं और बेंचों पर खड़े होकर प्रदर्शन करने लगे। नारेबाजी और शोरशराबे के बीच राज्यपाल जोशी ने संबोधन जारी रखने की कोशिश की लेकिन विपक्ष-सत्तापक्ष की ओर से उठती आवाजों ने हालात बेकाबू कर दिए। संसदीय कार्य मंत्री आजम खां लगातार विपक्ष पर तंज कसते रहे। विपक्ष के रवैये को उन्होंने शर्मनाक करार दिया, बसपाइयों को बेशर्म तक कहा। जवाब में विपक्ष की ओर से भी 'भ्रष्ट-लुटेरों की सरकार नहीं चलेगी, भाई-भतीजावादी सरकार को बर्खास्त करो' जैसे नारे लगे रहे थे।
हंगामे के बीच राज्यपाल अभिभाषण अधूरा छोड़कर चले गए। सदन दोपहर 12.30 बजे तक स्थगित हो गया। दोबारा कार्यवाही शुरू होने पर भी विपक्ष के सदस्य अभिभाषण सुनने को राजी न थे, सो उसे बिना पढ़े ही पढ़ा मान लिया गया। शोरशराबे के बीच चार संशोधन विधेयक पटल पर रखे गए।
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इनसर्ट..1
नंगों पर क्या कार्रवाई करें : आजम
सदन में अर्द्धनग्न होने पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने का सवाल पूछे जाने पर संसदीय कार्यमंत्री आजम खां का कहना था, जिसने खुद ही कपड़े उतार लिए हो, ऐसे नंगों पर क्या कार्रवाई करें? सदन में मर्यादा तोड़ने परंपरा को लोकतंत्र में उचित नहीं ठहराया जा सकता।
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इनसर्ट..2
जरूरत पड़ी तो त्यागपत्र भी देंगे
सदन में अर्द्धनग्न होकर विरोध जताने वाले रालोद विधायकों का कहना है कि किसानों व मजदूरों को हक दिलाने की खातिर उन्हें कुछ करना पड़े, उसके लिए वे तैयार हैं। छपरौली के विधायक वीरपाल राठी ने आरोप लगाया कि गन्ना किसानों का बकाया भुगतान न होने पर सरकार गंभीर नहीं है। किसान भूखों मर रहा है। उनके वोटों से विधायक बना हूं, सरकार की वादाखिलाफी को सहन न करेंगे।
मोदीनगर के विधायक सुदेश शर्मा ने मोदी कपड़ा मिल के करीब 20 हजार श्रमिकों को बकाया भुगतान न होने पर सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि दो वर्ष से सदन में लगातार सवाल उठा रहा हूं, परन्तु कोई समाधान नहीं हो पाया। हक दिलाने के लिए त्यागपत्र देना पड़ा तो उसके लिए भी तैयार है।