IISc की तर्ज पर लविवि में बदलाव, अब PG में लें दाखिला-PhD करके निकलें
LU इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बेंगलुरू की तर्ज पर लविवि पीएचडी इंटीग्रेटेड प्रोग्राम करने जा रहा शुरू। 06 महीने तो कई बार सालभर बर्बाद हो जाता है पीएचडी प्रवेश की प्रतीक्षा में।
लखनऊ [पुलक त्रिपाठी]। लखनऊ विश्वविद्यालय अगले सत्र से बड़ा कदम उठाने जा रहा है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बेंगलुरू की तर्ज पर लविवि पीएचडी इंटीग्रेटेड प्रोग्राम शुरू करने जा रहा। इस प्रोग्राम के तहत पीजी में दाखिला लेने के बाद छात्र पीएचडी की डिग्री के साथ पढ़ाई पूरी करेगा। पीएचडी के लिए विद्यार्थी को प्रवेश परीक्षा से निजात मिलेगी। साथ ही शोध की क्षेत्र में विद्यार्थियों की राह भी आसान हो चलेगी।
दरअसल, मौजूदा समय में पीजी के बाद विद्यार्थी को पीएचडी में प्रवेश के लिए इंतजार करना पड़ता है। कई बार छह महीने तो कई बार साल भर बर्बाद हो जाता है। इसके अलावा पीएचडी शुरू करने से पहले विद्यार्थी को उसकी भूमिका तैयार करनी पड़ती है, उसमें भी वक्त लगता है। मगर लविवि के इस फैसले के बाद विद्यार्थी द्वारा पीजी करने के दौरान ही पीएचडी की भूमिका भी तैयार करने का मौका रहेगा। इससे उनके समय की बचत भी होगी। इसके लिए लविवि अपने ऑर्डिनेंस में भी बदलाव करने जा रहा है। साथ ही विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को प्रस्ताव भेज सहमति भी मांगी है।
बरकरार रहेगी पुरानी व्यवस्था
मौजूदा समय में लविवि में पीजी व पीएचडी में प्रवेश परीक्षा के जरिए दाखिले लिए जाते हैं। इस व्यवस्था को बिना छेड़े पीएचडी इंटीग्रेटेड प्रोग्राम शुरू किया जा रहा है। नए प्रोग्राम की फीस, कोर्स और फ्रेमवर्क अलग रहेगा।
क्या कहते हैं लविवि कुलपति ?
लविवि कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय के मुताबिक, इस व्यवस्था को अगले सत्र से शुरू किया जाएगा। इंटीग्रेटेड पीएचडी प्रोग्राम एक विशेष प्रोग्राम होगा। पीजी के दौरान पीएचडी में दाखिला मिलेगा या नहीं, विद्यार्थियों में इसे लेकर कई बार अनिश्चितता की स्थिति भी देखने को मिली है। इससे उनकी राह आसान होगी। यूजीसी को प्रस्ताव भेजा जा रहा है। 14 फरवरी को यूजीसी के चेयरमैन प्रो. डीपी सिंह के साथ बैठक भी है।
ऐसे बदलाव करने के लिए विश्वविद्यालय स्वायत्त है
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) चेयरमैन प्रो. डीपी सिंह ने बताया कि ऐसे बदलाव करने के लिए विश्वविद्यालय स्वायत्त है। इससे विद्यार्थी को सही दिशा का चयन करने में आसानी होगी ऐसे फैसले सार्थक हैं। विश्वविद्यालय की ओर से यदि प्रस्ताव आता है तो हम विचार करेंगे।