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न्यूनतम पेंशन गारंटी मांगीः शेयर बाजार में न लगायें बुढ़ापे के सहारे का पैसा

राज्य कर्मचारियों ने अपने बुढ़ापे के सहारे की रकम से शेयर बाजार में दांव न खेलने का आग्रह केंद्र व प्रदेश सरकार से किया है। उन्होंने न्यूनतम पेंशन गारंटी मांगी है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sat, 23 Jun 2018 08:25 PM (IST)Updated: Sat, 23 Jun 2018 08:32 PM (IST)
न्यूनतम पेंशन गारंटी मांगीः शेयर बाजार में न लगायें बुढ़ापे के सहारे का पैसा

लखनऊ (जेएनएन)। राज्य कर्मचारियों ने अपने बुढ़ापे के सहारे की रकम से शेयर बाजार में दांव न खेलने का आग्रह केंद्र व प्रदेश सरकार से किया है। उन्होंने न्यूनतम पेंशन गारंटी मांगी है। साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को वर्ष 2013 का उनका वह पत्र भी याद दिलाया है, जो बतौर सांसद उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने के लिए भेजा था। हालांकि केंद्र सरकार द्वारा पेंशन का भार वहन करने में असमर्थता जताए जाने से कर्मचारियों में नाराजगी भी है।

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राज्य कर्मचारियों का मानना है कि अंग्रेजों के समय से चली आ रही पेंशन व्यवस्था को बेहतर करने की बजाय इसे और बिगाड़ दिया गया है। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी बताते हैं कि वर्ष 2003 तक कर्मचारियों को उनके कुल वेतन का 90 फीसद हिस्सा हर महीने मिलता था, जबकि बाकी 10 फीसद की रकम पेंशन के लिए सरकार के पास जाती थी। नई व्यवस्था में कर्मचारियों के 10 फीसद अंशदान के साथ अपने हिस्से से भी इतनी रकम मिलाकर इसे शेयर बाजार में लगा रही है। इससे कर्मचारियों को मिलने वाली पेंशन की रकम बाजार पर निर्भर हो गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इसी बिंदुु पर आपत्ति जताई थी।

योगी ने भी मांगी थी पुरानी पेंशन

गोरखपुर के राज्य कर्मचारियों के ज्ञापन पर योगी ने 21 मई, 2013 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भेजे पत्र में लिखा था- 'कर्मचारियों के मासिक वेतन से काटकर जमा की गई धनराशि को फंड मैनेजरों के माध्यम से शेयर बाजार में लगाया जाएगा..., आप सेंसेक्स एवं निफ्टी में उतार-चढ़ाव से भलीभांति परिचित हैं। नई पेंशन व्यवस्था में कर्मचारी द्वारा सेवाकाल में धन निकालने की कोई व्यवस्था नहीं है, ऐसे में सेवानिवृत्ति पर क्या रिटर्न मिलेगा, यह बाजार पर निर्भर करेगा। सरकार द्वारा न्यूनतम पेंशन की गारंटी भी नहीं ली जा रही है, जिससे कर्मचारियों में भारी रोष है। इसलिए पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू रहने दी जाए और इस अवधि में केंद्र व राज्य के कर्मचारियों के वेतन से काटी गई धनराशि उनके जीपीएफ खाते में ब्याज सहित जमा कराई जाए।

बाजार में नहीं बढ़ रही रकम

राज्य कर्मचारियों ने सूचना के अधिकार के तहत जब अपने अंशदान की जानकारी मांगी तो नतीजे में सूचना चौंकाने वाले थे। प्रदेश के पेंशन निदेशालय से बताया गया कि वर्ष 2016-17 तक राज्य कर्मचारियों के हिस्से के 932 करोड़ रुपये से ज्यादा जमा हो चुके हैं। बाजार के मुताबिक जब इस रकम की वृद्धि पर ध्यान दिया गया तो रिपोर्ट निराशाजनक थी। तीन महीने में रकम 0.43 फीसद बढ़ी, जबकि छह महीने में 5.13, एक साल में 7.67 और दो साल में 10.23 फीसद की बढ़ोतरी हुई, लेकिन इसके बाद ग्रोथ रुक गई। दो साल में 10.23 फीसद वृद्धि के बाद तीसरे साल में जहां रकम जहां केवल 10.45 फीसद पर पहुंची तो पांचवें साल तक आते-आते रकम बढऩे की बजाए घटकर 10.35 फीसद रह गई। 


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