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लखनऊ पॉलीटेक्निक ने ठानी..खुद की बिजली, जमीन को पानी Lucknow News

भूगर्भ जल संचयन के साथ ही यहां पर सोलर पॉवर से खुद की बिजली बनाई जा रही है।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Wed, 09 Oct 2019 12:07 PM (IST)Updated: Wed, 09 Oct 2019 12:07 PM (IST)
लखनऊ पॉलीटेक्निक ने ठानी..खुद की बिजली, जमीन को पानी Lucknow News

लखनऊ [जितेंद्र उपाध्याय]। लखनऊ पॉलीटेक्निक में विद्यार्थियों को गुणवत्तायुक्त तकनीकी शिक्षा के साथ ही उन्हें पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करने की भी पहल शुरू हो गई है। संस्थान में न केवल विद्यार्थियों को भूमिगत जल बढ़ाने का पाठ पढ़ाया जा रहा है, बल्कि पॉलीटेक्निक में अपनी तरह के इकलौते सिस्टम को लगाकर अन्य संस्थाओं के सामने नजीर पेश की गई है। भूगर्भ जल संचयन के साथ ही यहां पर सोलर पॉवर से खुद की बिजली बनाई जा रही है।

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भूगर्भ जल विभाग के सहयोग से लगे ‘वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम’ को लगाने की पहल यहीं के पूर्व विद्यार्थी रहे सुभाष यादव ने की है।

भूमिगत जल के लगातार दोहन से भूमि का जलस्तर तेजी से घट रहा है। समय रहते यदि इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो पानी का स्तर काफी नीचे चला जाएगा। ऐसे में बारिश के पानी को बचाकर सीधे जमीन में भेजने की जरूरत है। संस्थान में अपनी तरह के इस इकलौते सिस्टम से सामान्य बारिश से 60 मीटर गहराई में तीन से पांच लाख लीटर पानी भूमि में भेजा जाएगा। 110 मिली व्यास के इस सिस्टम से नाली का पानी न जाए, इसका भी पुख्ता इंतजाम किया गया है। बारिश में छत पर गिरने वाले पानी को बचाकर सूखती धरती की कोख को बचा सकते हैं। इस सिस्टम के बारे में विद्यार्थियों के अंदर भी जागरूकता लाने का प्रयास किया जा रहा है। अधिशाषी अभियंता अनुपम की पहल और पूर्व विद्यार्थी सुभाष यादव के प्रयास से यहां सिस्टम लगा है।

क्या कहते हैं प्रधानाचार्य ? 

प्रधानाचार्य राजेंद्र सिंह का कहना है कि विद्यार्थियों को तकनीकी ज्ञान के साथ ही सामाजिक सरोकारों से जोड़ने के लिए यह प्रयास किया गया है। ‘वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम’ से भूमिगत जल को बढ़ाने की पहल शुरू हुई है। इससे विद्यार्थियों के अंदर भी जागरूकता आएगी।

अपनी बिजली खुद बनाता है संस्थान

भूमिगत जल को बढ़ाने के साथ ही लखनऊ पॉलीटेक्निक अपनी बिजली भी खुद बना रहा है। 12-12 किलोवॉट के दो प्लांट लगाए गए हैं। दोनों से 1383 यूनिट बिजली उत्पादन होता है। प्रशासनिक भवन के साथ ही प्रयोगशाला में बिजली की जरूरत सौर ऊर्जा से पूरी की जा रही है।


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