लखनऊ में एक महिला के प्रयास से हौसले से उड़ान भर रही आधी आबादी
श्रद्धा की कोशिश है कि हर महिला सशक्त हो और परिवार व देश की तरक्की में उनका भी योगदान हो।
'मंजिलें उन्हें मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है। पंख से कुछ नहीं होता, हौसले से उड़ान होती है।' शहर की श्रद्धा सक्सेना ने इन पंक्तियों को ठीक से समझा है। मजबूत हौसले से उन्होंने पहले खुद का करियर संवारा और अब वह आधी आबादी की कामयाबी का जरिया बन रही हैं। शहर की सिंगल मदर व गरीब महिलाओं को फैशन डिजाइन संग सिलाई, कढ़ाई का हुनर सिखाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना उनका लक्ष्य है। श्रद्धा की कोशिश है कि हर महिला सशक्त हो और परिवार व देश की तरक्की में उनका भी योगदान हो। आशियाना निवासी श्रद्धा सक्सेना खुद फैशन डिजाइनर हैं। वर्ष 2011 में उन्होंने कपड़ा मंत्रालय के एक प्रोजेक्ट से करियर की शुरुआत दिल्ली में की। इस प्रोफेशन में आने के बाद उनकी कई सामाजिक लोगों से मुलाकात हुई।
इसके इतर उन्होंने मलिन बस्तियों की उन गरीब महिलाओं का जीवन स्तर भी देखा जो अपनी आजीविका चलाने के लिए संसाधनों की मोहताज थीं। खुद महिला होने के नाते वह महिलाओं की स्थिति को भलीभांति समझती थीं। इसीलिए नौकरी छोड़कर गरीब महिलाओं को स्वावलंबी बनाने का बीड़ा उठाया। साल 2014 में अंश वेलफेयर फांउडेशन की स्थापना की और संस्था के सदस्यों के सहयोग से सामाजिक कार्यों की नींव रखी। इसी कड़ी में बिजनौर व त्रिवेणी नगर महिला प्रशिक्षण केंद्र खोले। वहां महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई व फैशन डिजाइन का निशुल्क प्रशिक्षण दे रही हैं। अब तक उन्होंने 32 महिलाओं को प्रशिक्षित कर रोजगार दिलाया है, जबकि कई महिलाओं को प्रशिक्षित कर स्वरोजगार से जोड़ा है।
बच्चों के टैलेंट को दिला रहीं मंच
श्रद्धा की टीम में 20 सक्रिय सदस्य हैं। विशेष रूप से अनूप घोष, ममता सिंह, नागेंद्र सिंह, शिवा पांडेय, आभा सिंह के सहयोग से वह बच्चों के टैलेंट को मंच भी दिला रही हैं। डांसिंग, सिंगिंग समेत विभिन्न प्रतियोगिताओं के जरिए बच्चों के हुनर को सामने लाने का मौका दे रही हैं। इसी क्रम में उन्होंने इस वर्ष जनवरी से अप्रैल तक राज्य स्तरीय कबड्डी प्रतियोगिता कराई। इसमें 25 जिलों की 480 छात्राओं ने प्रतिभाग किया।
विजेता टीम को राज्यपाल राम नाईक ने सम्मानित किया था। खास बात है कि उन्होंने इस प्रतियोगिता के लिए किसी स्कूल या खिलाड़ी से फीस नहीं ली। हां, उनके प्रयासों को देखते हुए कुछ सामाजिक संस्थाओं ने मदद का हाथ जरूर बढ़ाया। इससे उन्होंने बेहतर ढंग से यह राज्य स्तरीय प्रतियोगिता कराई।
महिला सशक्तीकरण के यह भी प्रयास
श्रद्धा ने अगस्त में गोसाईंगंज स्थित जिला कारागार में फैशन डिजाइनिंग का प्रशिक्षण शुरू किया। यहां वह महिला कैदियों को हुनरमंद बना रही हैं। इसके लिए कारागार प्रशासन ने उन्हें अनुमति भी दे दी है।
हर नवरात्र में त्रिवेणी नगर में दुर्गापूजा महोत्सव आयोजित कराती हैं। इसमें महिला सशक्तीकरण के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम कराए जाते हैं। इसके जरिए महिलाओं की सामाजिक कार्यों में भागीदारी बढ़ाने का प्रयास है।
2016 में स्त्री प्रोजेक्ट शुरू किया। इसके तहत सिंगल मदर के बच्चों की शिक्षा में मदद करती हैं। साथ ही गरीब महिलाओं को जागरूक करती हैं। उनके बच्चों का सरकारी स्कूल में दाखिला भी करा रही हैं।
कबाड़ या निष्प्रयोज्य सामानों को लोगों से लेकर उसे उपयोगी बनाकर गरीबों में बंटवाती हैं। खासकर कपड़ों के थैले, पेपर से लिफाफे व सजावटी सामान बनाती हैं। इन सामानों को गरीबों व महिलाओं को बांट कर उन्हें ऐसा करने के लिए प्रेरित करती हैं।