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अगर लखनऊ को चाहिए आर्थिक आजादी तो सभी उद्योगों को जोड़ें इनोवेशन से

खनऊ के संदर्भ में चिकनकारी जैसे लघु उद्योग में इनोवेटिव प्रोफेशनल्स को जोड़ने से सकारात्मक परिणाम मिलेंगे।

By Krishan KumarEdited By: Published: Thu, 09 Aug 2018 06:00 AM (IST)Updated: Thu, 09 Aug 2018 06:00 AM (IST)
अगर लखनऊ को चाहिए आर्थिक आजादी तो सभी उद्योगों को जोड़ें इनोवेशन से

आर्थिक सुदृढ़ीकरण के लिए योजनाओं का सफल क्रियान्वयन जरूरी है। मेक इन इंडिया को साकार करने के लिए नवोन्मेष की आवश्यकता है। लखनऊ के संदर्भ में चिकनकारी जैसे लघु उद्योग में इनोवेटिव प्रोफेशनल्स को जोड़ने से सकारात्मक परिणाम मिलेंगे। साथ ही मलीहाबादी आम के विपणन में इनोवेशन करना होगा। इनोवेशन विलेज स्टार्टअप जैसी महत्वपूर्ण योजना लागू करने से प्रदेश को बल मिलेगा। शिल्पग्राम को इनोवेशन से जोड़ना होगा। इन्हीं सब उपायों से लखनऊ को आर्थिक आजादी मिलेगी।

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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, उप्र में नवप्रवर्तन अधिकारी संदीप द्विवेदी अर्थव्यवस्था के सुधार और सशक्तिकरण के क्रम में जमीनी स्तर के ग्रामीण नवप्रवर्तकों (इनोवेटर्स) को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने और उन्हें उद्यमशील बनाने की दिशा में प्रयासरत हैं। संदीप कहते हैं, भारत सरकार की स्टार्टअप योजना और नवाचार आधारित उद्यम से देश की आर्थिक प्रगति में योगदान के साथ तकनीकी एवं प्रौद्योगिकी के प्रयोग से अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ किया जा सकता है।

तमाम इंजीनियरिंग, प्रबंधन और विज्ञान स्नातक समेत अन्य जो बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं। अपनी वास्तविक पढ़ाई का उपयोग उपयुक्त क्षेत्र में नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में प्रदेश की अर्थव्यवस्था का आधार कमजोर हो रहा है। इससे निपटने के लिए शहरी और ग्रामीण स्तर के अच्छे टैलेंट का एक धारा में जुड़कर काम करना जरूरी है।

प्रदेश की धड़कन लखनऊ है। योजनाओं के विस्तार से प्रदेश के विकास की आधारशिला तय होती है। सीधे तौर पर कहा जाए तो सरकारी योजनाओं को जमीन तक पहुंचाने के लिए बेहतर रणनीति और कुशल प्रबंधन को साकार करने का श्रेय राजधानी लखनऊ को ही जाता है।

बदलते प्रदेश के साथ अर्थव्यवस्था के महत्व को और अधिक व्यापक और जनोपयोगी बनाने की दिशा में उद्यमिता और नवोन्मेष एक मजबूत स्तंभ के रूप में स्थापित हो रहा है। ऐसे में पढ़े लिखे युवाओं और असंगठित क्षेत्र के तमाम नवाचारियों (इनोवेटर) को उद्यमिता की ओर उन्मुख करना अर्थव्यवस्था के पुनर्जागरण की नई पहचान है।

महिलाओं को भी जोड़ें
संदीप द्विवेदी ने वर्ष 2011 में पैडमैन के नाम से मशहूर अरुणांचलम मुरुगनाथम के व्यावसायिक विकास में बतौर एक एक्सपर्ट के तौर उनकी योजना को आगे बढ़ाने में भी योगदान दिया है। संदीप कहते हैं, लखनऊ को अगर आर्थिक रूप से सबल बनाना है तो महिलाओं के उत्थान पर काम करना होगा।

ऐसी स्थिति में सबसे बड़ा चैलेंज है आर्थिक अभियान में महिलाओं की भागीदारी तय करना। पैडमैन के मॉडल को अगर शहर में लागू किया जाए तो अर्थव्यवस्था की सुदृढ़ीकरण की दिशा में क्रांतिकारी परिवर्तन लाया जा सकता है। इससे अर्थव्यवस्था के सुधार के साथ महिलाओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा को भी बल मिलेगा।

यंग प्रोफेशनल्स की हौसलाअफजाई हो
संदीप कहते हैं, शहर में उद्योग को विकसित करने की अपार संभावनाएं हैं। इसमें चिकनकारी और जरदोजी के काम में यंग प्रोफेशनल्स को जोड़कर शहर की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाया जा सकता है। साथ ही मलीहाबादी आम को नए पैक में उपलब्ध कराकर भारतीय बाजार में विशेष पहचान के साथ किसानों की आय दोगुनी की जा सकती है।

मिशन को साकार करने में मदद
संदीप बताते हैं कि कौशाम्बी के एक नवप्रवर्तक को हाल ही में स्टार्टअप सहयोग मिला है। परिषद के इनोवेशन सेल के सहयोग से कई इनोवेटर्स को पेटेंट का आवेदन भी कराया जा चुका है। अभी 30-31 अगस्त 2018 को हैदराबाद में आयोजित होने जा रहे रूरल इनोवेटर्स स्टार्टअप कॉन्क्लेव-2018 में 11 नवप्रवर्तकों का चयन हुआ है। इससे पहले कुछ नवप्रवर्तकों को उद्यमिता प्रशिक्षण भी दिलाया गया है। इससे मेक इन इंडिया के मिशन को साकार करने में मदद तो मिल ही रही है, उसके साथ आर्थिक उन्नति के द्वार भी खुल रहे हैं।

इनोवेशन सेल की उपयोगिता
संदीप कहते हैं, इनोवेशन सेल के जरिए लगातार इनोवेटर्स को ढूंढ़ने का प्रयास किया जा रहा है। इस प्रयास से तकनीक को बल मिलेगा। रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकेंगे। प्रदेश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के इनोवेशन सेल के जरिए कई चिन्हित इनोवेटर्स को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति के द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है। आज इस सेल के जरिये तमाम ग्रामीण इनोवेटर्स को खोजने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे उन्हें उनके द्वारा किये गए इनोवेशन को आगे बढ़ाकर उन्हें आर्थिक रूप से समृद्धशाली बनाया जा सके।

इन उपायों पर करना होगा काम

  • लखनऊ की आर्थिक समृद्धि के लिए चिकनकारी और जरदोजी जैसे परंपरागत व्यवसायों को पुनर्जीवित करना होगा। बेहतर यह है कि किसी जिले के किसी विशिष्ट इनोवेशन को किसी एक गांव में लागू किया जाए। इसे इनोवेशन विलेज का नाम देकर वहां के कम पढ़े लिखे युवाओं और शहरी क्षेत्र के विशेषज्ञों को बेहतर उद्यम के लिए एक साथ जोड़ा जाए।
  • वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट को शिल्पग्राम में अंतरराष्ट्रीय व्यवसाय केंद्र के रूप में विकसित किया जाए तो लखनऊ और आसपास के जिलों के तमाम युवाओं को रोजगार के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।
  • पैडमैन के व्यावसायिक मॉडल को भी शहर में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू करने से आर्थिक सबलता आएगी।
  • स्कूली विद्यार्थियों में स्वरोजगार एवं स्वावलंबन की प्रवृत्ति विकसित करने के लिए स्कूल लेवल पर समर स्कूल ऑफ इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप की शुरुआत की जाए। इससे बच्चे तकनीक आधारित व्यवसाय की ओर उन्मुख होंगे। शहर में चल रहे विज्ञान केंद्रों को सुदृढ़ किया जाना चाहिए।
  • इंजीनियरिंग और प्रबंधन के विद्यार्थियों में रोजगार की बड़ी समस्या है। उन्हें रोजगार की दिशा में आगे लाने हेतु उच्च शिक्षण संस्थानों में स्टार्टअप हब्स को पूरी तरह संचालित किया जाए।
  • स्टार्टअप करने वाले को अतिरिक्त सुविधाएं दी जाएं।
  • शिल्पकार, किसान, लोकल मैकेनिक किसी समस्या के समाधान हेतु अपनी स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल करते हैं, जिससे समय और संसाधन दोनों की बचत होती है। उनके कार्य में मूल्य संवर्धन कर व्यावसायिक संभावनाओं को तलाशते हुए उनके इनोवेशन पर छोटी-छोटी मार्केट विकसित की जा सकती है।
  • शहर की मंडी को डिजिटल और मोबाइल पोर्टल के जरिए जोड़कर इकोनॉमी को विकसित किया जा सकता है।
  • शहर के एक बड़े मजदूर वर्ग को यदि ऑनलाइन या पोर्टल के माध्यम से जोड़ दिया जाए तो उन्हें भी पर्याप्त रोजगार के अवसर मिल सकेंगे।
  • हाइवे के किनारे पारंपरिक उत्पादों के साथ स्थानीय पर्यटन गांव विकसित करने चाहिए।

संदीप द्विवेदी

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