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Lucknow: 32 साल पुराने मामले में रिटायर्ड रेलवे कर्मचारी को एक साल की सजा, रिश्वत में लिए थे मात्र 100 रुपये

यूपी के लखनऊ की विशेष सीबीआई कोर्ट ने 32 साल पुराने घूसखोरी के मामले में 82 साल के एक सेवानिवृत्त रेलवे कर्मचारी को एक साल की सजा सुनाई है। इस मामले में रोचक तथ्य यह है कि दोषी ने ड्यूटी के दौरान मात्र 100 रुपये की रिश्वत ली थी।

By AgencyEdited By: Shivam YadavPublished: Thu, 02 Feb 2023 11:59 PM (IST)Updated: Thu, 02 Feb 2023 11:59 PM (IST)
Lucknow: 32 साल पुराने मामले में रिटायर्ड रेलवे कर्मचारी को एक साल की सजा, रिश्वत में लिए थे मात्र 100 रुपये
दोषी ने ड्यूटी के दौरान मात्र 100 रुपये की रिश्वत ली थी।

लखनऊ, पीटीआई। यूपी के लखनऊ की विशेष सीबीआई कोर्ट ने 32 साल पुराने घूसखोरी के मामले में 82 साल के एक सेवानिवृत्त रेलवे कर्मचारी को एक साल की सजा सुनाई है। इस मामले में रोचक तथ्य यह है कि दोषी ने ड्यूटी के दौरान मात्र 100 रुपये की रिश्वत ली थी। कोर्ट ने सजा के साथ 15 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। हालांकि, दोषी की ओर से उसकी उम्र को ध्यान में रखते हुए सजा कम कराने के लिए अर्जी दाखिल की गई थी, लेकिन सीबीआई न्यायाधीश अजय विक्रम सिंह ने इसे खारिज कर दिया। इसके लिए यह माना गया कि सजा कम करने से समाज में गलत संदेश जाएगा।

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दोषी राम नारायण वर्मा ने जज से दरख्वास्त की थी कि मामला 32 साल पुराना है और उसने बेल पर छूटने से पहले 2 दिन की जेल काटी है। उसने यह भी कहा कि उसकी सजा पहले से ही जेल में बिताई गई अवधि तक ही सीमित हो सकती है ताकि उसे शेष सजा काटने के लिए जेल न जाना पड़े।

इस अर्जी पर जज ने कहा कि इस मामले में दो दिन की जेल पर्याप्त नहीं है। मामले में न्याय के उद्देश्य के लिए उसे एक साल की जेल काटनी ही होगी, क्योंकि रिश्वत लेना एक अपराध है।

यह था मामला

गौरतलब है कि उत्तरी रेलवे के एक सेवानिवृत्त लोको ड्राइवर राम कुमार तिवारी ने साल 1991 में मुकदमा दर्ज करवाया था। तिवारी ने मुकदमे में आरोप लगाया कि उसकी पेंशन की कम्प्यूटिंग के उद्देश्य के लिए एक मेडिकल टेस्ट की जरूरत थी। वर्मा ने इसके लिए 150 रुपये की रिश्वत मांगी थी। इसके बाद वह 100 रुपये पर माना।

सीबीआई ने वर्मा को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। इसके बाद सीबीआई ने वर्मा के खिलाफ जांच पूरी कर चार्जशीट फाइल की। कोर्ट ने इस मामले में 30 नंवबर 2022 को राम नारायण वर्मा को दोषी साबित किया था।


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