भूखे पेट ट्रेनें लेकर निकले लोको पायलट, कहा- यात्रियों की सुरक्षा भगवान या सरकार के हाथों में
लोको पायलट आज हजारों यात्रियों को ट्रेन में लेकर भूखे पेट लेकर निकल पड़े है। लखनऊ, झांसी, कानपुर और इलाहाबाद समेत कई स्थानों से लोगों पायलट के भूख हडताल पर होने की सूचना है।
लखनऊ (जेएनएन)। आल इंडिया रनिंग स्टाफ एसोसिएशन से जुड़े ट्रेनों के गार्ड, चालकों सहित अन्य रनिंग कर्मियों ने 48 का अनशन मंगलवार की सुबह से शुरू कर दिया है। यह अनशन गुरुवार की सुबह नौ बजे तक चलेगा। लोको पायलट आज हजारों यात्रियों को ट्रेन में लेकर भूखे पेट लेकर निकल पड़े हैं। लखनऊ, झांसी, कानपुर और इलाहाबाद समेत कई स्थानों से लोको पायलट के भूख हडताल पर होने की सूचना है। वह दो सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे हैं। उन्हें पूरे देश के ट्रेन चालकों का साथ मिल रहा हैं। यह हड़ताल 48 घंटे तक लगातार जारी रहेगी । इस दौरान वह भोजन पानी त्याग कर ट्रेन चला रहे हैं।
ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन के आह्वान पर आज उत्तर प्रदेश के विभिन्न रेलखंडों पर चालक भूखे पेट ट्रेनें लेकर निकल पड़े हैं। इसको लेकर यात्रियों को सतर्क रहने की हिदायत वाले पोस्टर भी लगाए गए हैं। लोको पायलट, सहायक लोको पायलट और ट्रेन गार्ड की हड़ताल पूरे देशभर में है।
एसोसिएशन के पदाधिकारियों के मुताबिक हड़ताल के तहत मुख्य मांग ग्रेड-पे में सुधार और माइलेज भत्ते का पुनरीक्षण करना है। फिलहाल ये माइलेज भत्ता नहीं दिया जा रहा है। एसोसिएशन का कहना है कि इसके चलते कर्मचारियों को हर महीने आर्थिक नुकसान हो रहा है।
हड़ताल की शुरुआत 17 जुलाई को सुबह 9 से हो चुकी है। 19 जुलाई सुबह 9 बजे तक रेलकर्मी भूखे रहेंगे। फिलहाल वह जब तक दम में दम है ट्रेन चलती रहेगी। एसोसिएशन के बैनर तले इसको लेकर विरोध प्रद विरोध-प्रदर्शन भी हो रहा है।
लोको पायलट, सहायक लोको पायलट के परिजन इस हड़ताल को समर्थन दे रहे हैं। हालांकि लोको पायलट, सहायक लोको पायलट और ट्रेन गार्ड लगातार 48 घंटे तक भूखे रहेंगे जिसकी चिंता परिजनों को हो रही है। एक लोको पायलट की बेटी ने हड़ताल के समर्थन और अपने पिता की सलामती में अनोखा पोस्टर तैयार किया।
गलत नीतियों से रेलवे को हानि
ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन के मंडल संगठन सचिव आरपी मेहता ने दो सूत्रीय मांग के संबंध में बताया कि माइलेज भत्ता दर आरएसी 1980 सिद्धांत के अनुसार अविलंब निर्धारित किया जाय। एक जनवरी 2016 के पूर्व और बाद सेवानिवृत्त रनिंग स्टाफ का सातवें वेतन आयोग के अनुसार तुलनात्मक पेंशन निर्धारण आरबीआइ 13/2018 का अनुपात विहीन विसंगतियों में सुधार किया जाय। कहा कि यह लड़ाई सिर्फ इसलिए है कि हम रेल प्रशासन से यह सवाल कर रहे हैं कि ऐसा रनिंग स्टाफ ने क्या किया जिससे रेल प्रशासन ने चौथे, पांचवें एवं सातवें वेतन आयोग में रनिंग स्टाफ के वेतन तथा भत्तों को कम किया। रेल प्रशासन कहता है कि ऑपरेटिंग रेशियो 86.4 है जिसे कम करना होगा परंतु रेल प्रशासन को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या रनिंग स्टाफ के वेतन-भत्तों से ही ऑपरेटिंग रेशियो कम नहीं हो पा रहा है। यह किसी से छिपा नहीं कि गलत नीति के चलते रेलवे को हानि हुई है। एसोसिएशन द्वारा 48 घंटे का अनशन बिना गाड़ी रोके सफल बनाने का प्रयास है।