Lucknow Coronavirus News: आयुर्वेद के शमन और वमन से कोरोना का दमन
Lucknow Coronavirus News लोकबंधु अस्पताल के आयुर्वेदाचार्य की केस स्टडी ने जगाई उम्मीद। अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित होने के लिए भेजा गया लेख। आयुर्वेद का सिद्धांत आहार निद्रा और ब्रह्मचर्य के त्रयोपस्तंभ पर आधारित है। इसमें मरीज के खानपान नींद और परहेज को विशेष महत्व दिया जाता है।
लखनऊ [धर्मेंद्र मिश्रा]। Lucknow Coronavirus News: कोरोना के खिलाफ मजबूती से जंग लड़ने के लिए भारतीय आयुर्वेद पद्धति का लोहा पूरी दुनिया मान रही है। आयुर्वेद की शमन और वमन क्रियाओं से कोरोना मरीजों को ठीक करने का दावा कर लोकबंधु अस्पताल ने दुनिया के सामने उम्मीद जगा दी है। लोकबंधु अस्पताल के आयुर्वेद एवं पंचकर्म विशेषज्ञ डॉ. आदिल रईस द्वारा कोरोना मरीजों पर की गई स्टडी को अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित होने के लिए भी भेजा गया है।
आयुर्वेद में किसी भी बीमारी का इलाज रोग व लक्षण के साथ शारीरिक प्रकृति (वात, पित्त और कफ), ऋतु, देश और काल के आधार पर होता है। व्यक्ति में इस प्रकृति की पहचान करने के बाद विरेचन (दस्त), वमन (उल्टी) व शमन (पित्त शांत करने क्रिया) जरूरत के अनुसार कराई जाती हैं। डॉ. आदिल बताते हैं कि आयुर्वेद का सिद्धांत आहार, निद्रा और ब्रह्मचर्य के त्रयोपस्तंभ पर आधारित है। इसमें मरीज के खानपान, नींद और परहेज को विशेष महत्व दिया जाता है। अगर कोई व्यक्ति बीमार पड़ता है तो यह माना जाता है कि उसकी जठराग्नि मंद पड़ गई है। व्यक्ति की इम्युनिटी भी कम हो जाती है। ऐसे वक्त में कोई भी बैक्टीरिया या वायरस शरीर पर आसानी से हमला करने में सक्षम हो जाता है। इसलिए सबसे पहले मंद पड़ी जठराग्नि को उत्तेजित करने के लिए अग्निवर्धक आयुर्वेदिक दवाएं दी जाती हैं।
त्रिदोष को करना होता है संतुलित:
आयुर्वेद में किसी भी मरीज का इलाज वात, पित्त और कफ की प्रकृति के आधार पर होता है। इन तीनों में संतुलन नहीं होने पर ही शरीर में रोग पैदा होता है। सबसे पहले तय किया जाता है कि मरीज की प्रकृति इन तीनों में से कौन सी है? उसके आधार पर उसे दवाएं दी जाती हैं।
कोरोना मरीजों पर ऐसे की स्टडी:
डॉ. आदिल ने बताया कि ऐसे दो कोरोना पॉजिटिव मरीजों पर स्टडी शुरू की, जिनमें से एक की प्रकृति कफ प्रधान थी और दूसरे की पित्त प्रधान। कफ प्रधान मरीज के शरीर से बैक्टीरिया, वायरस इत्यादि को निकालने के लिए उसे कफ वमन यानी उल्टियां कराई गई। इसके बाद उसे अग्निवर्धक चीजें दी गई, जिससे मरीज को भूख लगने लगी और उसकी इम्युनिटी बढ़ गई। सात आठ दिन बाद मरीज की रिपोर्ट नेगेटिव आ गई। इसी तरह पित्त प्रधान मरीज में शमन यानी उसे पित्त शामक औषधियां दी गईं। फिर उसकी भी मंद पड़ी अग्नि बढ़ाई गई, जिससे उसे भूख लगनी शुरू हुई। पौष्टिक खाने-पीने पर उसकी भी इम्युनिटी बढ़ी। फलस्वरूप उस मरीज की रिपोर्ट भी करीब इतने ही दिन में निगेटिव आ गई। इस प्रकार वमन और शमन से कोरोना वायरस मात खा गया। अब इस स्टडी को जर्नल ऑफ आयुर्वेद व एक अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित होने के लि