Move to Jagran APP

लखनऊ नगर निगम के भवनों व संपत्तियों की होगी जीआईएस मैपिंग, अवैध कब्जेदारों के चेहरे आएंगे सामने

लखनऊ नगर निगम अपने भवनों व संपत्तियों की जीआईएस मैपिंग कराने जा रहा है। नगर निगम में अभी तक 202 राजस्व गांव भी शामिल हो चुके हैं जिसमे से 88 गांव को 2019 में शामिल किया गया था। मैपिंग होने सेनगर निगम की कब्जे वाली जमीनों का पता चल सकेगा।

By Rafiya NazEdited By: Published: Thu, 14 Oct 2021 08:30 AM (IST)Updated: Thu, 14 Oct 2021 02:58 PM (IST)
लखनऊ नगर निगम के भवनों व संपत्तियों की होगी जीआईएस मैपिंग, अवैध कब्जेदारों के चेहरे आएंगे सामने
लखनऊ नगर निगमों के भवनों की होगी मैपिंग।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। अब नगर निगम के भवनों और संपत्तियों की जानकारी करने के लिए रजिस्टर नहीं पलटना होगा। कंप्यूटर पर क्लिक करते ही सारी जानकारी स्क्रीन पर नजर आ जाएंगी। नगर निगम के किस भवन में कौन रहता है। वह किराएदार है या फिर कोई अवैध तरह से तो किसी भवन में रह रहा है तो इसका भी पता चल सकेगा।

loksabha election banner

नगर निगम अपने भवनों व संपत्तियों की जीआईएस मैपिंग कराने जा रहा है। नगर निगम में अभी तक 202 राजस्व गांव भी शामिल हो चुके हैं, जिसमे से 88 गांव को 2019 में शामिल किया गया था। मैपिंग होने का एक फायदा यह रहेगा कि नगर निगम की कब्जे वाली जमीनों का पता चल सकेगा और आगे किसी जमीन को लेखपाल कब्जा कराने का खेल करेगा तो उसका भी पता चल सकेगा।

इनकी जीपीएस मैपिंग होगी: 

  • राजस्व रिकार्डों को संकलित किया जाएगा। इसमे खसरा, खतौनी और नक्शे को भी शामिल किया जाएगा।
  • नगर निगम भूमियों का और उस पर पाए गए अवैध कब्जों का नजरी नक्शा परिमापों सहित
  • नगर निगम की भूमियों से संबंधित विभिन्न न्यायालयों में चल रहे वादों में अब तक की कार्यवाही।
  • पुराने राजस्व रिकार्डों में नगर निगम में अंकित का वर्तमान रिकार्ड में अंकित भूमियों का मौके पर मिलान रिपोर्ट
  • नगर निगम की जमीन पर बसे अवैध कब्जेदारों की सूची और अन्य परिवर्तन की सूचना
  • जियो टैगिंग से भूगल अर्थ से लिंकेज करना
  • भूमियों के डिजिटल नक्शे और डिजिटल रिकार्ड
  • नगर निगम भूमियों का डिजिटल संपत्ति रजिस्टर
  • संपत्तियों का श्रेणीवार विवरण एवं संपत्ति के प्रकारवार विवरण

यह लाभ मिलेगा

  • नगर निगम संपत्तियों की तुरंत जानकारी मिलेगी
  • संपत्तियों का सही तरह से अनुरक्षण हो सकेगा
  • संपत्तियों की वर्तमान स्थिति और उन पर किए गए अवैध कब्जेदारों के खिलाफ कार्रवाई में आसानी होगी
  • संपत्तियों का उचित रखरखाव एवं प्रबंधन हो सकेगा
  • यदि भविष्य में नगर निगम सीमा का विस्तार किया जाता है तो उससे संबंधित सूचना जीआईएस मैपिंग में प्रदर्शित की जाएगी।
  • समय-समय पर डेटा का संशोधन किया जा सकेगा।
  • नगर निगम अगर भविष्य में कोई योजना तैयार की जाती है तो जीआईएस सर्वे मैपिंग से कार्यवाही करने में सरलता होगी।

नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी ने बताया कि नगर निगम की कई कालोनियां हैं, जिसमे किराएदार रहते हैं। इसी तरह से मार्केट भी है लेकिन वहां कौन रह रहा है और व्यवसाय कर रहा है, इसका पता करने में पारदर्शी व्यवस्था नहीं है। इसी तरह नगर निगम की जमीनों पर कब्जे और कब्जेदारों की सूची भी अपूर्ण हैं। अब जीआईएस मैपिंग से भवन और संपत्तियों की सही जानकारी मिल सकेगी और फाइलों की झंझट खत्म होगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.