LockDown 4 Lucknow News: लॉकडाउन ने खोले रिश्तों के ताले, डर और अवसाद के बीच आया अहम सुधार
LockDown 4 Lucknow News देश के विभिन्न प्रांतों में इंडियन साइकाइट्रिक सोसाइटी का सर्वे। 64 फीसद पुरष और 36 फीसद महिलाओं ने सर्वे में भाग लिया।
लखनऊ [रूमा सिन्हा]। LockDown 4 Lucknow News: दुनिया को अजीब सी सिहरन, डर और तनाव में लॉक कर देने वाले कोरोना का एक सकारात्मक पहलू भी सामने आया है। यह आम लोगों को अवसाद के बीच रिश्तों की अहमियत समझा गया। यह बात एक सर्वे के दौरान सामने आई।
कई राज्यों में हुए ऑनलाइन मनोवैज्ञानिक सर्वे में लगभग 50 फीसद लोगों ने स्वीकारा कि लॉकडाउन से जहां पति-पत्नी का रिश्ता प्रगाढ़ हुआ। वहीं, बच्चों को भी माता-पिता से ढेर सारा प्यार मिला। घर के बुजुर्गों में भी अकेलेपन का अहसास कम हुआ। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवॢसटी (केजीएमयू) के मनोरोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. पीके दलाल ने बताया कि इंडियन साइकियाट्री सोसाइटी के तहत कोरोना संक्रमण तथा लॉकडाउन से लोगों पर पडऩे वाले प्रभावों का पता लगाने के लिए साइक्लोजिकल इंपैक्ट ऑफ लॉकडाउन सर्वे देश के विभिन्न हिस्सों में किया गया।
यहां किया गया सर्वे
बीते माह छह अप्रैल से 24 अप्रैल के बीच किए गए इस सर्वे में उत्तर प्रदेश सहित दिल्ली, राजस्थान, चंडीगढ़, महाराष्ट्र ,गुजरात, हैदराबाद, कर्नाटक, बिहार, पश्चिम बंगाल ओडिशा और उत्तराखंड के 1871 लोगों ने हिस्सा लिया।
12 भाषाओं में हुआ सर्वे
सर्वे में हिंदी, अंग्रेजी सहित 12 भाषाओं को शामिल किया गया। केजीएमयू के मनोरोग विभाग के डॉक्टर आदर्श त्रिपाठी ने बताया कि सोसाइटी के इंडियन जनरल ऑफ साइकियाट्री के अगले अंक में इस शोध को प्रकाशित किया जाएगा । डॉक्टर त्रिपाठी ने बताया कि सर्वे में हिस्सा लेने वालों में इंजीनियर ,डॉक्टर, वकील, नौकरशाह, व्यावसायिक, घरेलू, राजनीतिज्ञ, आइटी विशेषज्ञ, शिक्षक सहित अन्य क्षेत्र के लोग शामिल थे। सर्वे में भाग लेने वालों में 64 फीसद पुरुष व छह फीसद महिलाएं थीं। इसमें पोस्ट ग्रेजुएट से लेकर हाई स्कूल पास लोग शामिल हुए। साथ ही नौकरीपेशा, रिटायर्ड, छात्र व बेरोजगार सभी क्षेत्रों के लोगों ने हिस्सा लिया।
सर्वे के मुख्य निष्कर्ष
- 72 फीसद लोग अपनी सेहत को लेकर अच्छा महसूस नहीं कर रहे।
- 22 फीसद लोग अपने को सामाजिक रूप से कटा हुआ पाते हैं।
- 22 प्रतिशत लोगों में भूख और नींद में वृद्धि हुई।
- 11 फीसद लोगों में बदनदर्द और 22 प्रतिशत में थकावट।
- 30 प्रतिशत लोग भावनात्मक बदलाव के नजरिए से दुखी पाए गए।
- 38 फीसद लोगों में चिंता और भय
- 9.5 फीसद लोग अवसादग्रस्त।
- 74 फीसद तनाव से ग्रसित।
- 04 लोगों में तनाव की स्थिति गंभीर।
- 32 प्रतिशत में चिड़चिड़ाहट।
- 25 प्रतिशत में कुंठा।
- 34 प्रतिशत में डर व घबराहट
- 21 प्रतिशत में अकेलापन।
- 21 प्रतिशत में मृत्यु का भय।
- 10 से 15 प्रतिशत लोगों में नकारात्मकता के भाव मिले।
- 22 फीसद लोगों की व्यायाम में रुचि रही।
- 10 प्रतिशत में शराब का सेवन बढ़ा।
- 18 प्रतिशत लोगों में भगवान के प्रति आस्था बढ़ी। काफी लोगों में सिनेमा, इंटरनेट गेमिंग, इंडोर गेम्स, बुक रीडिंग, पेंटिंग, कुकिंग व सफाई आदि कार्यों में रुचि बढ़ी।
नंबर गेम :
- 50 फीसद लोगों ने माना, समझ में आई परिवार की अहमियत
- 40 फीसद लोग चिंता, भय, अवसाद,निराशा से घिरे पाए गए
- 38 फीसद भयभीत थे कि वह कोरोना से संक्रमित न हो जाएं
- 64 फीसद पुरुष व 36 फीसद महिलाओं ने सर्वे में भाग लिया