लग गई है मोबाइल की लत तो न हों परेशान, KGMU में थेरेपी से दूर होगी समस्या
केजीएमयू के मानसिक रोग विभाग में खुली क्लीनिक फॉर प्रॉब्लमेटिक यूज ऑफ टेक्नोलॉजी।
लखनऊ, जेएनएन। मोबाइल, इंटरनेट, सोशल साइट से नजदीकी यूं तो वक्त की जरूरत है। मगर हर वक्त इसका इस्तेमाल सेहत के लिए घातक है। इसकी गिरफ्त में न सिर्फ युवा हैं, बल्कि बच्चे भी हैं। खासकर मोबाइल एडिक्शन आंख के साथ-साथ मानसिक विकार भी दे रहा है। केजीएमयू में शुक्रवार को मानसिक रोग विभाग का स्थापना दिवस मनाया गया।
इस दौरान पीजीआइएमईआर के प्रो. देवाशीष बसु ने टेक्नोलॉजी की लत से होने वाले मानसिक व शारीरिक दुष्प्रभावों पर चर्चा की। इस दौरान विभाग की 'क्लीनिक फॉर प्रॉब्लमेटिक यूज ऑफ टेक्नोलॉजी' का उद्घाटन किया गया। इसमें मोबाइल व अन्य टेक्नोलॉजी का अधिक प्रयोग करने वाले मरीजों की साइकोथेरेपी व काउंसिलिंग की जाएगी। साथ ही उन्हें टेक्नोलॉजी के प्रबंधन व स्वस्थ्य रहने संबंधी टिप्स दिए जाएंगे। प्रदेश की यह पहली क्लीनिक है। कार्यक्रम में कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट, विभागाध्यक्ष डॉ. पीके दलाल, डॉ. विवेक अग्रवाल, डॉ. आदर्श त्रिपाठी समेत आदि मौजूद रहे।
यह लक्षण दिखें तो रहें सावधान
विशेषज्ञों के मुताबिक विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जून 2018 को ऑनलाइन गेमिंग को एक मानसिक विकार के रूप में मान्यता दी। इसमें टेक्नोलॉजी व इंटरनेट के अधिक प्रयोग से लोगों के स्वभाव पर भी विपरीत असर का दावा किया गया है। ऐसे में खासकर बच्चों में ध्यान देने की जरूरत है। बच्चा ज्यादा इंटरनेट का इस्तेमाल न करे, बेवजह मोबाइल का प्रयोग न करे। वहीं बच्चे का चिड़चिड़ा होना, रात में नींद न आना, कंधे और गले के पास दर्द होना, आंसू आना, पढ़ाई लिखाई में मन न लगना, सुस्ती छाना जैसे लक्षणों का ध्यान रखें। उसकी काउंसिलिंग के जरिए मोबाइल व इंटरनेट की लत छुड़वाएं।