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Coronavirus infection: नदी-पोखरे में डुबकी से भी कोरोना का खतरा, विशेषज्ञों ने कहा-पानी से भी फैल सकता है संक्रमण

Coronavirus infection विशेषज्ञों के अनुसार स्वच्छ जल की अपेक्षा गैर उपचारित पानी के जरिए संक्रमण फैलने की आशंका ज्यादा होती है। कई रिसर्च में भी अनट्रीटेड वाटर (गैर उपचारित जल) जैसे सीवेज के पानी में कोरोना वायरस पाए जा चुके हैं।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Tue, 17 Nov 2020 06:26 PM (IST)Updated: Wed, 18 Nov 2020 03:26 PM (IST)
गैर उपचारित पानी के जरिए संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा।

लखनऊ, (धर्मेंद्र मिश्रा)। पर्व या त्योहार पर आप नदियों में पुण्य प्राप्ति के लिए डुबकी लगाना चाह रहे हैं तो सावधान रहें। कोरोना भले ही वाटर बोर्न डिजीज (जल संचारित रोग) नहीं है, लेकिन नदी व पोखरे के पानी के जरिए इसका संक्रमण हो सकता है। राजधानी के एसजीपीजीआइ, केजीएमयू और लोहिया संस्थान के विशेषज्ञ कहते हैं कि ऐसे पानी के इस्तेमाल से कोरोना संक्रमण की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता।

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सामूहिक स्नान करने के दौरान इसका खतरा सबसे ज्यादा होता है। अगर किसी कोरोना पॉजिटिव मरीज ने नदी या तालाब में स्नान किया है तो उस दौरान उसके आसपास के लोगों को भी उसी पानी में नहाने से संक्रमण हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार स्वच्छ जल की अपेक्षा गैर उपचारित पानी के जरिए संक्रमण फैलने की आशंका ज्यादा होती है। कई रिसर्च में भी अनट्रीटेड वाटर (गैर उपचारित जल) जैसे सीवेज के पानी में कोरोना वायरस पाए जा चुके हैं।

नदियों व पोखरों का पानी पीने और नहाने से संक्रमण का खतरा

लोहिया संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विक्रम सिंह कहते हैं कि बहते पानी के जरिए कोरोना संक्रमण होने के प्रमाण भले ही वैज्ञानिक रूप से अभी नहीं मिले हैं, लेकिन सीवेज के वाटर में वायरस पाए गए हैं। नदियों में भी सीवेज का वाटर जाता रहता है। इसलिए नदी के पानी में नहाने या किसी दूसरे अनट्रीटेड वाटर के स्रोत में नहाने पर कोरोना के संक्रमण की संभावनाओं को नकारा नहीं जा सकता। उस पानी को पीने से खतरा कई गुना बढ़ जाता है। उन्होंने बताया कि हालांकि कोरोना वायरस जल जनित रोग नहीं है, लेकिन इसके वायरस विभिन्न सतहों पर 72 घंटे तक या उससे अधिक समय तक जीवित रह सकते हैं। इसलिए अगर किसी कोरोना पॉजिटिव ने नदी या पोखरे के पानी में नहाया है तो इसका वायरस उसी पानी के जरिये दूसरे व्यक्ति में भी नाक-मुंह आंख व सांस के जरिए प्रवेश कर सकता है।

असुरक्षित है सामूहिक स्नान

केजीएमयू में संक्रामक रोगों के विभागाध्यक्ष डॉ. डी. हिमांशु कहते हैं कि सामूहिक स्नान चाहे नदियों में हो या पोखरे के पानी में। दोनों ही स्थितियों में कोरोना का संक्रमण हो सकता है। इस दौरान अगर कोई व्यक्ति दो गज की बजाए पांच मीटर या उससे और अधिक दूरी पर स्नान कर रहा है तो भी वह सुरक्षित नहीं है। अगर किसी पॉजिटिव व्यक्ति से पानी में वायरस आ चुका है तो वह आसपास जरूर फैलेगा। इसमें नहाने से, आचमन करने से वायरस मुंह, नाक व सांस के जरिये अंदर प्रवेश कर सकता है।

सामूहिक स्नान को नजरअंदाज करना ही सुरक्षित विकल्प

एसजीपीजीआइ में माइक्रोबायोलॉजी की विभागाध्यक्षा डॉ. उज्ज्वला घोषाल कहती हैं कि सामूहिक स्नान करने के दौरान निश्चित रूप से भीड़ होगी। इसमें कोई न कोई पॉजिटिव होगा। इस दौरान वह खांसते या छींकते नहीं भी हैं तो सांस तो लेंगे ही और डुबकी लगाएंगे ही। इससे आसपास का व्यक्ति भी संक्रमित हो जाएगा। इसलिए सामूहिक स्नान करने को नजरअंदाज करना ही सुरक्षित विकल्प है। 


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