लखनऊ: नेशनल इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य उमाशंकर सिंह के कई और कारनामे उजागर
गबन और छेड़खानी के पहले भी लगे थे आरोप। गलत कामों से पहले से रहा नाता।
लखनऊ, जेएनएन। सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा के दौरान नेशनल इंटर कॉलेज में हुई गड़बड़ी के मामले में कई चौंकाने वाले सच सामने आए हैं। अनियमितता के आरोप में जेल भेजे गए प्रधानाचार्य उमाशंकर सिंह को विभागीय वरदहस्त प्राप्त था। इसके चलते करीब एक दशक से अधिक समय से उमाशंकर बतौर प्रधानाचार्य गलत कामों को अंजाम दे रहा था।
रविवार को उमाशंकर के कारनामे से शर्मसार हुए नेशनल इंटर कॉलेज में मंगलवार को सन्नाटा रहा। यह बात और थी कि अवकाश के कारण बच्चे नहीं थे। मगर विद्यालय में शिक्षक और स्टाफ के बीच उमाशंकर के कारनामे ही चर्चा में रहे। वहीं विद्यालय के बाहर से गुजरने वालों का नजरिया भी बदला बदला सा दिखा।
'सत्र लाभ' का उठा रहा था फायदा
सहायक अध्यापक भर्ती में गड़बड़ी के आरोपी प्रधानाचार्य उमाशंकर सिंह को जून 2018 में सेवानिवृत्त होना था। मगर विभागीय अधिकारियों ने सत्र लाभ दिया। महज दो माह बाद ही उमाशंकर को रिटायर होना था। विद्यालय से जुड़े लोगों की मानें तो 2008, 2009 में उमाशंकर पर गबन समेत 26 आरोप लगे थे। इस पर उन्हें निलंबित किया गया था। बाद में बहाल हो गए थे।
डीआइओएस से लेकर जेडी तक का हासिल था वरदहस्त
2008 में प्रधानाचार्य रहे डॉ. दशरथ सिंह चौहान को 30 जून को रिटायर होना था। मगर संयुक्त निदेशक और डीआइओएस के बलबूते उमाशंकर को दो दिन पहले ही प्रधानाचार्य पद पर ज्वाइन करा दिया गया। इससे पहले फैजाबाद में मनोहर लाल इंटर कॉलेज में तैनाती के दौरान भी उमाशंकर कारनामे के चलते सुर्खियों में रहे। कर्मचारियों के मुताबिक तत्कालीन डीआइओएस की ओर से उमाशंकर पर 420 का मामला भी दर्ज कराया गया था। वहीं नेशनल इंटर कॉलेज का प्रधानाचार्य रहने के दौरान 12 मार्च 2018 को विद्यालय की छात्राओं से छेड़छाड़ किए जाने का मामला सामने आया। तब भी निलंबित हुए थे।
पहले ही कर ली थी परीक्षा के बाद की प्लानिंग
6 जनवरी को सहायक शिक्षक भर्ती की परीक्षा थी। उमाशंकर सिंह सात और आठ जनवरी को शहर से बाहर जाना चाहता था। इस संबंध में पहले से प्लानिंग कर ली थी और अपनी अवकाश की लिखित सूचना और जिम्मेदारी विद्यालय के शिक्षक डॉ. आरपी सिंह को थमा दी।
डॉ. आरपी सिंह बने कार्यवाहक प्रधानाचार्य
नेशनल इंटर कॉलेज में ङ्क्षहदी विभाग के प्रवक्ता डॉ. आरपी सिंह को कार्यवाहक प्रधानाचार्य बनाया गया है। डॉ. सिंह का कहना है कि वह विद्यालय की धूमिल हुई छवि को फिर से बनाने का प्रयास करेंगे।