‘स्टार्टअप इंडिया’ का गढ़ बनने की प्रतीक्षा में नवाबी ठाठ वाले शहर, तेजी से बदल रहे तस्वीर
यदि ‘ईको सिस्टम’ थोड़ा और सिस्टमेटिक थोड़ा और स्टार्टअप फ्रेंडली हो जाए तो बेंगलुरु और दिल्ली जैसे बड़े औद्योगिक केंद्रों को लखनऊ बहुत पीछे छोड़ देगा।’ सीईओ अमन शाहपुरी का
पुलक त्रिपाठी, लखनऊ। ‘नव उद्यम के लिए लखनऊ सोने की खान है। इस समय यहां 200 से अधिक सफल स्टार्टअप सुनहरे भविष्य की बानगी दे रहे हैं। यदि ‘ईको सिस्टम’ थोड़ा और सिस्टमेटिक, थोड़ा और स्टार्टअप फ्रेंडली हो जाए तो बेंगलुरु, दिल्ली, गुरुग्राम और नोएडा जैसे बड़े औद्योगिक केंद्रों को लखनऊ बहुत पीछे छोड़ देगा।’ यह कहना है लखनऊ स्थित स्टार्टअप समूह ‘लखनऊ एंजिल नेटवर्क’ के संस्थापक और सीईओ अमन शाहपुरी का।
लखनऊ में शिक्षा, लंदन में उच्च शिक्षा और बहुराष्ट्रीय कंपनियों में उच्च पदों पर काम करने के बाद अमन गृह नगर लखनऊ लौट आए। कहते हैं, ‘मैंने यहां पर मौजूद अपार संभावनाओं को भांपने के बाद यह निर्णय लिया। मेरा निर्णय सही साबित हुआ। आज लखनऊ में मेरा बिजनेस समूह कुल सात स्टार्टअप संचालित कर रहा है। इनमें किराना होम डिलीवरी स्टार्टअप- ट्रूफ्रेश, ऑनलाइन क्लोथिंग ब्रांड प्रमोशन प्लेटफार्म- एटीट्यूड, इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन स्टार्टअप- मेगाट्रॉनिक्स, ऑनलाइन गेमिंग वर्टिकल- क्लब एंपायर आदि शामिल हैं। मेगाट्रॉनिक्स एक करोड़ रुपये से अधिक का टर्नओवर कर रहा है।
एटीट्यूड भी बेहतर कर रहा है। क्रिकेटर क्रिस गेल इसमें 15 फीसद के ब्रांड साझीदार हैं।’ अमन ने दैनिक जागरण से कहा, ‘दरअसल, लखनऊ की भौगोलिक स्थित, उच्चशिक्षित स्थानीय युवाओं की प्रचुर उपलब्धता, शिक्षा, स्वास्थ्य, संचार, फैशन, होटल, सूचना तकनीकि आदि प्रत्येक क्षेत्र में क्षमतावान बाजार की मौजूदगी इसे संभावनाओं का गढ़ बनाती है। यहां से समूचे उत्तर प्रदेश और पड़ोसी राज्य बिहार के बड़े बाजार तक सीधी पहुंच बनाना आसान है। दिल्ली, बेंगलुरु, गुरुग्राम, नोएडा की अपेक्षा लखनऊ में बुनियादी ढांचा, श्रमशक्ति और संसाधन जुटाना कहीं सस्ता और सुलभ है।’
अमन हालांकि यह भी कह रहे हैं कि बावजूद इसके यहां पर अब भी स्टार्टअप आने की रफ्तार अपेक्षाकृत कम है। वही स्टार्टअप जम पा रहे हैं, जिन्होंने अपने दम पर इनवेस्टमेंट जुटाया। स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम ने इस दिशा में हालांकि 136 सहायक स्कीम लांच कीं, लेकिन इनका जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन सुचारू हो पाने में एक गतिरोध सा बना हुआ है। लखनऊ इस गतिरोध के समाप्त होने की प्रतीक्षा में है। बैंक-प्रशासन-सरकार-इनवेस्टर्स, इस पूरे ईको सिस्टम को गतिरोधों को चिह्नित कर यथाशीघ्र दूर करना चाहिए। लखनऊ इसकी प्रतीक्षा में है।
हालांकि कई ऐसे उदाहरण हैं, जो कम पूंजी में बड़े आयाम तक भी पहुंचे हैं। उनके बलबूते ही लखनऊ के 60 से अधिक स्टार्टअप ने ग्लोबल स्टार्टअप लिस्ट में अपनी जगह बनाने में सफलता पाई है। कैफे 3105, न्यू जेन एप्स, ट्रेंडसेटर, हेल्थ टोकरी डॉट कॉम, 300 स्टोरीज डॉट काम, घर बैठे, इन मोशन, परपलहाइड, एजूएस, नेक्सटेक लाइफसाइंस, टेकइगल, हेक्सटैक्स, नॉक सेंस, ब्लेजिंग स्टार, सेवामॉब, ए 2 क्रिकेट, वॉरटेक ग्लोबल सर्विस, नॉटनल आदि स्टार्टअप इनमें शामिल हैं। जिला उद्योग केंद्र और लखनऊ मैनेजमेंट एसोसिएशन (एलएमए) के आंकड़े के अनुसार सामाजिक कार्य, आइटी क्षेत्र, स्वास्थ्य, एग्रो एंड फूड, शिक्षा, ई कॉमर्स, एडवांस टेक्नोलॉजी सेक्टर में 200 से अधिक नव उद्यम स्थापित हुए हैं। ये उत्पादन, व्यापार समेत सेवा क्षेत्र में काम कर रहे हैं।
50 हजार से शुरुआत, अब करोड़पति
लखनऊ स्थित न्यू जेन एप के संस्थापक अनुराग रस्तोगी बताते हैं कि उन्होंने इंजीनिर्यंरग की पढ़ाई पूरी कर आइएमटी गाजियाबाद से एमबीए किया। फिर इन्फोसिस में तीन वर्षों तक जॉब की। इस दौरान अमेरिका, इंग्लैंड समेत कई देशों का दौरा भी किया, जिसके चलते उन्हें भारत में टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में स्कोप दिखा। वर्ष 2008 में उन्होंने गृह नगर लखनऊ में न्यूजेन एप नाम का स्टार्टअप शुरू किया। अनुराग बताते हैं कि करीब 50 हजार रुपये से शुरू किए गए स्टार्टअप ने उन्हें करोड़ों का मालिक बना दिया। करीब डेढ़ हजार युवा उनके साथ काम कर रहे हैं।
ऐसे बन रहे ‘ट्रेंड सेटर’
लखनऊ स्थित ट्रेंड सेटर स्टार्टअप के संस्थापक निखिल कुमार का महज 29 वर्ष की उम्र में 20 हजार रुपये से करोड़ों तक का सफर भी एक बड़ा उदाहरण है। निखिल ने 2010 में बीटेक कर 2012 में स्टार्टअप शुरू किया। माइक्रोसॉफ्ट, आइबीएम के प्रोजेक्ट हासिल करने में सफल रहे। निखिल बताते हैं कि ट्रेंड सेटर द्वारा सॉफ्टवेयर, मोबाइल व वेबसाइट डवलपमेंट जैसी सेवाएं मुहैया कराई जा रही हैं।