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राउंडटेबल कॉन्फ्रेंसः लखनऊ के विकास के लिए विभागों में हो तालमेल, जनता करे सहयोग

भाटिया ने कहा कि एंटी लार्वा का छिड़काव हर मौसम में करवाएंगे। हर जोन में महिला शौचालय बनेंगे। इसके लिए नौ हजार का लक्ष्य है, जिसमें छह हजार बना चुके हैं।

By Nandlal SharmaEdited By: Published: Sun, 22 Jul 2018 06:00 AM (IST)Updated: Sun, 22 Jul 2018 04:06 PM (IST)

अगर जनता और शहर की सूरत संवारने वाले अधिकारी मिलकर काम करें तो कोई ताकत नहीं है जो विकास होने से रोक ले। जरूरी यह भी है कि जिम्मेदार विभाग मिलकर शहर में विकास कार्यों के प्लान तैयार करके उन्हें लागू कराएं। सड़क बनाते समय ही सीवर, पेयजल, बिजली, टेलीफोन आदि की लाइनें डालने की व्यवस्था की जाए। कोई भी काम भविष्य की जरूरत को देखते हुए हो। गोमती की साफ-सफाई के साथ उसमें गिरने वाले नालों को रोका जाए।

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डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन के साथ ही कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था दुरुस्त हो। अतिक्रमण रोकें, जल संरक्षण पर ध्यान दें। सबका प्रयास होगा तो धीरे-धीरे आपका लखनऊ आपको गौरवान्वित करने वाला शहर बन जाएगा। सबसे जरूरी है जनता से लेकर अफसर तक सभी अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करें।

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दैनिक जागरण के माय सिटी माय प्राइड अभियान के तहत शनिवार को आयोजित की गई राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस का यही निष्कर्ष रहा। कॉन्फ्रेंस का आयोजन दैनिक जागरण कार्यालय में किया गया, जिसकी अध्यक्षता रिटायर्ड जस्टिस सैयद हैदर अब्बास रजा ने की। मुख्य अतिथि महापौर संयुक्ता भाटिया थीं। नगर निगम, एलडीए, लेसा, जल संस्थान के अधिकारियों के अलावा राजधानी के विभिन्न नागरिकों और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने इस कांफ्रेंस में हिस्सा लेकर शहर के विकास के उपायों को लेकर अपने विचार व्यक्त किये।

दैनिक जागरण के स्थानीय संपादक सद्गुरुशरण अवस्थी ने सभी आगंतुकों का स्वागत किया और आयोजन के प्रारूप से अवगत करवाया। इस मौके पर जागरण के महाप्रबंधक जेके द्विवेदी और रेडियो सिटी के आरजे मयंक भी मौजूद रहे। करीब ढाई घंटे तक राजधानी के विकास के मुद्दे पर विभिन्न विशेषज्ञों ने अपनी राय व्यक्त की। रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के नुमाइंदों ने अधिकारियों से अपनी शिकायतें साझा कीं। शहर के विकास का एक खाका खींचा गया। जनता, कॉरपोरेट और प्रशासन की जिम्मेदारी तय हुई।

हर घर से कूड़ा न उठाए जाने तक चैन नहीं लूंगी: महापौर
मुख्य अतिथि महापौर संयुक्ता भाटिया ने कहा कि राजधानी के प्रत्येक घर से कूड़ा उठने तक वे शांत नहीं बैठेंगी। बतौर मुख्य अतिथि उन्होंने कहा कि, मुझे छह महीने ही महापौर बने हुए हैं, जबसे कार्यभार संभाला रोज एक वार्ड में जाती हूं। हर वार्ड की अलग समस्या है। समस्याओं के निस्तारण के लिए हमने हर मंगल को दो जोन में लोकमंगल दिवस शुरू किया है। नगर निगम के हर विभाग के अधिकारी भी इसमें शामिल होते हैं।

इसके साथ सड़क निर्माण छोड़ कर सभी समस्याओं का निस्तारण मौके पर किया जाता है। समस्याओं का निस्तारण हुआ या नहीं, इसे चेक करके गलत सूचना देने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई भी करते हैं। इधर, हम नगर निगम में फंड की कमी दूर कर रहे हैं। साथ ही शहर की सफाई पर ध्यान दे रहे हैं और जब तक एक-एक घर से कूड़ा नहीं उठ जाएगा, शांत नहीं बैठेंगे। अवैध डेयरियां शहर में वापस आ गयी हैं। उन पर जुर्माना 12 हजार कर दिया है। जल्द ही उन्हें शहर से बाहर करने की कार्रवाई करेंगे।

भाटिया ने कहा कि एंटी लार्वा का छिड़काव हर मौसम में करवाएंगे। हर जोन में महिला शौचालय बनेंगे। इसके लिए नौ हजार का लक्ष्य है, जिसमें छह हजार बना चुके हैं। 45 पिंक टॉयलेट भी बनेंगे, जो कि एसी होंगे। महिलाओं के लिए फीडिंग रूम भी बनाने का प्रस्ताव है। इसके अलावा पांच मॉडर्न बाजार बनाएंगे।

उन्होंने जलभराव की शिकायत पर कहा कि यह बहुत बड़ी समस्या है। पहले नाले आधे साफ होते थे, इस बार शहर के सारे नाले साफ करवा दिए हैं। नाला सफाई देखने के लिए अधिकारी लगाए गए हैं। इसके अलावा अन्य समस्याओं का भी हर संभव समाधान कराने की कोशिश होगी।

प्रतिबद्धता से ही शहर का विकास संभव: रिटायर्ड जस्टिस सैयद रजा
अध्यक्षीय संबोधन में रिटायर्ड जस्टिस सैयद हैदर अब्बास रजा ने कहा कि कोई भी बड़ा काम करने के लिए प्रतिबद्धता और सख्ती की जरूरत होती है। प्रशासनिक स्तर पर ही ये संभव होता है। जस्टिस रजा ने अपने समय में दिये गये कई फैसलों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अब से करीब 20-22 साल पहले हजरतगंज में हाहाकार था। बेगम हजरत महल पार्क में रैलियां होती थीं, जिससे पूरे गंज क्षेत्र में आये दिन हंगामा होता था। एक राजनैतिक दल की रैली में हुए उपद्रव का स्वत: संज्ञान लेते हुए उन्होंने बीएचएम पार्क में रैली और आयोजनों पर रोक लगा दी थी।

इसके बाद पार्क में रैलियां, रावण दहन, लखनऊ महोत्सव और गणतंत्र दिवस के आयोजन नहीं किये गये। इससे हजरतगंज को बहुत राहत मिली। इसी तरह से गोमती स्वच्छता, शहर से डेयरियों को बाहर करना, अतिक्रमण और अवैध निर्माण को लेकर बहुत से निर्णय किये गये, जिससे शहर को राहत मिली।

हालांकि अब ठोस प्लानिंग की कमी और जिम्मेदार विभागों की लापरवाही से शहर की सूरत बिगड़ रही है। हम अपने हेरिटेज का भी ध्यान नहीं रख पा रहे। धरोहरों का नक्शा तक बदल दे रहे हैं। अमीनाबाद बर्बाद हो गया। सबसे चौड़ी सड़क विक्टोरिया स्ट्रीट भी अतिक्रमण का शिकार होकर संकरी हो चुकी है। इसलिए अब एक बार फिर से सख्ती और प्रतिबद्धता की जरूरत है, जिसके सहारे हम लखनऊ को दुनिया के बेहतरीन शहरों में शामिल कर सकेंगे।

जनसहभागिता से हों कार्य
- अवैध निर्माण व अतिक्रमण न खुद करें और न होने दें, शिकायत भी करें।
- घर से लेकर शहर तक को साफ करने में मदद करें। कूड़ा इधर-उधर न फैलाएं, पानी और बिजली की बर्बादी रोकें, चोरी की शिकायत करें।
- जलभराव से बचने के लिए अपने घरों के बाहर नालियों को पूरी तरह से न ढंकें।

कॉरपोरेट सेक्टर से मिले मदद
- छोटे-छोटे पार्कों और चौराहों को संवारने के लिए कॉरपोरेट हाउस उन्हें गोद लें।
- पेयजल के लिए जगह-जगह प्याऊं लगाए जाएं।
- महिलाओं के टॉयलेट का निर्माण कराएं।

सरकार के स्तर से प्रयास
विभागों के बीच आपस में समन्वय स्थापित कराया जाए, ताकि बढ़ती आबादी को देखते हुए विकास योजनाओं को अमली जामा पहनाया जा सके। लोगों की शिकायतों पर अधिकारी गंभीरता बरतें और तय समय पर उनका निस्तारण हो।

यह भी मांग उठी
- गोमती में गिर रहे नालों को डायवर्ट किया जाए।
- स्मार्ट सिटी के कार्यों को गति दी जाए।
- गड़बड़ियों के लिए अधिकारियों पर पहले कार्रवाई हो।
- अवैध डेयरियां शहर से बाहर की जाएं।
- पॉलीथिन का उपयोग और प्रदूषण रोकने के लिए हर संभव प्रयास करें।
- रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन से वार्ता कर अधिकारी उनकी समस्याओं को दूर कराएं।

योजना बनाकर अगर काम किया जाए तो कार्यों में चूक नहीं होती। आवासीय परिसरों में कमर्शियल बिजली कनेक्शन, नगर निगम में म्यूटेशन नहीं होना चाहिए। सभी विभागों को आपस में बेहतर सामंजस्य बनाकर काम करने की जरूरत है।
- विश्व भूषण मिश्र, नजूल अधिकारी, एलडीए

अनियोजित कॉलोनियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। डेवलपर बिजली विभाग से संपर्क करते नहीं, ऐसे में बिजली कनेक्शन की अचानक डिमांड आ जाती है। कोआर्डिनेशन की कमी है। उपभोक्ता अब बिजली से जुड़ी समस्या के लिए 1912 पर संपर्क कर सकता है।
- प्रदीप कक्कड़, मुख्य अभियंता, ट्रांस गोमती

सरकारी महकमे उपकेंद्र बनाने के लिए जमीन देते नहीं, अगर देते हैं तो करोड़ों रुपये मांगे जाते हैं। छोटे क्षेत्रफल पर कई मंजिला टॉवर खड़े कर दिए जाते हैं। डेवलपर को चाहिए कि कम से कम उपकेंद्र के लिए जमीन तो उपलब्ध कराए। पब्लिक अपने घर के आसपास ट्रांसफॉर्मर रखने या केबल डालने में सहयोग करे।
- मधुकर वर्मा, मुख्य अभियंता सिस गोमती

समग्र रूप से विभागों को आपस में मिलकर शहर के विकास में योगदान देना होगा। आक्षेप लगाने से काम नहीं होगा। समस्याएं पटल पर लायी जाएं, उनका चरणबद्ध तरीके से निस्तारण हो।
- चक्रेश जैन, अधीक्षण अभियंता, एलडीए

गोमती में 38 नाले गिर रहे हैं। इन्हें रोके बिना गोमती साफ नहीं हो सकती। सरकारी विभागों को इस ओर प्रयास करने होंगे। साथ ही आमजन को देवी-देवताओं की मूर्तियों का विसर्जन उचित स्थान पर करना चाहिए।
- रंजीत, पूर्व पार्षद

भूजल स्तर लगातार गिरता जा रहा है। सरकारी विभागों को वर्षा जल संचयन पर ठोस नीति बनाकर काम करना चाहिए। बड़े प्लॉटों में इसे लागू कराएं, तभी बिजली, पानी का कनेक्शन दिया जाए।
- ऋद्धि गौड़, सचिव श्री शुभ संस्कार समिति

गोमती नगर विस्तार में तेज हवा चलते ही बिजली आपूर्ति प्रभावित हो जाती है। भूमिगत लाइनें पड़ी हैं, लेकिन विभागों की आपसी लड़ाई में आवंटी पिस रहे हैं। एलडीए की लापरवाही से मूलभूत सुविधाओं से आवंटी आज भी वंचित हैं।
- उमाशंकर दुबे, सचिव, गोमती नगर विस्तार महासंघ

सफाई से मन स्वच्छ रहता है। जनता का काम करने वाले विभागों को पूरी ईमानदारी से अपने कार्यों का निस्तारण करना चाहिए, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है।
- राम कुमार यादव, अधिवक्ता

अपार्टमेंट में अग्निशमन के कोई इंतजाम नहीं हैं। परिसर में आरसीसी की सड़कें तीन साल में टूट गई हैं। गोमती नगर विस्तार में सड़कों का हाल खस्ता है।
- अमित कुमार सिंह, सचिव, कावेरी अपार्टमेंट

- विभाग कोई काम प्लानिंग से नहीं करवा रहे हैं। जब मन होता है, केबल डालने के लिए सड़कें खोद दी जाती हैं। कूड़ा प्रबंधन व्यवस्था सफल नहीं है।
- आलोक सिंह, इंजीनियर

जिम्मेदार विभाग बिल्डरों पर नकेल नहीं लगा पा रहे हैं। एलडीए को अपने आसपास के गांवों का विकास कराना चाहिए। समस्याओं का समय से निस्तारण हो। कई पोर्टल बने, लेकिन समस्याएं निस्तारित नहीं हो रहीं।
- मनीषा शुक्ला, समाज सेविका

जनता जहां जागरूक रहेगी, वहां गलत नहीं हो सकता। कूड़े का निस्तारण पब्लिक स्वयं करे। अवैध निर्माण और अतिक्रमण न होने दे। एलडीए ने कई वर्षों में पचास हजार अवैध निर्माण गिराने के निर्देश दिए, लेकिन सिर्फ एक फीसद ही गिरे होंगे। ये अवैध निर्माण, नगर निगम, बिजली विभाग, जलकल व एलडीए की ही देन हैं। इसे रोकने की जिम्मेदारी भी इनकी है।
- बीके सिंह, वरिष्ठ अधिवक्ता

पिछले तीस वर्षों में आशियाना कॉलोनी हैंड ओवर नहीं हो सकी। मंडलायुक्त के आदेश के बाद भी नगर निगम ने कॉलोनी को नहीं लिया। आज भी हजारों आशियाना वासी गांवों में रहने को विवश हैं। इस समस्या का निस्तारण करना होगा।
- कमलेश वर्मा, महामंत्री सेक्टर एन, आशियाना जनकल्याण समिति

आशियाना के लोग आज भी कूड़ा उठान के लिए बंगलादेशियों पर निर्भर हैं। दावा किया जाता है कि इको ग्रीन कंपनी डोर टू डोर कूड़ा उठा रही है, लेकिन हकीकत उससे परे है। जलभराव की समस्या आज भी बनी है। अधिकारियों को इस पर ध्यान देना चाहिए।
- बिमल केशव, सचिव, आशियाना जनकल्याण समिति

गोमती नगर में बिजली, टेलीफोन, केबल डालने के लिए डक्ट डालनी चाहिए। आवासीय क्षेत्रों से डेयरियां हटाईं जाएं। आवारा कुत्ते और मवेशी पकड़े जाएं।
- रुपेश कुमार शर्मा, सचिव, गोमती जनकल्याण महासमिति

आदेशों पर अमल नहीं होता। नगर निगम की फॉगिंग से एक मच्छर नहीं मरता, पंद्रह दिनों में लार्वा का छिड़काव होना चाहिए। एलडीए और आवास विकास की पुरानी कॉलोनियों का बुरा हाल है। कूड़े का उठान नियमित हो।
- पीताम्बर भट्ट, अध्यक्ष, लखनऊ जनकल्याण महामंच

मूलभूत समस्याएं सड़क, सीवर, बिजली और पानी हैं। सुधार के तमाम दावों के बावजूद आज भी ये समस्याएं बनी हुई हैं। पेयजल की पाइप लाइन टूटी हैं, कटिया लगाकर चोरी हो रही है। अफसरों की जिम्मेदारी और जवाबदेही दोनों तय हो।
- पंकज कुमार तिवारी, संस्थापक संयोजक, जन विकास महासभा

चौराहों पर नियमों का पालन नहीं होता। स्कूलों के सामने कट बंद होने चाहिए। प्रतियोगी परीक्षाओं वाले दिन ट्रेनों, बसों में पर्याप्त इंतजाम के साथ ही सेंटरों के आसपास परीक्षार्थियों के खाने पीने की व्यवस्था होनी चाहिए।
- डॉ. अगम दयाल, अध्यक्ष एसओसीटी

आबादी के अनुपात में पानी की डिमांड दिन पर दिन बढ़ रही है। जहां समस्या है, वहां पब्लिक ट्यूबवेल लगाने नहीं देती। नई लाइन के लिए खोदाई करने पर एतराज है। अगर समय-समय पर उपभोक्ता अपनी पाइप लाइनों की जांच करवा लें, तो समस्या दूर हो सकती है। कनेक्शन लेते वक्त अच्छा पाइप इस्तेमाल करे।
- एसके वर्मा, महाप्रबंधक, जलकल

महिलाओं के लिए चारबाग से चिनहट तक एक भी शौचालय नहीं है। भूजल दोहन जारी है। हैंडपंप खराब पड़े हैं। नदियों में नाले व गंदगी रोकने के लिए ठोस नीति बने।
- सपना तिवारी, समाजसेविका

आबादी के हिसाब से राजधानी में चौथे व पांचवें जलकल की व्यवस्था की जाए। लोग अपने घरों के बाहर से अतिक्रमण हटवाना शुरू करें, तभी राजधानी अतिक्रमण मुक्त हो सकती है। ट्रैफिक नियमों का पालन हर चौराहे पर हो, स्कूलों के बाहर जाम न लगे इसके लिए नीति बने।
- मुकेश सिंह चौहान, पूर्व पार्षद

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