लखनऊः साइबर सुरक्षा बहुत जरूरी, जागरूकता से होगा बचाव
वूमेन पावर लाइन 1090 की पुलिस उपाधीक्षक बबीता सिंह का कुछ यही मानना है।
राजधानी सुरक्षित हुई है। वूमेन पावर लाइन समेत अन्य हेल्पलाइन नंबर सुरक्षा का माहौल बनाने में सहायक साबित हुए हैं। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में भी सराहनीय प्रयास किए गए हैं। इन सभी योजनाओं की सफलता उनके सही क्रियान्वयन पर ही निर्भर है। लोगों के बीच जाकर उनकी समस्याओं को सुनने और उनके निस्तारण से विश्वास का भाव जगता है।
वूमेन पावर लाइन 1090 की पुलिस उपाधीक्षक बबीता सिंह का कुछ यही मानना है। उनके अनुसार इसके साथ-साथ काल्पनिक दुनिया में भी सुरक्षा जरूरी है। बढ़ती तकनीक के साथ साइबर सुरक्षा एक चुनौती के रूप में सामने खड़ी है। ऐसे में हमें इस दिशा में और काम करने की जरूरत है। जागरूकता से ही सुरक्षा आएगी।
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मूलत: प्रतापगढ़ निवासी बबीता सिंह ने पुलिस विभाग चार अक्टूबर 2010 को ज्वॉइन किया। इससे पूर्व वह व्यापार कर अधिकारी, व्यापार कर विभाग और सहायक प्रबंधक, सहकारी समितियां के पद पर उप्र शासन में सेवा कर चुकी हैं। वर्ष 2010 से 2015 तक लखनऊ पुलिस में विभिन्न सर्किल में क्षेत्राधिकारी के पद पर तैनाती रही हैं। वर्ष 2015 का पुलिस महानिदेशक उप्र द्वारा उत्कृष्ट कार्य हेतु प्रशंसा पत्र प्रदान किया गया। तब से अब तक महिला उत्पीड़न की रोकथाम हेतु उप्र पुलिस द्वारा चलाई जा रही वूमेन पावर लाइन-1090 में कार्यरत हैं।
साइबर सुरक्षा बहुत जरूरी
सोशल मीडिया के प्रयोग की तुलना में सुरक्षा के उपाय की जानकारी एवं इसका प्रयोग अत्यंत कम है। एक सर्वे के मुताबिक साइबर स्पेस में असुरक्षित देशों की सूची में भारत तीसरे स्थान पर है। महिलाएं साइबर उत्पीड़न का आसानी से शिकार हो रही हैं। ऐसे में जरूरी है कि शहरवासी इन जरूरी सुरक्षा उपायों पर ध्यान दें-
- सोशल मीडिया अकाउंट और मेल आईडी आदि स्वयं बनाएं।
- पासवर्ड कठिन बनाएं और किसी से शेयर न करें।
- प्राइवेसी सेटिंग एक्टिवेट रखें और अपडेट करते रहें।
- साइबर स्पेस में उन्हें ही मित्र बनाएं, जिन्हें आप जानते हैं।
- व्यक्तिगत एवं अनावश्यक कोई भी जानकारी न दें।
- अनावश्यक किसी लिंक को क्लिक न करें।
- अपना फोन या लैपटॉप किसी को देने में सावधानी बरतें।
- प्रत्येक साफ्टवेयर को अपडेट करते रहें और अपना पासवर्ड 90-180 दिन तक बदलते रहें।
सर्वोपरि है महिला सुरक्षा
हमारे समाज में सुरक्षा के नाम पर बच्चियों की पढ़ाई बंद करा दी जाती है। सुरक्षा की दुहाई देते हुए उनका बाल विवाह भी करा देते हैं। महिलाओं के आगे बढ़ने में, मुकाम हासिल करने में असुरक्षा का हवाला देते हुए अनेक बाधाएं खड़ी मिलती हैं। महिलाओं की एक व्यक्ति के रूप में स्वीकार्यता, उनके व्यक्तित्व विकास एवं देश की तरक्की में आधी आबादी के समुचित योगदान के लिए आवश्यक है कि हम उनकी सुरक्षा को सर्वोपरि रखें।
सही समय और सही तरीके से प्रतिक्रिया
किसी आपत्तिजनक बर्ताव और व्यवहार की शुरुआत में ही प्रतिक्रिया देना सुरक्षा को बढ़ाता है। चुप रहकर बर्दाश्त करने के बजाए यदि महिलाएं खुलकर प्रतिरोध करती हैं तो न केवल अपने प्रति होने वाले अपराध को रोकती हैं बल्कि उनके आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है।
यह आत्मविश्वास जीवन में आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करता है। समस्या होने पर कहां शिकायत करनी है और किस प्रकार करनी है, इसकी जानकारी अवश्य रखें। डॉयल 100, 1090, 181, साइबर सेल, यूपी पुलिस की ट्विटर सेवा आदि के बारे में जानकारी रखें।
लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाना जरूरी
बबीता के अनुसार लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने संबंधी प्रशिक्षण कार्यक्रमों का बढ़ावा देने की जरूरत है। उन्होंने लखीमपुर खीरी की थारू जनजाति की लड़कियों को समाज सेवी संस्थानों की मदद से विशेषकर कंप्यूटर प्रशिक्षण दिलाकर आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में उल्लेखनीय काम किया भी है। वर्तमान में सात थारू लड़कियां कॉल टेकर के रूप में काम कर रही हैं।
चलने चाहिए 'पहल' जैसे अभियान
बबीता सिंह के अनुसार वर्ष 2013-14 में दुष्कर्म पीड़िता बालिकाओं/महिलाओं की काउंसिलिंग और उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने के लिए पुलिस, समाज सेवी संस्थाओं और चिकित्सकों को साथ लेकर 'पहल' नाम से अभियान चलाया गया था। इसमें राजधानी समेत अन्य जगहों की 123 पीडि़ताओं की न केवल काउंसिलिंग की गई, बल्कि उन्हें समाज की मुख्यधारा में वापस लाने में मदद की गई। ऐसे कार्यक्रम निरंतर चलाए जाएं तो पुलिसिंग की तस्वीर बहुत हद तक बदली जा सकती है।
इन पर काम करने की जरूरत
- हर प्रमुख चौराहे पर सीसीटीवी लगें। उनकी मॉनिटरिंग भी होती रहे।
- हर थाना प्रभारी अपने क्षेत्र में हफ्ते में कम से कम एक दिन अधिक से अधिक व्यक्तियों से मुलाकात करे।
- स्कूलों में छात्राओं को महिला उत्पीड़न, साइबर अपराध से बचाव के लिए जागरूक किया जाना चाहिए।
- पुलिस में महिलाओं की ज्यादा से ज्यादा भागीदारी महिला सुरक्षा की दृष्टि में सहायक होगी।
- लैंगिक संवेदनशीलता जैसे विषय पर पुलिस तथा अन्य विभागों में निरंतर प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
- विभागों को नई तकनीक से जोड़ा जाना चाहिए।
- बाल मित्र पुलिस थाने की व्यवस्था और सुदृढ़ हो।
- बाल अपराध से जुड़े मामलों के निस्तारण में संवेदनशीलता का पाठ भी पढ़ाया जाए।
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