मोदी सरकार के खिलाफ फतवों से भाजपा और संत समाज आक्रोशित
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ मतदान के लिए चर्च और उलमा की ओर से फतवा जारी किए जाने पर भाजपा और संतों में गहरा असंतोष है।
लखनऊ (जेएनएन)। केंद्र की नरेद्र मोदी सरकार के खिलाफ फतवों को लेकर भाजपा और संतों में आक्रोश है। इससे उपजे ताजा हालात से निपटने के लिए अखिल भारतीय संत समिति ने दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है। उत्तर प्रदेश भाजपा ने भी कड़ा ऐतराज जताया है। दरअसल, गोरखपुर और कौशांबी उपचुनाव से सबक ले चुकी भाजपा कैराना उपचुनाव में विपक्ष के हर कदम पर सजग है। यहां एक उम्मीदवार के पक्ष में हो रहे धु्वीकरण से परेशान भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विपक्ष के रवैये के प्रति नाराजगी जताई है। मोदी सरकार के खिलाफ मतदान के लिए चर्च और उलमा की ओर से फतवा जारी किए जाने पर संतों में गहरा असंतोष है। उल्लेखनीय है कि एक पक्ष को लेकर यहां फतवा जारी किए जाने की चर्चा से चुनावी माहौल में सरगरमी बढ़ गई है।
धु्वीकरण कराने का प्रयास कुत्सित
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय ने कहा कि राष्ट्रीय लोकदल के उम्मीदवार के पक्ष में फतवा जारी किया गया है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या अब लोकतंत्र फतवे से चलेगा और कहा कि यह संभव नहीं है। यह तो विपक्ष की हताशा का परिणाम है और धर्म विशेष के वोटरों का धु्वीकरण कराने का कुत्सित प्रयास है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने विपक्ष के रवैये पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि लोकदल प्रत्याशी कंवर हसन को प्रलोभन देकर राष्ट्रीय लोकदल की प्रत्याशी के पक्ष में बैठा दिया गया। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या वजह है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव कैराना और नूरपुर की जनता से मुंह छिपाते घूम रहे हैं।
अखिलेश के हाथ निर्दोषों के खून से सने
डॉ. पांडेय ने कहा कि अपना प्रत्याशी रालोद के चुनाव चिह्न से लड़ा रहे हैं। आरएलडी का उपयोग शिखंडी के रूप में किया जा रहा है, क्योंकि अखिलेश यादव के हाथ मुजफ्फरनगर दंगों में निर्दोषों के खून से सने हुए हैं। जनता जानती है कि मुजफ्फरनगर दंगों के आरोपियों को चार्टर्ड हवाई जहाज भेज कर अखिलेश यादव ने लखनऊ बुलाकर जो उनका खैर मकदम किया था। कैराना में जब साम्प्रदायिक धु्वीकरण कर के पलायन कराया गया था। वो भी जनता अभी भूली नहीं है। भारतीय जनता पार्टी के ही कार्यकर्ता धार्मिक धु्वीकरण के सामने डटकर मुजफ्फरनगर एवं कैराना में खड़े हुए थे। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा की योगी सरकार आने के बाद अपराधियों के खिलाफ एक बड़ा और निर्णायक अभियान चलाया गया।
फतवों से संतों में आक्रोश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के खिलाफ मतदान के लिए चर्च और उलमा की ओर से फतवा जारी किए जाने पर संतों में गहरा असंतोष है। अखिल भारतीय संत समिति ने इस पर नाराजगी जताते हुए दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है। इसमें चर्च और उलमा के राजनीतिक हस्तक्षेप के खिलाफ चर्चा होगी और जवाबी रणनीति तय की जाएगी। बैठक में लगभग तीन सौ संत शामिल होंगे। अखिल भारतीय संत समिति का गठन 1986 में राम मंदिर आंदोलन को गति देने के लिए किया गया था। लेकिन, धार्मिक मुद्दों पर भी वह कभी-कभार अपने विचार सामने रखती रही है। समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद ने बताया कि यहां का आर्कबिशप वेटिकन सिटी का प्रतिनिधि है। उसे राजनीतिक दलों के पक्ष-विपक्ष में जाने का अधिकार नहीं है। इसी तरह उलमा को भी यह अधिकार नहीं है कि वह किसी दल या व्यक्ति विशेष के खिलाफ मतदान के खिलाफ फतवा जारी करें। अभी तक हिंदू-मुसलमान अपने अपने मुद्दों पर बात करते हैं लेकिन, अब राष्ट्रीय एकता और अखंडता पर खतरा मंडराने लगा है।
पाक महीने का हवाला दे वोट की अपील
गौरतलब है कि जमायत उलमा-ए-हिंद के मौलाना हसीब सिद्दीकी ने रमजान के पाक महीने का हवाला देते हुए फतवा जारी किया है कि मुसलमान मुल्क को आगे ले जाने के लिए मौजूदा सरकार के खिलाफ वोट कर विपक्ष की मदद करें। इसी क्रम में आर्कबिशप दिल्ली अनिल काउटो ने मदर फातिमा का हवाला देते हुए शुक्रवार को सरकार के खिलाफ प्रार्थना की बात कही है। संत समिति के महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद के अनुसार इसके खिलाफ बुलायी गई राष्ट्रीय बैठक में 127 संप्रदायों के 300 से अधिक संत शामिल होंगे। बैठक में जवाबी एक्शन के साथ ही इस तरह की गतिविधियों पर लगाम के लिए रणनीति तय की जाएगी।