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उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों के पास भव्य घर नहीं 'राजमहल'

लगभग सभी पूर्व मुख्यमंत्री कहने को तो सरकारी बंगले में रहते हैं लेकिन भव्यता राजमहल सरीखी ही है। विशेष तौर पर मायावती और अखिलेश यादव के लिए सरकारों ने खजाने का मुंह खोल रखा था।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Tue, 08 May 2018 02:46 PM (IST)Updated: Tue, 08 May 2018 05:53 PM (IST)
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों के पास भव्य घर नहीं 'राजमहल'
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों के पास भव्य घर नहीं 'राजमहल'

लखनऊ (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश के लगभग सभी पूर्व मुख्यमंत्री कहने को तो सरकारी बंगले में रहते हैं लेकिन इन घरों की भव्यता किसी राजमहल सरीखी ही है। विशेष तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री मायावती और अखिलेश यादव के लिए खुद उनकी ही सरकारों ने खजाने का मुंह खोल रखा था।

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यही वजह है कि इन बंगलों में घुसते ही आंखें चौंधिया जाती हैं। कहीं इटैलियन मार्बल लगे हैं तो कहीं पत्थरों की तराश चमत्कृत कर देती है। अन्य पूर्व मुख्यमंत्रियों के बंगले इतने आधुनिक भले ही न हों लेकिन इतने विशाल हैं कि किसी को भी अपनी ओर आकर्षित करने में सक्षम हैं।

पूर्व मुख्यमंत्रियों से बंगले खाली कराने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का असर प्रदेश में छह राजनेताओं पर पड़ेगा। राजनाथ सिंह और कल्याण सिंह को भाजपा सरकारों में मुख्यमंत्री रहने की वजह से बंगला मिला हुआ है तो समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनके पिता मुलायम सिंह यादव को भी आवास आवंटित है।

एनडी तिवारी कांग्रेस शासनकाल में मुख्यमंत्री रह चुके हैं तो बसपा सरकार में मायावती रही थीं। पूर्व मुख्यमंत्री रामनरेश यादव के पास भी सरकारी बंगला था लेकिन उन्होंने उसे खाली कर दिया था। पूर्व मुख्यमंत्रियों को इन बंगलों में जीवन भर रहने का अधिकार मिला हुआ था। इसके बाद मायावती ने बनाया था 'एक्स चीफ मिनिस्टर्स रेजिडेंस अलाटमेंट रूल्स।

पूर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी, विश्वनाथ प्रताप सिंह, वीर बहादुर सिंह और हेमवतीनंदन बहुगुणा, श्रीपति मिश्र को भी बंगले मिले थे। 1997 में हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद वीपी सिंह, कमलापति त्रिपाठी, हेमवतीनंदन बहुगुणा और श्रीपति मिश्रा के आवास खाली हो गए थे मगर मायावती की गठबंधन सरकार ने 'एक्स चीफ मिनिस्टर्स रेजिडेंस अलाटमेंट रूल्स 1970 बना कर एक बार फिर बंगलों पर कब्जा जमाये रखने का इंतजाम कर दिया।

नियम के बाद पूर्व मुख्यमंत्रियों के बंगले में जमे रहने का मार्ग निकल आया और पुराने नामों में मुलायम, मायावती, राजनाथ, कल्याण, अखिलेश आदि की शृंखला जुड़ती गई। आवास को भव्यता देने की शुरुआत हालांकि वीर बहादुर सिंह के ही कार्यकाल में हो गई थी जिसे मुलायम सिंह ने भी अपनाया। राजमहल जैसी भव्यता देने की शुरुआत मायावती ने की, जिसे अखिलेश ने आगे बढ़ाया।

2016 में भी हुआ था बंगले खाली करने का आदेश

पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास आवंटित किए जाने के खिलाफ एक सामाजिक संगठन लोक प्रहरी ने कोर्ट में चुनौती दी थी। एक अगस्त 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने 1997 के मुख्यमंत्री आवास आवंटन नियमों को गलत बताते हुए पूर्व मुख्यमंत्रियों को ताउम्र सरकारी बंगले देने का प्रावधान रद कर दिया था। अदालत ने सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को दो महीने में बंगले खाली करने और उनसे किराया वसूली का भी आदेश दिये थे।

इसके बाद अखिलेश सरकार ने 30 अगस्त, 2016 को उत्तर प्रदेश मंत्री (वेतन, भत्ता और प्रकीर्ण उपबंध) (संशोधन) विधेयक पारित कराया था। इस विधेयक से पूर्व मुख्यमंत्रियों के बंगले बच गए थे। इस कानून को लोक प्रहरी ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में अगस्त 2017 में चुनौती दी जिस पर रविवार को फैसला आया।

सबके पास अपने घर भी

सुप्रीम कोर्ट ने जिन पूर्व मुख्यमंत्रियों से बंगले खाली करने को कहा है, उनके पास अपने घर भी हैैं। चुनावी हलफनामों के अनुसार मायावती के पास करोड़ों की संपत्ति के साथ दिल्ली व लखनऊ में अपने घर हैं। मुलायम सिंह यादव के पास भी करोड़ों की सम्पत्ति के साथ इटावा, सैफई और लखनऊ में एक-एक घर है।

राजनाथ सिंह के पास भी लखनऊ में अपना घर है। एक तथ्य यह भी है कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को जब सरकारी आवास आवंटित हुए तो उनके परिसर का दायरा सीमित था लेकिन बाद में वह बढ़ता गया।

कुछ बंगले ट्रस्ट के नाम

पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह का बंगला अब उनके ही नाम से बने एक ट्रस्ट के नाम है। इसी तरह हेमवती नंदन बहुगुणा के नाम पर भी ट्रस्ट बनाया गया था। मायावती ने अपने बंगले को बाद में जो विस्तार दिया, उसे ट्रस्ट के नाम से आवंटित किया गया है।

क्या कहना है सरकार का

राज्य संपत्ति अधिकारी, योगेश कुमार शुक्ल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले की प्रति अभी राज्य सरकार को प्राप्त नहीं हुई है। आदेश मिलने के बाद उसका अध्ययन कर इस मामले में कदम आगे बढ़ाए जाएंगे।

एक बानगी

-पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का आवास : 13 ए, मॉल एवेन्यू

कुल एरिया : क्षेत्रफल 2164 वर्ग मीटर, किराया : 12,500 रुपया प्रतिमाह

मायावती 1995,1997, 2002 और 2007 में सूबे की मुख्यमंत्री रहीं। मुख्यमंत्री रहते हुए मायावती ने आवास में एक सरकारी दफ्तर की ढाई एकड़ भूमि को मिलाकर इसका निर्माण कराया था।

उस समय इसके कंस्ट्रक्शन और रिनोवेशन पर 86 करोड़ रुपये खर्च हुए थे।

खासियत : बुलेटप्रूफ खिड़कियां, इटैलियन मार्बल।

-पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का आवास : चार विक्रमादित्य मार्ग

कुल क्षेत्र : 1535 वर्गमीटर, किराया : 13,500 रुपया प्रतिमाह

2007 से 2012 तक मुख्यमंत्री रहे।

मुख्यमंत्री रहते हुए अखिलेश यादव ने इसका निर्माण कराया। लागत पर करोड़ों रुपये खर्च हुए हैं लेकिन, जिसका सही अनुमान अब तक नहीं लगाया जा सका।

खासियत : अरेबियन एंटीक अंदाज, स्टाइलिश गार्डन

- पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव : पांच, विक्रमादित्य मार्ग

1989, 1993 और 2003 में मुख्यमंत्री रहे। क्षेत्रफल - 2436 वर्ग मीटर

किराया-13,500 रुपये।

- पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह : 4 कालिदास मार्ग

सन 2000 में राजनाथ प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। क्षेत्रफल -705 वर्ग मीटर, किराया-5,320 रुपये

- पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह : 2 माल एवेन्यू

1991 और 1997 में मुख्यमंत्री रहे। क्षेत्रफल- 1468 वर्गमीटर, किराया-12,500 रुपये।

- पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी : माल एवेन्यू

1976, 1984, 1988 में मुख्यमंत्री रहे। क्षेत्रफल 1046 वर्ग मीटर। किराया-7,550 रुपये। 


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