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लखनऊः चिकनकारी के साथ मलीहाबादी आम को मिले बढ़ावा, होगी विदेशी मुद्रा की बरसात

लखनऊ की आर्थिक स्थिति के बारे में डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विवि के पूर्व डीन एकेडमिक्स और अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. एपी मिश्रा बताते हैं कि यहां की आय का आंकड़ा 22 बिलियन डॉलर के बराबर है।

By Nandlal SharmaEdited By: Published: Fri, 10 Aug 2018 06:00 AM (IST)Updated: Fri, 10 Aug 2018 11:18 AM (IST)
लखनऊः चिकनकारी के साथ मलीहाबादी आम को मिले बढ़ावा, होगी विदेशी मुद्रा की बरसात

यूपी के नगरों के विकास को प्रति व्यक्ति आय के रूप में देखा जाए तो लखनऊ का स्थान नोएडा एवं मेरठ के बाद दूसरे स्थान पर आता है। रोजगार के मामले में लखनऊ की रैंक भारतीय शहरों में छठवीं बैठती है। यदि वस्तुओं व सेवाओं के उत्पादन के लिहाज से देखा जाए तो यह एक तेजी के साथ उभरता हुआ शहर है।

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लखनऊ की आर्थिक स्थिति के बारे में डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विवि के पूर्व डीन एकेडमिक्स और अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. एपी मिश्रा बताते हैं कि यहां की आय का आंकड़ा 22 बिलियन डॉलर के बराबर है। इस तरह आय के मामले में भारत के 15 शहरों में लखनऊ का बारहवां स्थान आता है। जहां तक प्रति व्यक्ति आय का प्रश्न है, लखनऊ की प्रति व्यक्ति आय 71846 रुपये होने का अनुमान है।

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राजधानी में बड़े उद्योगों में एचएएल, टाटा मोटर्स, एवररेडी, ओमेक्स ऑटो, स्कूटर इंडिया मौजूद हैं। लघु और मझोली औद्योगिक इकाइयां चिनहट, ऐशबाग, तालकटोरा, अमौसी और मोहनलालगंज में फैली हुई हैं। हाल के वर्षों में व्यापार का विस्तार हो रहा है। खास तौर पर शिक्षा, वाणिज्य, बैंकिंग, बीमा, खुदरा व्यापार, निर्माण और उत्थावर संपदा तथा सेवा के क्षेत्र में तेजी से वृद्धि हो रही है।

प्रदेश की राजधानी होने के नाते लखनऊ निरंतर सेवाओं के विस्तार का साक्षी भी बन रहा है। यहां पर सिडबी, पिकप का मुख्यालय है। साथ ही उत्तर प्रदेश
स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलेपमेंट कॉरपोरेशन (यूपीएसआइडीसी) और भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान के क्षेत्रीय कार्यालय भी हैं। इसके अलावा कई सरकारी और निजी कंपनियों के दफ्तर भी यहां काम कर रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि राजधानी होने के नाते यहां नीतियां तय होती हैं, जो सूबे की तरक्की की दशा और दिशा तय करती हैं।

मॉल कल्चर ने जमाए पैर
शहर के पॉश इलाकों में खुले मॉल शहरवासियों के बीच अपनी पैठ बना चुके हैं। यहां पर सहारा मॉल, फन रिपब्लिक, रिवर साइड, फीनिक्स, वेब, सिटी मॉल व सिंगापुर मॉल आदि में कारोबार लगातार बढ़ रहा है। लोग इन मॉल में ब्रांडेड चीजें खरीदने को तरजीह दे रहे हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि नगर में मॉल कल्चर ने अपने पैर मजबूती से जमा लिए हैं।

युवाओं को रोजगार देना चुनौती
मध्य वर्गीय लोगों की शहर में संख्या अधिक है। वहीं इसके साथ ही यहां कई शिक्षण संस्थान और शोध केंद्र हैं, जिनमें भी युवाओं की बड़ी संख्या है। इन युवाओं को रोजगार देना एक चुनौती है। इसकी बड़ी वजह यह है कि लखनऊ बुनियादी तौर पर उद्योगों का शहर नहीं है और बन भी नहीं सकता। जो कुछ संभावनाएं हैं, वे यहां के परंपरागत और औद्योगिक इकाइयों जैसे चिकन जरदोजी, क्राकरी आदि के कारोबार में हैं। जरूरत इस बात की है कि इन्हें बढ़ावा दिया जाए।

लखनऊ का प्रमुख उत्पाद बने चिकन
हाल ही में शुरू की गई एक जिला, एक उत्पाद योजना रोजगार के मामले में काफी कारगर साबित हो सकती है। हमें यह अच्छी तरह समझना होगा कि आर्थिक सृजनात्मकता बुनियादी तौर पर तीन बातों से निर्धारित होती हैं। इनमें एक परंपरागत ज्ञान है, जिसे विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) भी ले चुका है। दूसरा इनोवेशन और तीसरा स्टार्टअप है। प्रो. तिवारी के अनुसार इस मापदंड पर लखनऊ के परंपरागत चिकन उद्योग को दुनिया में सिर्फ तुलनात्मक लाभ ही नहीं है, बल्कि स्पर्धात्मक लाभ भी प्राप्त है।

लखनऊ जैसा चिकनकारी का काम और कहीं नहीं होता तथा इसकी विश्व में अपनी अलग पहचान है। यह जरूरी है कि इसकी तरक्की की ओर खास ध्यान दिया जाए और इसमें लगे हुए लोगों की परेशानियों को दूर किया जाए। विशेष रूप में जो श्रम शक्ति इसमें लगी है। आम लखनऊ के मलीहाबाद के आम का स्वाद पूरी दुनिया में लोगों को पसंद है। आम के इस कारोबार को अगर और अधिक विस्तार दिया जाए तो लखनऊ की अर्थव्यवस्था तो सुधरेगी ही, साथ ही लोगों को रोजीरोटी के बढ़े हुए अवसर मिलेंगे।

चिकनकारी के अलावा यह भी एक ऐसा कारोबार है, जिससे बड़े पैमाने पर विदेशी मुद्रा भी अर्जित की जा सकती है। इसके अलावा चिनहट में पॉटरी का कारोबार सरकार की पहल पर शुरू हुआ था, लेकिन इसका विकास मंद पड़ा हुआ है। इसमें भी तेजी लाकर आय एवं रोजगार को बढ़ाया जा सकता है।

ये हो तो बने बात
- राजधानी के आर्थिक विकास के लिए यहां पर पहले से मौजूद कारोबार को और मजबूती देने पर सरकार जोर दे।
- बंद हो चुके उद्योगों को नई प्लानिंग के साथ फिर से शुरू किया जाए।
- पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हेरिटेज कायम किए जाएं।
- छोटी औद्योगिक इकाइयां लगाने के लिए सरकार की ओर से करों में रियायत की जाए।
- निवेश के प्रति लोगों का रुझान बढ़ाया जाए।

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