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Mining Scam : तीन आइएएस के खिलाफ मिले भ्रष्टाचार के सुबूत, अब होगी कार्रवाई

खनन घोटाले में सीबीआइ व प्रवर्तन निदेशालय की जांच से घिरे तीन आइएएस अधिकारियों के खिलाफ जल्द कार्रवाई हो सकती है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Thu, 29 Aug 2019 05:39 PM (IST)Updated: Thu, 29 Aug 2019 05:39 PM (IST)
Mining Scam : तीन आइएएस के खिलाफ मिले भ्रष्टाचार के सुबूत, अब होगी कार्रवाई

लखनऊ, जेएनएन। खनन घोटाले में सीबीआइ व प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच से घिरे तीन आइएएस अधिकारियों के खिलाफ जल्द कार्रवाई हो सकती है। देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी सीबीआइ ने खनन घोटाले में आरोपित आइएएस अधिकारी अभय सिंह, विवेक व देवी शरण उपाध्याय के खिलाफ एक रिपोर्ट मुख्य सचिव डॉ. अनूप चंद्र पांडेय को भेजी है। रिपोर्ट की प्रति डीजीपी ओपी सिंह को भी भेजी गई है। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार सीबीआइ ने रिपोर्ट में तीन अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के पर्याप्त साक्ष्य मिलने की बात कही है।

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सीबीआइ ने खनन घोटाले के मामले में 11 जुलाई को राज्यव्यापी छापे मारे थे। सीबीआइ ने बुलंदशहर के डीएम अभय के घर से 49 लाख रुपये और आजमगढ़ के सीडीओ देवी शरण उपाध्याय के यहां से दस लाख रुपये बरामद किये थे। इन अधिकारियों ने सरकार की साख पर बट्टा लगाया था। सीबीआइ ने आइएएस विवेक के लखनऊ स्थित आवास पर भी छापा मारा था।

सूत्रों का कहना है कि सीबीआइ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 2007 बैच के आइएएस अभय सिंह उनके सरकारी आवास से बरामद 49 लाख रुपये के बारे में कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे सके। जांच में अभय सिंह व 2012 बैच के प्रोन्नत आइएएस देवी शरण उपाध्याय के घर से बरामद लाखों रुपये भ्रष्टाचार की कमाई होने के साक्ष्य मिले हैं। 2009 बैच के आइएएस विवेक ने देवरिया में डीएम रहते हुए लाल-सफेद बालू से काली कमाई का रास्ता खोल दिया था।

2012 से 2016 के बीच हुआ था घोटाला

अवैध खनन घोटाला 2012 से 2016 के बीच का है। इस दौरान यूपी में समाजवादी पार्टी की सरकार थी। उस समय खनन विभाग का जिम्मेदारी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पास ही थी। ऐसे में अखिलेश पर भी लगातार सवाल उठते रहे हैं। बताया जा रहा है कि उस दौरान खनन के 22 टेंडर पास किए गए थे, जो विवाद में आ गए। इन 22 में से 14 टेंडर अखिलेश यादव के वक्त ही पास किये गए थे। बाका के गायत्री प्रजापति के वक्त पास हुए थे। जांच एजेंसियों का मानना है कि अखिलेश यादव और गायत्री प्रजापति की मंजूरी के बाद ही खनन पट्टों को लीज पर दिया गया था। क्योंकि 5 लाख से ऊपर के मामलों की मंजूरी के लिए मुख्यमंत्री की मुहर जरूरी होती है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआइ खनन घोटाले की जांच कर रही है। हाई कोर्ट ने जनहित याचिकाओं के दाखिल होने के बाद इस घोटाले की जांच के आदेश दिए थे। खनन घोटाले को लेकर सीबीआइ काफी सक्रिय हो गई है। हाल ही में जांच एजेंसी ने देश के अलग-अलग हिस्सों में छापेमारी कर चुकी है। सीबीआइ पूर्व खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के अलावा आइएएस बीएस चंद्रकला के घर पर भी छापा मार चुकी है।


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