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Ayodhya News: इस प्राचीन शिव मंदिर में रोज बदलता है मुख्य पुजारी, जान‍िए क्‍या है अनूठी परंपरा

Ayodhya News प्रतिदिन अलग जाति का पुजारी करता है अभिषेक। सदियों पुराने शिव मंदिर के जीर्णोद्धार के बाद प्रारंभ की गई अनूठी परंपरा। हर जाति के लोग 365 दिन मुख्य पुजारी बनकर अपने आराध्य का पूजन अभिषेक करते हैं।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Thu, 25 Mar 2021 06:00 AM (IST)Updated: Thu, 25 Mar 2021 06:00 AM (IST)
Ayodhya News: इस प्राचीन शिव मंदिर में रोज बदलता है मुख्य पुजारी, जान‍िए क्‍या है अनूठी परंपरा
Ayodhya News: प्रतिदिन अलग जाति का पुजारी करता है अभिषेक।

अयोध्या [महेंद्र तिवारी]। पंथ और जाति के नाम पर भेदभाव का ढिंढोरा पीटकर सनातन धर्म को निशाने पर लेने वालों को रामनगरी से सटे रमपुरवा गांव के लोग करारा जवाब दे रहे हैं। दो वर्ष पहले शुरू की गई यह प्रथा हमें उस अपनी वैदिक परंपरा की याद दिलाती है, जब आस्था जातियों के जंजाल में जकड़ी नहीं थी। आइए आपको बताते हैं मिल्कीपुर के रमपुरवा में स्थित प्राचीन शिव मंदिर की परंपरा। यहां विघ्नेश्वर महादेव मंदिर में प्रतिदिन मुख्य पुजारी बदलता है। हर जाति के लोग 365 दिन मुख्य पुजारी बनकर अपने आराध्य का पूजन अभिषेक करते हैं। 

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दो वर्षों से चली आ रही यह परंपरा आसपास चर्चा का विषय है। क्षेत्रवासी अपनी अपनी बारी का इंतजार करते रहते हैं। पांच गांव के 27 पुरवों की छह हजार आबादी के लोग बड़ी आस्था से अपनी बारी का इंतजार करते हैं। एक दिन पहले ही तय हो जाता कि मुख्य पुजारी कौन होगा। प्रयास यही रहता है कि प्रतिदिन अलग जाति का व्यक्ति ही मुख्य पुजारी हो।

विघ्नेश्वर महादेव मंदिर में काले पत्थर का विशाल शिवलिंग लोगों को बरबस अपनी ओर आकॢषत करता है। मंदिर के ऊपर 21 फीट का गुंबद और उसकी बनावट, मंदिर के समीप निर्मित सरोवर और सरोवर से सुरंग के रास्ते मंदिर के अंदर तक जाने वाली सीढ़यिां उसकी पौराणिकता का बयान स्वत: ही करती हैं। यह मंदिर 1500 ईस्वी का बताया जाता है, जिसका निर्माण अयोध्या राज परिवार से जुड़े शाहगंज रियासत के लोगों ने कराया था। काफी समय तक राजा अयोध्या के दीवान रहे सदानंद श्रीवास्तव के पूर्वजों द्वारा देखभाल की जाती थी।

 

प्राचीन कालीन यह मंदिर काफी जर्जर हो गया था और खंडहर में तब्दील हो चुका था। वर्ष 2010 में मंदिर का कलश भी चोरी हो गया था, जिसको पुलिस ने पखवाड़े भर में बरामद कर लिया था। मंदिर का कलश पखवारे भर में बरामद होने के बाद लोगों का विश्वास मंदिर के प्रति और बढ़ गया और शाहगंज बाजारवासियों ने शिवाला मंदिर सेवा समिति बनाकर मंदिर का जीर्णोद्धार कराया और मंदिर में पूजा पाठ की नई व्यवस्था प्रारम्भ की। शिवाला मंदिर सेवा समिति के अध्यक्ष ओम प्रकाश, अमित कुमार, श्याम लाल ने बताया कि मंदिर में सुबह पांच और सायंकाल आठ बजे आरती होती है। मंदिर के नाम 10 बीघा जमीन सुरक्षित है। आरती व दान का चढ़ावा शिवाला मंदिर सेवा समिति की देखरेख में बैंक में जमा रहता है। शिवाला मंदिर समिति की ओर से शिवाला मंदिर सेवा क्लब का गठन कर ग्रामीण प्रतिभाओं को निखारने का काम किया जाता है, जिसमें दौड़, खेलकूद, वालीवाल, कंबल वितरण,अन्न बैंक, ब्लड बैंक संचालित होता है। समय-समय पर कमेटी के लोग किसान गोष्ठी आयोजन भी करते हैं।

 

यह है पूजन की परंपरा: मंदिर में पूजन कार्य के लिए सात  दिन के लिए सात दिवसाधिकारी नियुक्त है। दिवसाधिकारी के साथ प्रतिदिन एक सह दिवसाधिकारी रहता है। पांच सेवा दल की टोली भी मंदिर में साफ-सफाई आदि कार्य करती है। दिवसाधिकारी को एक साल के लिए रखा जाता है। एक साल बाद सहदिवसाधिकारी को उसकी जिम्मेदारी दी जाती है। दिवसाधिकारियों को 20 दिन की पूजा-पाठ की ट्रेनिंग दी जाती है। दिवसाधिकारी अपनी देखरेख में प्रतिदिन मंदिर में आने वाले नए मुख्य पुजारी से विधि विधान से पूजा करवाते हैं। पूजन कार्य में पूजा विधि, अभिषेक, आरती, शक्ति मंत्र आदि प्रतिदिन किया जाता है।


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