पहले अजादारी की इजाजत फिर आएंगे पयर्टक: मौलाना कल्बे जवाद
लखनऊ में जिला प्रशासन की अनुमति के बाद आज खुलना था इमामबाड़ा मौलाना कल्बे जवाद ने कहा कि पहले प्रशासन अजादारी की इजाजत दे इसके बाद ही पर्यटक इमामबाड़े के अंदर जा सकते हैं। मौलाना ने कहा जब पर्यटक आ सकते हैं तो धार्मिक आयाेजन क्यों नहीं हो सकते हैं।
लखनऊ, जेएनएन। पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन की अनुमति के बाद गुरुवार से खुलने वाले इमामबाड़े को लेकर एक नया पेंच फंस गया है। शिया धर्म गुरु मौलाना कल्बे जवाद ने कहा कि पहले प्रशासन अजादारी की इजाजत दे, इसके बाद पर्यटक अंदर जाएंगे।एक ओर जहां पर्यटकों को बड़े इमामबाड़े का गेट खुलने का बेसब्री से इंतजार है, तो वहीं दूसरी ओर ई-टिकट के बाद अब इमाबाड़े का गेट खुलने को लेकर नया पेंच फंसने से उनका इंतजार अभी बढ़ सकता है।
इमाम-ए-जुमा मौलाना कल्बे जवाद ने चेतावनी देते हुए कहा कि प्रशासन पहले धार्मिक आयोजन (अजादारी) की इजाजत दें, फिर इसके बाद पर्यटकों के लिए बड़े इमामबाड़े का गेट खोलें। जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने मंगलवार को गुरुवार से इमामबाड़ा खोलने की अनुमति प्रदान की थी। गेट खुलने के एक दिन पहले बुधवार को मौलाना कल्बे जवाद ने बड़े इमामबाड़े में मीडिया से कहाकि प्रशासन में बैठे कुछ लोग अपने फैसलों से लगातार शिया समुदाय की भावनाओं को आहत कर रहें हैं। जिसे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने प्रशासन पर शिया समुदाय के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया। मौलाना ने कहा कि इमामबाड़े में मजलिस-मातम करने की इजाजत दिए बिना पर्यटकों को इमामबाड़े का प्रवेश की इजाजत दी गई, तो समुदाय के लोगों को भी इमामबाड़े में आजादारी करने से रोका नहीं जा सकता। मौलाना ने कहा कि इमामबाड़े की तामीर आजादारी के लिए की गई थी। इमामबाड़ा धार्मिक स्थल हैं, न की पर्यटन स्थल। कोरोना संक्रमण के चलते मुहर्रम पर सरकार व प्रशासन का पूरा सहयोग दिया गया, लेकिन इमामबाड़े में जब पर्यटकों को जाने की इजाजत है तो आजादारी को रोकना ठीक नहीं है। वहीं दूसरी आेर रेजीडेंसी खुली रहेगी।