Ramadan 2021: रमजान में जकात और इबादत पर मिलता है ज्यादा सवाब, तीसरा अशरा आज से
मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने बताया कि दूसरा अशरे का समापन हो गया । मंगलवार से तीसरे अशरे की शुरुआत होगी। मौलाना कल्बे जवाद ने भी सभी को तीसरे अशरे में मदद करने का एलान किया। कोरोना संक्रमण से बचने के लिए घरों में इबादत की अपील की है।
लखनऊ, जेएनएन। अल्लाह की रहमत के माह-ए-रमजान में एक ओर जहां घरों में इबादत का दौर जारी है तो दूसरी ओर सभी पर अल्लाह की बरकत बरसे, इसकी दुआ भी रोजेदार कर रहे हैं। कोरोना संक्रमण के चलते रोजे के 20 वें दिन सोमवार को भी रोजेदारों ने घरों में ही नमाज पढ़ी। नमाज के साथ घरों में ही रोजेदारों ने इबादत कर संक्रमण से मुक्ति की दुआ मांगी।
मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने बताया कि दूसरा अशरे का समापन हो गया । मंगलवार से तीसरे अशरे की शुरुआत होगी। मौलाना कल्बे जवाद ने भी सभी को तीसरे अशरे में मदद करने का एलान किया। कोरोना संक्रमण से बचने के लिए घरों में इबादत की अपील की है।
इदारा ए शरइया फिरंगीमहल के अध्यक्ष व काजी- ए- शहर मुफ्ती इरफान मियां फिरंगी महली ने कहा कि इस्लाम मज़हब के पांच आधार में एक जकात है। रमज़ान में ज़कात देने का बेहतर महीना है। रमजान में जकात देने का ज़्यादा सवाब है क्योंकि रमजा़न तमाम महीनों का सरदार है। इस महीने में जो भी इबादत की जाती है उसका सवाब 70 फीसद ज़्यादा बढ़ जाता है। इस महीने पढ़ी जाने वाली नमाजों का भी सवाब 70फीसद अधिक होता है। इस महीने अदा की जाने वाली जकात का भी सवाब बढ़ जाता है। जो शख्स अमीर (साहब- ए- निसाब) होकर जकात से जी चुराता है वो अल्लाह की नाराज़गी हासिल करता है। इसलिए हर हैसियतमंद इंसान को ज़कात देना चाहिए। गरीब, मजदूर, यतीम व मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को जकात देने से सवाब मिलता है। कोरोना संक्रमण काल में यह और भी जरूरी है।
इफ्तारी-मंगलवार की शाम
सुन्नी-6:43 बजे
शिया-6:53
सहरी बुधवार की सुबह
सुन्नी-3:54 बजे
शिया-3:46 बजे