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FAKE मार्कशीट रैकेट में लविवि के दर्जनभर अधिकारी-कर्मचारी

लविवि के करीब एक दर्जन से अधिक अधिकारी और कर्मचारी पुलिस के निशाने पर हैं जिनके तार न सिर्फ विश्वविद्यालय बल्कि राज्य स्तर पर जुड़े हैं।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Sat, 20 Apr 2019 08:32 AM (IST)Updated: Sat, 20 Apr 2019 08:32 AM (IST)
FAKE मार्कशीट रैकेट में लविवि के दर्जनभर अधिकारी-कर्मचारी
FAKE मार्कशीट रैकेट में लविवि के दर्जनभर अधिकारी-कर्मचारी

लखनऊ, जेएनएन। लखनऊ विश्वविद्यालय में फर्जी मार्कशीट रैकेट की सच्चाई शिक्षण संस्थानों की तस्वीर पर बदनुमा दाग साबित होने जा रहा है। पुलिस के अनुसार मामले में लविवि के जिन कर्मचारियों के नाम अब तक उजागर हुए हैं, वे तो महज मोहरा हैं। इस पूरे रैकेट में लविवि के कई अन्य बड़ों की संलिप्तता पुलिस पड़ताल में सामने आई है।

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जांच की कड़ी में लविवि के करीब एक दर्जन से अधिक अधिकारी और कर्मचारी पुलिस के निशाने पर हैं, जिनके तार न सिर्फ विश्वविद्यालय बल्कि राज्य स्तर पर जुड़े हैं। शुक्रवार को हसनगंज पुलिस ने मामले से जुड़े लोगों तक पहुंचने के लिए राजधानी समेत प्रदेश के कई अन्य जिलों में ताबड़तोड़ दबिश दी। सूत्रों के मुताबिक कार्रवाई के दौरान पुलिस को कई स्थानों पर सफलता भी मिली। परतें खुलने पर पुलिस भी हैरान दबिश और आरोपितों से पूछताछ के दौरान पुलिस टीम को फर्जी मार्कशीट बनाने में विवि के करीब एक दर्जन अधिकारियों के शामिल होने की भी जानकारी हुई। खुद पुलिस अधिकारी भी मामले की जड़ों के बारे में जानकर हैरान रह गए।

पुलिस को यह कामयाबी पकड़े गए व फरार चल रहे आरोपितों के मोबाइल सर्विलांस के माध्यम से मिली। हाथ लगे सबूतों के आधार पर पुलिस ने अपनी जांच को आगे बढ़ाने के लिए कई टीमें गठित कर देर शाम उनकी रवानगी कर दी। पश्चिम लखनऊ के एक शख्स को पुलिस की तलाश पुलिस सूत्रों के अनुसार फर्जी रैकेट मामले में पश्चिमी लखनऊ के रहने वाले एक शख्स की जोर-शोर से तलाश की जा रही है।

उसके पकड़े जाने के बाद लखनऊ विश्वविद्यालय के उन अधिकारियों के चेहरे भी बेनकाब हो सकते हैं, जो अब कर्मचारियों पर कार्रवाई का दम भरते हुए खुद को सफेदपोश ठहरा रहे हैं।

क्या कहना है पुलिस का ?

हसनगंज कोतवाली प्रभारी धीरज शुक्ला का कहना है कि टीमें गठित कर अलग-अलग जनपदों के लिए रवाना की गई हैं। कई अन्य नाम भी सामने आरहे हैं। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि विभागाध्यक्ष व अन्य अधिकारी मामले से पूरी तरह अनभिज्ञ हों। उनकी भूमिका की भी जांच की जाएगी। 


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