कीमोथेरैपी व सर्जरी के बगैर भी लिवर कैंसर का इलाज संभव
-रेडियोथेरैपी डायग्नोसिस व ट्रीटमेंट कार्यशाला में दी जानकारी -एबलेशन के जरिये लिवर कैंसर म
-रेडियोथेरैपी डायग्नोसिस व ट्रीटमेंट कार्यशाला में दी जानकारी
-एबलेशन के जरिये लिवर कैंसर में ट्यूमर को जलाकर कर सकते हैं खत्म
जागरण संवाददाता, लखनऊ:
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के कलाम सेंटर में शनिवार को रेडियोलोजी डायग्नोसिस व ट्रीटमेंट आधारित दो दिवसीय इरिया रेजिडेंट एजुकेशन प्रोग्राम-2018 का आयोजन किया गया। उद्घाटन कुलपति बीएल भंट्ट ने किया। उन्होंने कहा कि बीमारियों को पहचानने में डायग्नोसिस का बड़ा रोल है। इसके बगैर इलाज संभव नहीं है। इस दौरान एडिशनल प्रो. डॉ. अनित परिहार ने बताया कि अत्याधुनिक रेडियोलोजी की एबलेशन तकनीक से लिवर कैंसर का इलाज संभव हो गया है।
उन्होंने कहा कि कुछ लिवर कैंसर जो आरंभिक नहीं हैं, उनमें सर्जरी करना सफल परिणाम नहीं दे पाता। या फिर आखिरी स्टेज वाला ऐसा लिवर कैंसर जिनमें सर्जरी कर पाना संभव नहीं होता, उसका इलाज पहले रेडियोथेरेपी या कीमोथेरेपी से ही करने की व्यवस्था थी। अब ऐसा नहीं है। इस तरह के लिवर कैंसर का इलाज रेडियोलॉजी की अत्याधुनिक एबलेशन तकनीक से कर सकते हैं।
क्या है एबलेशन तकनीक: यह इंटरवेंशनल रेडियोलोजी है। रेडियोफ्रिक्वेंसी एबलेशन में हाई-एनर्जी रेडियोवेव्स का इस्तेमाल इलाज के लिए होता है। इसमें डॉक्टर बगैर चीर-फाड़ किए लिवर में मौजूद कैंसर के ट्यूमर तक एक सुई प्रवेश कराते हैं। बाद में टारगेटेड लोकेशन को इतना अधिक हीट कर दिया जाता है कि ट्यूमर जलकर नष्ट हो जाता है यानि कैंसर कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं। दूसरी व्यवस्था यह भी है कि ट्यूमर को रक्त सप्लाई करने वाली नसों पर ट्यूमर के पास कीमो चढ़ा देते हैं।
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आइआरआइए के अध्यक्ष डॉ. के मोहनन ने कहा कि पीसीपीएनडीटी एक्ट सिर्फ कागजी रह गया है। डॉ. भूपेन्द्र अहूजा ने कहा कि बच्चों में आंतों व ब्रेन तक की बीमारियों में अल्ट्रासाउंड बेहद उपयोगी व सुरक्षित विधा है। रेडियो डायग्नोसिस विभागाध्यक्ष डॉ नीरा कोहली ने कहा कि विभिन्न नई तकनीक से रेजिडेंट डॉक्टरों को प्रशिक्षित करेंगे। जल्द ही यहां थ्री टेस्ला एमआरआइ मशीन भी लगेगी। इस दौरान डॉ. विनीता दास, प्रो. आरके गर्ग, प्रो. विनोद जैन, प्रो. जीपी सिंह व करीब 400 रेडियोलॉजिस्ट व विशेषज्ञ उपस्थित रहे।