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राउंडटेबल कॉन्फ्रेंसः लखनऊ बने ब्रांड तो हो आर्थिक विकास

दैनिक जागरण के माय सिटी माय प्राइड अभियान के तहत आर्थिक विषयक राउंडटेबल कांफ्रेंस में लखनऊ विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष अरविंद मोहन के इस विचार पर आम सहमति जताई।

By Nandlal SharmaEdited By: Published: Sun, 05 Aug 2018 06:00 AM (IST)Updated: Wed, 08 Aug 2018 12:02 PM (IST)
राउंडटेबल कॉन्फ्रेंसः लखनऊ बने ब्रांड तो हो आर्थिक विकास

राजधानी के सच्चे आर्थिक विकास के लिए सबसे बड़ा विकल्प है, ब्रांड लखनऊ को विकसित करके प्रचारित किया जाए। देश में जो भी प्रदेश तरक्की कर रहे हैं, उनका विकास उनकी राजधानी को एक ब्रांड के तौर पर प्रस्तुत करने के बाद ही हो सका है। इसी तरह से लखनऊ को पूरी दुनिया में एक ब्रांड के तौर पर प्रस्तुत किया जाए, जिसमें लखनवी दस्तकारी को आगे करके कामयाबी पाई जा सकती है।

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दैनिक जागरण के माय सिटी माय प्राइड अभियान के तहत आर्थिक विषयक राउंडटेबल कांफ्रेंस में लखनऊ विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष अरविंद मोहन के इस विचार पर आम सहमति जताई। कांफ्रेंस में शहर में उद्योग, कारोबार और आर्थिक क्षेत्र के विशेषज्ञ मौजूद रहे। इस दौरान राजधानी के आर्थिक स्तर को शहर के विकास और शिक्षा स्तर से जोड़कर विशेषज्ञों ने अपनी राय व्यक्त की। औद्योगिक क्षेत्र में व्याप्त समस्याएं, दस्तकारों की खराब स्थिति, रोजगार के अवसर बढ़ाने के रुके प्रयासों पर चर्चा की गई। लगभग डेढ़ घंटे की परिचर्चा में न केवल समस्याओं पर बातचीत हुई बल्कि उनके समाधान भी विचारे गए।

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हमने अब तक लखनऊ को ब्रांड नहीं बनाया
लखनऊ यूपी के बीच में है। आगरा एक्सप्रेस-वे से जुड़ा हुआ है। यहां सारी संभावनाएं हैं। साल 1991 में आर्थिक सुधार शुरू हुए। अनेक राज्यों ने लाभ पाए मगर यूपी को नहीं मिले, जहां बड़ा और मझोले उद्योग थे उनको लाभ मिला। यहां छोटे उद्योग हैं। आंध्र प्रदेश जब बदला तब ब्रांड हैदराबाद था, मगर लखनऊ को बतौर ब्रांड कभी विकसित नहीं किया गया है। हमने कभी भी विकास की मार्केटिंग नहीं कि, ब्रांड लखनऊ नहीं बनाया। हम ब्रांड लखनऊ बनाएंगे तो उससे पूरा यूपी आगे बढ़ेगा। साल 1990 में हम लखनऊ को आइटी सिटी मान रहे थे मगर हो नहीं पाया। बड़ी चुनौती थी। लखनऊ में 12 नेशनल साइंस लैब हैं, कहीं भी नहीं। इसलिए लखनऊ को पहली बायोटेक्नालॉजी सिटी क्यों न घोषित किया जाए। हमें लखनऊ को ग्लोबल सिटी बनाने के लिए काम करना होगा।
- अरविंद मोहन, विभागाध्यक्ष, अर्थशास्त्र विभाग, लविवि

आर्थिक विकास के लिए सबसे जरूरी जनभागीदारी
मेरे लिए आर्थिक या किसी भी तरह के विकास के लिए बहुत जरूरी है जनभागीदारी। इसी के माध्यम से शहर को आगे बढ़ाया जा सकता है। एक उदाहरण अपशिष्ट प्रबंधन है, जिसमें लोग सहयोग करके शहर को साफ सुथरा बना सकते हैं। जमीनी स्तर पर विकास को जनभागीदारी से ही उतारना होगा। राजधानी की प्रति व्यक्ति आय का स्तर सूबे की आय से ऊंचा है। विकास के मामले लखनऊ की स्थिति बेहतर है। जिस रफ्तार से आबादी और नौकरियां बढ़ रही हैं। जनभागीदारी की जरूरत है। चिकन और जरदोजी का बाजार पूरे विश्व मे है। कारीगरों की चिंता की जाए। विदेशी मुद्रा अर्जित हो सकती है। चिनहट में पॉटरी उद्योग को बढ़ावा नहीं मिला है, इसे और अधिक मजबूती से उठाना होगा।
- एपी तिवारी, अर्थ विशेषज्ञ, पूर्व प्रोफेसर शकुंतला देवी विश्वविद्यालय

योजनाएं केवल वादों तक न रहें फंड भी मिले
योजनाएं केवल वादे तक न रहें। इससे युवाओं की जरूरतें पूरी नहीं होती हैं। बैंक साथ दें तो युवा पीछे नहीं रहेंगे। सरकारी महकमे फंड नहीं दे रहे हैं। हमने महिलाओं को तकनीक दी मगर फंड नहीं मिले। इसलिए सबसे पहले सरकार फंड की व्यवस्था करवाए। ताकि महिलाओं और युवाओं को आर्थिक समृद्ध होने का मौका मिल सके।
- शालिनी, उद्यमी और आर्थिक विशेषज्ञ

विशेषज्ञों के सुझाव
जनसहभागिता के साथ लखनऊ को एक मॉडल शहर के रूप में विकसित करना होगा। यहां की प्राचीन और ऐतिहासिक इमारतों को पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनाने पर काम करना होगा।
- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री, प्रोफेसर, स्तंभकार

सीडीआरआई जैसे करीब 12 राष्ट्रीय स्तर के शोध संस्थान शहर में हैं। इनके द्वारा किए गए कार्यों का लाभ स्थानीय स्तर पर भी लिया जा सकता है। जरदोजी के काम में लगे लोगों को सशक्त बना कारोबार को बढ़ावा देने की जरूरत है। लामाट्र्स की इमारतों को पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित किया जा सकता है।
- डॉ. ध्रुव कुमार तिवारी, विद्यांत हिंदू पीजी कॉलेज

सरकार को होटल आदि के लिए मुनासिब कीमतों पर जमीन उपलब्ध कराना चाहिए। इससे न सिर्फ आर्थिक दृष्टिकोण से बल्कि बड़े पैमाने पर रोजगार भी मिल सकेंगे। इसके अलावा इंडस्ट्रियल क्षेत्र को भी प्रमोट करना होगा।
- श्याम किशनानी, डायरेक्टर लिनेज होटल, गोमती नगर

बढ़ती जनसंख्या को ध्यान में रखकर लखनऊ के आर्थिक विकास पर काम करना होगा। कह सकते हैं कि राजधानी को आर्थिक दृष्टि से मजबूत करना है तो डिसेंट्रलाइज तरीके से हमें विकास का मॉडल तैयार करना होगा। और उसी पर काम करना होगा।
- एमके अग्रवाल, अर्थशास्त्र विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय

शहर को वन डिस्ट्रिक्ट और वन नेशन की तर्ज पर आगे बढ़ाया जा सकता है। ग्रामीण क्षेत्र में इनोवेशन सेंटर स्थापित कर युवाओं को रोजगार से जोड़ा जा सकता है। शहर की ऐतिहासिक धरोहरों को संवार कर उसे टूरिज्म से जोड़ा जा सकता है।
- संदीप द्विवेदी, इनोवेशन ऑफिसर, काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी

पर्यटन के लिहाज से हो या कारोबार के लिहाज से शहर को अतिक्रमण से हर हाल में मुक्त कराना होगा। आर्थिक विकास के लिए चंडीगढ़ की तर्ज पर लखनऊ प्रशासन को होमवर्क करना होगा।
- प्रो. एनएमपी वर्मा, प्रोफेसर एंड डीन, बीबीएयू

इंडस्ट्रियल एरिया को प्रमोट करना होगा। इस क्षेत्र में विशेष में सीवर, ड्रेनेज आदि की प्रॉपर प्लानिंग कर इंडस्ट्रीज को प्रमोट किया जाए और उत्पादन को प्रोत्साहित किया जाए, जिससे निर्यात से भी अच्छा लाभ कमाया जा सके।
- रजत मेहरा, महामंत्री, अमौसी इंडस्ट्रीज एसोसिएशन

इंडस्ट्री लगाने के लिए सरकार और बैंक की ओर से क्या-क्या सहयोग मिलता है, इस बात की जानकारी शिक्षा के साथ ही युवाओं को दी जाने चाहिए। यहां पैदा होने अथवा निर्मित उत्पादों को निर्यात कर कैसे अधिक लाभ कमाया जा सकता है, इस ओर बेहतर ढंग सभी की जिम्मेदारी सुनिश्चित करनी होगी।
- पवन तिवारी, सीएमए

किसान पथ के बगल में इंडस्ट्रियल एरिया विकसित करने की जरूरत है। अन्यथा इन स्थानों पर छोटे-छोटे बिल्डर काबिज हो जाते हैं। इसके अलावा मुर्दा इंडस्ट्री को भी नई प्लानिंग के साथ जिंदा करने की जरूरत है।
- सुनील सिंह, सीएमए और अध्यक्ष नार्दन इंडिया रीजनल काउंसिल

छोटे उद्योगों का लखनऊ में काफी अभाव है। यदि इस कमी को दूर कर लिया जाए तो निश्चित तौर पर उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे।
- आनंद कुमार सिंह, प्रदेश सचिव, लघु उद्योग भारती

बड़े उद्योगपतियों को अपने शहर की ओर आकर्षित करने के लिए प्लानिंग करनी होगी, जितने बड़े उद्यमियों को हम शहर से जोड़ेंगे, आर्थिक रूप से हम उतना ही उन्नत करेंगे।
- ताहिर अली, सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी

निवेश से जुड़ी योजनाओं की बेहतर ढंग से मॉनिटरिंग की जाए। प्रोजेक्ट्स का फॉलोअप होता रहे। निवेश के साथ रोजगार पर भी जोर रहे, जिससे यहां की आय यहीं पर व्यय हो।
- रंजीत सिंह, सीएमए

राजधानी में आने वाले सैलानियों की संख्या में इजाफा हुआ है। मगर इसे निरंतर वृद्धि हो, इसके लिए शहरवासियों को तहजीब की धरोहर को बरकरार रखना होगा।
- प्रो. धर्म कौर, प्राचार्या, विद्यांत पीजी कॉलेज

हमारी धरोहर ही हमारी संपदा है। उसी से हमें आर्थिक लाभ होता रहा है। अगर बड़े उद्यमियों का रुख हम अपनी ओर करना चाहते हैं तो इसके लिए हमें अपने शहर को मॉडल शहर के तौर पर तैयार करना होगा।
- अनुज तिवारी, कंपनी सेक्रेटरी

शहर की आर्थिक उन्नति के लिए उद्यमियों की जरूरतों को पूरा करना होगा। उन्हें सुविधाएं मुहैया करानी होंगी। हालात यह है कि इंडस्ट्रलिस्ट को अपनी सुविधाओं, सहूलियत और जरूरतों के लिए सालों से लड़ाई लड़नी पड़ रही।
- शिवशंकर अवस्थी, अध्यक्ष, अमौसी इंडस्ट्रियल एसोसिएशन

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