देश का चौथा सबसे प्रदूषित शहर बना लखनऊ, 15 शहरों में नौ यूपी के Lucknow News
लखनऊ में गहराया प्रदूषण का संकट बना भारत का चौथा सबसे प्रदूषित शहर।
जेएनएन, लखनऊ। मौसम विभाग के पूर्वानुमान से इतर सोमवार को प्रदेश की राजधानी में प्रदूषण का संकट और गहराया गया। हर तरफ स्मॉग की मोटी चादर छाई रही। जैसे-जैसे दिन चढ़ा, धुंध बढ़ती गई। नतीजा यह रहा कि लखनऊ एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) 435 के साथ देश का चौथा सबसे प्रदूषित शहर हो गया। जबकि बागपत और गाजियाबाद 440 के साथ दूसरे, मुरादाबाद और हापुड़ 436 एक्यूआइ संग तीसरे सबसे दूषित शहर रहे। हरियाणा का जींद देश का सबसे प्रदूषित शहर रहा, जहां एक्यूआइ 448 रिकॉर्ड हुआ।
सोमवार को सुबह से ही बदली थी। जिसके चलते धुंध छाई थी, आलम यह रहा कि दिन में ही शाम सा नजारा दिखा। चार बजते ही वाहनों की हेडलाइट जलानी पड़ी। सोमवार को एक्यूआइ बीते दिनों का रिकॉर्ड तोड़ 435 के स्तर पर पहुंच गया। यह रविवार के मुकाबले 35 यूनिट ज्यादा रहा। मौसम विज्ञानियों का कहना है कि दिल्ली की ओर से आने वाली हवाएं प्रदूषण बढ़ा रही है। मंगलवार से राहत मिलने के आसार हैं।
पराली जलाने पर एफआइआर: शहीद पथ के पास गोमती नदी के किनारे खेत में किसानों द्वारा पराली को जलाए जाने की शिकायत पर एसडीएम सरोजनीनगर चंदन पटेल ने संबधित किसान पर जुर्माना व एफआइआर के आदेश दिए हैं।
सुबह-शाम बंद रखें खिड़की-दरवाजे
लगातार बढ़ रहे वायु प्रदूषण से बचने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने एडवाइजरी जारी की है। इसमें कहा गया है कि सुबह-शाम खिड़की और दरवाजे न खोलें। मॉर्निग वॉक व इवनिंग वॉक न करने को भी कहा गया है। स्कूलों-कॉलेजों में प्रार्थना सभाओं और व्यायाम जैसी सुबह की गतिविधियों से परहेज करने को कहा गया है। शहर की दूषित हवा से अस्थमा-सीओपीडी के मरीजों की दिक्कत बढ़ गई है। वहीं, सामान्य लोग भी सांस व आंखों में जलन की समस्या लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं। ऐसे में चेस्ट, मेडिसिन व नेत्र रोग की ओपीडी में रोगियों की संख्या बढ़ गई है।
शहर के केजीएमयू, बलरामपुर, सिविल, लोहिया अस्पताल की ओपीडी में जमकर भीड़ हुई। मेडिसिन, चेस्ट व नेत्र रोग विभाग की ओपीडी में आम दिनों की अपेक्षा 20 फीसद अधिक मरीज आए। नेत्र रोग की ओपीडी में जहां आंखों में जलन की समस्या लेकर कई रोगी आए। वहीं मेडिसिन में बुखार के अलावा सांस रोगी भी पहुंचे। उधर, चेस्ट रोग की ओपीडी में मरीजों की लंबी लाइनें रहीं।
बदलनी पड़ रही दवा की डोज: केजीएमयू के चेस्ट रोग विशेषज्ञ व प्रॉक्टर प्रो. आरएएस कुशवाहा के मुताबिक ओपीडी में 20 फीसद अधिक मरीज आए। अस्थमा व सीओपीडी के मरीजों की समस्या अधिक बढ़ गई। उनकी दवा बदलनी पड़ रही है। प्रदूषण के दौरान ऐसे रोगियों को सतर्कता बरतने की जरूरत है।
गंभीर मरीजों की भर्ती मुश्किल : केजीएमयू, सिविल,लोहिया संस्थान को आइसीयू सोमवार को फुल हो गए। वहीं बलरामपुर अस्पताल के आइसीयू में भी 98 फीसद बेड फुल रहे। ऐसे में अस्थमा अटैक, हार्ट अटैक या अन्य दिक्कतों के मरीजों को बेड के लिए भटकना पड़ा। उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट बेड भरे बताकर शाम को लौटा दिया गया।
अस्पतालों में इनहेलर और आई-ड्रॉप का संकट
प्रदूषण ने अस्थमा रोगियों की मुसीबत बढ़ा दी है। आंख में जलन की समस्या के मरीज भी अस्पताल पहुंच रहे हैं। वहीं अस्पतालों में इनहेलर व आई ड्रॉप का संकट है। लोहिया संस्थान के हॉस्पिटल ब्लॉक में इनहेलर का स्टॉक खत्म हो गया है। ऐसे में सांस रोगियों को इनहेलर मेडिकल स्टोर से खरीदना पड़ रहा है। वहीं आंख में जलन दूर करने के लिए आंख का काबरेक्सी मिथाइल सेलुलोज नहीं है। ऐसे में मरीजों को दुश्वारियों का सामना करना पड़ रहा है। सिविल अस्पताल में चार में से दो तरह के इनहेलर हैं। वहीं बलरामपुर में चारों तरह के इनहेलर हैं। मगर, कॉबरेक्सी मिथाईल सेलुलोज आई ड्रॉप यहां भी नहीं हैं।
आंखों का ऐसे करें बचाव
- आंखों के बचाव के लिए चश्मा लगाएं
- खुजली-जलन होने पर हाथों से आंख को रगड़ने से बचें
- शाम को साफ पानी से आंखों में छींटा मारकर धुलंे
- लालिमा, आंसू की दिक्कत बढ़ने पर चिकित्सक को दिखाएं
- आवश्यक हो तो शाम को टियर रिफ्रेशर व लुब्रीकेंट आई ड्रॉप का इस्तेमाल करें
- सांस के रोगी रखें ध्यान
- मॉस्क लगाकर घर से निकलें
- घर में क्वॉयल न जलाएं
- इनहेलर ब्रेक न करें
- चिकित्सक के संपर्क में रहें
- दिक्कत बढ़ने पर दवा में बदलाव कराएं
देश के 15 प्रदूषित शहरों में नौ यूपी के
दिल्ली वालों को सोमवार को जहरीली हवाओं से कुछ राहत जरूर मिली। यहां एक्यूआइ 407 रिकॉर्ड किया गया। देश के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के नौ शहर शामिल रहे। कानपुर, गाजियाबाद, बागपत, हापुड़, मुरादाबाद।
सख्ती के साथ पराली जलाने पर लगाएं रोक
मुख्य सचिव डॉ. राजेंद्र कुमार तिवारी ने दो टूक चेतावनी दी है कि बढ़ते हुए वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए पराली जलाने पर सख्ती से रोक लगाएं।
20 लाख जुर्माना लगाया
लगातार खराब हो रही हवा को लेकर सक्रिय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने निर्माण इकाइयों पर 20 लाख से अधिक का जुर्माना ठोका। इसके साथ ही डिवीजनल पूवरेत्तर रेलवे पर जुर्माना लगाया गया।