यह इंजीनियर दंपती विदेश की नौकरी छोड़ कर रहा स्वदेश की सेवा
इंजीनियर आलोक सिंह और उनकी पत्नी सरकारी स्कूलों में निश्शुल्क बनवा रहे शौचालय। पिछले 11 महीनों में करीब 35 नए शौचालय लखनऊ और आगरा में स्थापित किए हैं।
लखनऊ(ऋषि मिश्र)। वृक्ष कितना भी बड़ा क्यों न हो जाए, जड़ों से रिश्ता कभी नहीं छूटता। इसकी मिसाल हैं आलोक और मोनिका सिंह, जो देश सेवा के लिए अमेरिका में शानदार नौकरी और आराम की जिंदगी छोड़कर स्वदेश वापस आ गए। अब दोनों का एक ही लक्ष्य है, सरकारी स्कूलों में शौचालयों का निर्माण। लगन देखकर अब एक गैर सरकारी संगठन सेवा इंटरनेशनल भी इनकी मदद कर रहा है। दंपती ने राज्य सरकार को भी मदद के लिए लिखा है। ये मलिन बस्तियों में बच्चों को पढ़ाने में मदद कर रहे हैं।
लखनऊ के गोमती नगर विभूतिखंड में रहने वाले आलोक सिंह बताते हैं कि उन्होंने मास्टर्स इन इंजीनियरिंग इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बेंगलुरु से 1999 में पूरी की। उनकी पत्नी मोनिका सिंह भी इंजीनियर हैं। 2008 में नौकरी की शुरुआत की। बाद में परिवार के साथ अमेरिका में दुनिया की नंबर एक सेमीकंडक्टर कंपनी में नौकरी शुरू की।
2012 में अन्ना आंदोलन से प्रेरित होकर आलोक ने अमेरिका में नौकरी छोड़कर भारत की ओर रुख किया। शुरुआत में वह आंदोलन में सक्रिय हुए। मगर जब आंदोलन में राजनीति हावी होने लगी तो उन्होंने आंदोलन छोड़ दिया। आलोक बताते हैं कि वह उत्तर प्रदेश में आकर समाज की बेहतरी के लिए काम करने लगे।
गरीबों को दिलाया मकान और शिक्षा: राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल के पीछे स्थित स्लम एरिया के बच्चों की शिक्षा में मदद की। सरकार से वार्ता कर करीब 300 परिवारों को दुबग्गा बसंतकुंज की डूडा कॉलोनी में मकान दिलाया। इन परिवारों के लिए सस्ते लोन का इंतजाम किया।
बच्चों की सुरक्षा को विकसित की तकनीक:स्कूली बच्चों की सुरक्षा को अत्यंत संवेदनशील व जरूरी मानते हुए बिना किसी की मदद के एक टेक्नोलॉजी प्लेटफार्म 'मिशन भरोसा' तैयार किया है। जिलों में यह लांच हुआ और परिवहन राज्य मंत्री स्वतंत्र देव ने भी इसका महत्व समझा है।
खुद खड़े होकर बनवाते हैं स्कूलों में शौचालय: आलोक की पत्नी मोनिका बताती हैं कि वह खुद सरकारी स्कूल जाती हैं। लखनऊ शहर और देहात के करीब 80 स्कूलों में गई हैं। पिछले 11 महीनों में करीब 35 नए शौचालय लखनऊ और आगरा में स्थापित किए हैं। खुद मिस्त्री और मजूदर खोजकर निर्माण सामग्री खरीदती हैं। प्रथम चरण में 30 स्कूलों का जीर्णोद्धार कराने के लिए भी चयन कर लिया है, जहां काम चालू हो चुका है।
इसको देखकर सेवा इंटरनेशनल ने संपर्क किया। लखनऊ और आगरा के टॉयलेट उन्होंने स्पांसर किये हैं। टॉयलेट के सिविल वर्क के लिए हम अगर जरूरत पड़ती है तो शुभचिंतकों से मदद लेते हैं। आगरा में 10 बायो टॉयलेट बनवाए गए हैं। हमने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर बाकायदा प्रथम चरण में बनाए गए सभी टॉयलेट को सरकार को सौंपने का प्रस्ताव भेजा, जिसको सरकार ने मान भी लिया है।
बच्चों की सुरक्षा को विकसित की तकनीक:स्कूली बच्चों की सुरक्षा को अत्यंत संवेदनशील व जरूरी मानते हुए बिना किसी की मदद के एक टेक्नोलॉजी प्लेटफार्म 'मिशन भरोसा' तैयार किया है। जिलों में यह लांच हुआ और परिवहन राज्य मंत्री स्वतंत्र देव ने भी इसका महत्व समझा है।