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विधान परिषद में नेता सदन केशव प्रसाद मौर्य बोले- शिक्षण संस्थानों की धांधली के चलते बंद किए गए मुफ्त दाखिले

बसपा ने विधान परिषद में अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के छात्र-छात्राओं के जीरो बैलेंस फीस पर दाखिले का मुद्दा उठाया। जवाब में नेता सदन केशव प्रसाद मौर्य ने कहा क‍ि निजी शिक्षण संस्थानों में जीरो फीस पर प्रवेश के नाम पर धांधली होती थी।

By Prabhapunj MishraEdited By: Published: Thu, 22 Sep 2022 11:37 AM (IST)Updated: Thu, 22 Sep 2022 11:37 AM (IST)
विधान परिषद में नेता सदन केशव प्रसाद मौर्य बोले- शिक्षण संस्थानों की धांधली के चलते बंद किए गए मुफ्त दाखिले
विधान परिषद में नेता सदन केशव प्रसाद मौर्य

लखनऊ, राज्य ब्यूरो। विधान परिषद में नेता सदन केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि पहले निजी शिक्षण संस्थानों में एससी-एसटी छात्रों के जीरो फीस पर प्रवेश के नाम पर धांधली होती थी। जांच में करीब 80 प्रतिशत दाखिलों में गड़बड़ी मिली थी। इस कारण मुफ्त प्रवेश की सुविधा बंद कर दी गई। अब दाखिले के बाद शुल्क प्रतिपूर्ति सरकार करती है।

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यह सरकार दलित व पिछड़ा विरोधी- स्वामी प्रसाद मौर्य

  • पहले मुफ्त फीस की सीटों का कोटा 40 प्रतिशत होता था आज सरकार शत-प्रतिशत छात्रों की फीस प्रतिपूर्ति कर रही है।
  • अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के छात्र-छात्राओं के जीरो बैलेंस फीस पर दाखिले का मुद्दा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के भीमराव अम्बेडकर ने उठाया था।
  • उन्होंने कहा कि पहले गरीब परिवारों के बच्चों के दाखिले शिक्षण संस्थाओं में जीरो फीस पर हो जाते थे किंतु सरकार ने यह सुविधा खत्म कर दी है।
  • अब प्रवेश के लिए पूरी फीस जमा करनी पड़ती है। इस कारण लाखों की संख्या में गरीब एससी-एसटी छात्र पढ़ाई से वंचित हो रहे हैं।
  • सपा सदस्य स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि सरकार एससी-एसटी के साथ ही पिछड़े वर्ग के छात्रों की भी शुल्क प्रतिपूर्ति नहीं कर रही है।
  • यह सरकार दलित व पिछड़ा विरोधी है। सभापति कुंवर मानवेन्द्र सिंह ने कार्यस्थगन अस्वीकार कर दिया।

नहीं होगा बदलाव, नई पेंशन योजना ही रहेगी लागू

शिक्षक दल व निर्दलीय समूह ने बुधवार को एक बार फिर शिक्षकों की पुरानी पेंशन बहाल करने का मामला उठाया। सुरेश कुमार त्रिपाठी ने कहा कि सरकार कहती है कि नई पेंशन योजना ज्यादा अच्छी है। सरकार एक सर्वे करा ले, शत प्रतिशत शिक्षक नई पेंशन योजना का विरोध करेंगे। इसका पैसा शेयर बाजार में लगाया जाता है, इस कारण न्यूनतम पेंशन भी नहीं पा मिल रही है। एक शिक्षक को 82 हजार रुपये वेतन मिलता था, सेवानिवृत्ति के बाद नई पेंशन योजना में उनकी पेंशन मात्र एक हजार रुपये महीना बनी।

ध्रुव कुमार त्रिपाठी, डा. आकाश अग्रवाल एवं राजबहादुर सिंह चन्देल ने भी पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग की। नेता सदन ने कहा कि अभी जो नई पेंशन योजना चल रही है उसमें कोई बदलाव सरकार नहीं करने जा रही है। नई पेंशन सपा सरकार में लागू की गई थी। वर्ष 2016 तक सरकार का अंशदान शिक्षकों के पेंशन के खाते में नहीं डाला गया था। हमने एकमुश्त 10,500 करोड़ रुपये जमा कराए। सभापति ने कार्यस्थगन अस्वीकार कर दिया।


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