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चिकन जरदोजी के बाद अब इन सेक्‍टर में लखनऊ बना रहा है पहचान

लखनऊ की रेवड़ी भी पहचान रही है। आज रेवड़ी उद्योग गायब हो रहा है। इसे भी सहेजने की जरूरत है।

By Krishan KumarEdited By: Published: Sat, 11 Aug 2018 06:00 AM (IST)Updated: Sat, 11 Aug 2018 06:00 AM (IST)
चिकन जरदोजी के बाद अब इन सेक्‍टर में लखनऊ बना रहा है पहचान

चिकन-जरदोजी से दुनिया में पहचान बनाने वाले शहर लखनऊ की अब नई आर्थिक पहचान उभर रही है। पिछले दो दशक में शहर के पारंपरिक उद्योगों के साथ ही यहां आईटी इंडस्ट्री, कॉल सेंटर, कार उद्योग, होटल, टूरिज्म सहित लघु उद्योगों का मजबूत आधार खड़ा हुआ है। इस नींव पर आर्थिक उन्नति की भव्य इमारत बन रही है। बावजूद इसके अमौसी, नादरगंज, तालकटोरा और चिनहट जैसे औद्योगिक क्षेत्र में पानी, सीवर और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं नदारत हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के बाद ही मल्टीनेशनल कंपनियों के आने का रास्ता सुलभ होगा।

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राजधानी में टाटा मोटर्स, कानपुर रोड पर डिफेंस इक्विपमेंट मेन्युफैक्चरिंग यूनिट सहित गोमतीनगर में टीसीएस, सीजी सिटी (चक गंजरिया) में एचसीएल और अमूल जैसी कंपनियों के स्थापित होने से रोजगार के अवसर भी खुले हैं। पिछले पांच वर्षों से शहर में करीब एक दर्जन से अधिक कॉल सेंटरों में पांच हजार से अधिक युवा नौकरी कर रहे हैं।

नादरगंज इंडस्ट्रियल एरिया के उद्योगपति शिव शंकर अवस्थी का कहना है कि हम मल्टीनेशनल कंपनियों की बात करते हैं, लेकिन शहर में काम करने वालों को तरजीह नहीं देते। यहां नालियां जाम रहती हैं, बदबू से लोगों को जीना दूभर रहता है, लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं जाता।

लघु उद्योग भारती के अवध क्षेत्र प्रभारी प्रशांत भाटिया ने बताया कि शहर में 250 से अधिक बड़े उद्योग औद्योगिक क्षेत्रों में स्थापित हैं। कई कंपनियों के बंद होने के बावजूद लघु उद्योगों के बढ़ने से आर्थिक उन्नति हुई है। पारंपरिक चिकन कारोबार की एकीकृत प्रणाली अभी नहीं बन सकी है। एक जिला एक उत्पाद के तहत इसके चुने जाने के बाद इस पारंपरिक उद्योग के बढ़ने की संभावना बढ़ी है। चिकन के कपड़ों का बाहर भी निर्यात हो रहा है।

तेजी से बढ़ा मॉल कल्चर
आर्थिक रूप से सुदृढ़ हो रहा नवाबों का शहर खरीदारी के लिए अब किराना या गारमेंट्स शॉप तक ही सीमित नहीं रहा। शहर के प्रमुख बाजारों में खुले बड़े-बड़े शॉपिंग मॉल के कारण लोगों का मॉल कल्चर की ओर तेजी से रुझान बढ़ा है। कानपुर रोड पर फीनिक्स, विशाल और वन इंडिया जैसे शॉपिंग मॉल हों या शहर के बीच स्थित सहारागंज का शापिंग मॉल, या फिर गोमती नगर में वेब, फन रिपब्लिक, वन इंडिया, अवध व अन्य मॉल। इन सबने शहर की खूबसूरती और आधुनिकता में चार चांद लगाने का काम किया है।

बड़े-बड़े होटल खुले
करीब दो से तीन दशक में लखनऊ को अंतरराष्ट्रीय स्तर के पांच सितारा होटलों की भी सौगात मिली है। होटल क्लार्क अवध के बाद अब ताज, पिकेडली, रेनेसां, हयात, हिल्टन, फेयरफील्ड सहित अन्य ने शहर को टूरिज्म सेंटर बनाने में मदद की है। कई अन्य बड़े होटल शहर में अपनी शाखाएं खोल रहे हैं, जिससे बाहर से आने वाले मेहमानों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें। पिछले कई वर्षों से उद्यमिता से जुड़े लोगों ने सिडबी की ओर से मिलने वाली सुविधाओं का लाभ उठाते हुए अपने जीवन स्तर में बदलाव हासिल करने में कामयाबी पाई है। जिला उद्योग केंद्र की ओर से ग्रामीण क्षेत्रों में लघु उद्योग लगाकर आर्थिक समृद्धि को नई दिशा दे रहे हैं।

इनवेस्टर्स समिट से जगी आस
राजधानी में देश ही नहीं विश्व भर की नामचीन कंपनियों ने फरवरी 2018 में हुए इनवेस्टर्स समिट में शामिल होकर प्रदेश में बड़े आर्थिक विकास का संदेश दिया है। इससे शहर की आर्थिक दशा बदलने की भी उम्मीद जगी है। अब तक 800 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट मंजूर हो चुके हैं। ये परियोजनाएं आर्थिक विकास की नई सीढ़ी बनेंगी। कंपनियों के इस कदम से बड़ी तादाद में युवाओं को रोजगार के अवसर जगेंगे।

ऐसे होगा विकास
- मल्टीनेशनल कंपनी की ओर से शहर में कोई बड़ा मैन्युफैक्चरिंग कारखाना नहीं लगाया गया है। इसके प्रयास करने होंगे।
- सेवायोजन कार्यालय और कौशल विकास योजना के तहत लगने वाले रोजगार मेले में अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को बुलाया जाए।
- यूपीडीपीएल और स्कूटर्स इंडिया को संजीवनी देने की जरूरत है, जिससे रोजगार के अवसर मिल सकें।
- लघु उद्योगों में बनाए गए उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बाजार देने का कोई इंतजाम नहीं है, जिससे लागत के मुकाबले मुनाफा कम हो रहा है।
- युवाओं को अधिक से अधिक नौकरी कॉल सेंटरों में मिलती है, लेकिन उनकी कमी है।
- लखनऊ की रेवड़ी भी पहचान रही है। आज रेवड़ी उद्योग गायब हो रहा है। इसे भी सहेजने की जरूरत है।

 

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