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World Thalassemia Day 2020: थारू समाज के बच्चों में मिल रहा माइनर थैलेसीमिया

दबे पांव थैलेसीमिया पहुंची थारुओं के गांव। केजीएमयू के शोध में उजागर हुए तथ्‍य। उनके जीन में डिफेक्ट पाया जा रहा है।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 08 May 2020 10:14 AM (IST)Updated: Fri, 08 May 2020 02:44 PM (IST)
World Thalassemia Day 2020: थारू समाज के बच्चों में मिल रहा माइनर थैलेसीमिया
World Thalassemia Day 2020: थारू समाज के बच्चों में मिल रहा माइनर थैलेसीमिया

लखनऊ, जेएनएन। थारू समाज की नई पीढ़ी का जीन गड़बड़ हो रहा है। उनके जीन में डिफेक्ट पाया जा रहा है। इससे एक बड़ी आबादी दबे पांव जन्मजात बीमारी का शिकार हो रही है। केजीएमयू के शोध में यह सामने आया। केजीएमयू ने आउट ऑफ रीच प्रोग्राम के तहत लखीमपुर के ग्रामीण इलाकों में कैंप लगाया।

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गत वर्ष दिसंबर में थारू जनजाति के बच्चों के करीब 800 रक्त सैंपल जुटाए गए। इसके बाद जीन स्टडी के लिए सैंपल सेंटर फॉर एडवांस रिसर्च (सीएफआर) में भेजा गया। वहां की साइटोजेनेटिक यूनिट की इंचार्ज डॉ. नीतू निगम के मुताबिक थारू बच्चों में रक्त संबंधी रोग थैलेसीमिया का प्रसार काफी पाया गया है। इसमें 14 फीसद बच्चे माइनर थैलेसीमिया के वाहक मिले। इन बच्चों के बीटा ग्लोबिन जीन व सिकल सेल गड़बड़ मिला। अन्य कारणों पर शोध जारी है।

शादी से बढ़ेगा खतरा

डॉ. नीतू निगम के मुताबिक माइनर थैलेसीमिया वाहक बच्चों के अभिभावकों को सजग किया जाएगा कि वे बच्चों की शादी से पहले युवती का थैलेसीमिया टेस्ट अवश्य कराएं। कारण, दोनों थैलेसीमिया वाहक होने से भावी संतान में रक्त विकार का खतरा बढ़ जाएगा। गर्भावस्था के दौरान भी थैलेसीमिया का टेस्ट कराना होगा। इससे मेजर थैलेसीमिया के बच्चे के जन्म को नकारने का विकल्प होगा।

स्कैनिंग पर हो जोर

डॉ. नीतू निगम के मुताबिक रक्त संबंधी रोगों में थैलेसीमिया का प्रसार काफी है। मगर, स्कैनिंग के अभाव में रोगियों की हकीकत सामने नहीं आ पा रही है। इसके लिए बड़े स्तर पर कैरियर स्क्रीनिंग प्रोग्राम शुरू किया जाएं। शादी से पहले युवक-युवतियों की स्कैनिंग अनिवार्य की जाए।

इलाज के 13 सेंटर

थैलेसिमिक्स सोसायटी के अध्यक्ष प्रवीर आर्या के मुताबिक लखनऊ में पीजीआइ, केजीएमयू में थैलेसीमिया के इलाज की सुविधा है। प्रदेश में कानपुर, गोरखपुर, बरेली, मेरठ, सैफई, प्रयागराज, वाराणसी, आगरा समेत 13 सेंटर हैं। यहां एनएचएम द्वारा मरीजों के फ्री ब्लड ट्रांसफ्यूजन व दवा के लिए बजट भी प्रदान किया जाता है। प्रदेश में 1825 रोगी रजिस्टर्ड प्रदेश में थैलेसीमिया के 1825 रोगी रजिस्टर्ड हैं। इसमें पीजीआइ में 500 मरीज हैं। केजीएमयू में 200 के करीब रोगी पंजीकृत हैं।


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