यूपी में अवैध खनन : ईडी के सामने नहीं पहुंचीं आइएएस अफसर बी.चंद्रकला, वकील को भेजा
अवैध खनन घोटाला केस में आरोपी आईएएस अधिकारी बी. चंद्रकला आज लखनऊ में ईडी दफ्तर नहीं पहुंची।
लखनऊ, जेएनएन। अखिलेश यादव के मुख्यमंत्रित्वकाल में उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर अवैध खनन के मामले में सीबीआई जांच झेल रहीं आइएएस अधिकारी बी. चंद्रकला को प्रवर्तन निदेशालय ने आज लखनऊ में तलब किया। अवैध खनन घोटाला केस में आरोपी आईएएस अधिकारी बी. चंद्रकला आज लखनऊ में ईडी दफ्तर नहीं पहुंची।
लखनऊ में प्रवर्तन निदेशालय के दफ्तर में बी.चंद्रकला ने अपने वकील को भेजा है। यहां चंद्रकला से मनी लॉन्ड्रिंग केस में पूछताछ होनी थी, वह नहीं पहुंचीं। बीते हफ्ते ही इस संबंध में ईडी ने बी चंद्रकला समेत चार को नोटिस भेजा था। इनमें समाजवादी पार्टी के एमएलसी रमेश कुमार मिश्रा को भी पूछताछ के लिए पेश होने को कहा गया था। सीबीआई की कार्रवाई के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने पैसों के लेन-देन का पता लगाने के लिए प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज किया है।
बी.चंद्रकला के वकील एस अहमद सऊद ने बताया कि हमने वह सारे दस्तावेज जमा कर दिए हैं, जो कि ईडी ने मांगे थे। अगर ईडी बी.चंद्रकला को भी बुलाती है तो वह हर समय नियत अवसर पर उपस्थित रहेंगी। फिलहाल ईडी के अधिकारी सभी दस्तावेजों की जांच कर रहे हैं। दस्तावेज से संतुष्ट न होने पर ईडी फिर से बी. चंद्रकला को तलब कर सकती है।
सीबीआई के एफआईआर के बाद ईडी ने भी आईएएस बी चंद्रकला समेत 11 आरोपियों के खिलाफ मनीलांड्रिंग एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है। अवैध खनन मामले में सीबीआई ने 2 जनवरी को एफआईआर दर्ज की थी। सीबीआई की एफआईआर में 2012 से 2016 के बीच हमीरपुर जिले में 22 अवैध पट्टे देने का आरोप है । मामले में पूछताछ के लिए ईडी की लखनऊ यूनिट ने सपा एमएलसी रमेश मिश्र को भी 28 जनवरी को तलब किया है।
रेत के अवैध खनन का यह मामला यूपी के हमीरपुर का है। यहां पर 2012 से 2016 तक यहां अवैध खनन का आरोप है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इसकी जांच का निर्देश दिया था। इस संबंध में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने तत्कालीन जिलाधिकारी बी.चंद्रकला समेत 11 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। इस दौरान सीबीआई ने लखनऊ में बी. चंद्रकला के आवास की पड़ताल भी की थी। जिसके बाद इनके कई ठिकानों पर छापेमारी की गई थी।
इस प्रकरण में आरोप है कि ई-टेंडर नीति का उल्लंघन करते हुए तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव के कार्यालय से एक ही दिन में कई खनन पट्टों को मंजूरी दी गई। दावा है कि 2012 की ई-टेंडर नीति का उल्लंघन करते हुए सीएम कार्यालय से मंजूरी मिलने के बाद 17 फरवरी 2013 को हमीरपुर की जिलाधिकारी बी चंद्रकला ने खनन पट्टे दिए।