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BBAU: मानवाधिकार विभाग में हो रही कानून की पढ़ाई, अधर में लटका 150 छात्रों का भविष्य

अंबेडकर विवि में बह रही उल्टी गंगा। छात्रों के आंदोलन के बावजूद नहीं मान रहा विवि प्रशासन।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 26 Oct 2018 02:57 PM (IST)Updated: Fri, 26 Oct 2018 02:57 PM (IST)
BBAU: मानवाधिकार विभाग में हो रही कानून की पढ़ाई, अधर में लटका 150 छात्रों का भविष्य

लखनऊ(जेएनएन)। बाबा साहब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विवि में उल्टी गंगा बह रही है। यहां कानून की पढ़ाई करने वाले छात्रों को मानवाधिकार विभाग में पढ़ाया जा रहा है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों को दर किनार कर हो रही इस पढ़ाई का छात्रों ने विरोध किया तो कोर्स विधि विभाग में वापस कर दिया गया। मगर अब एक बार फिर मानवाधिकार विभाग की अध्यक्ष इस कोर्स फिर से अपने विभाग में चलाने की तैयारी में जुट गई हैं। फिलहाल कुलपति प्रो. एनएमपी वर्मा ने मामले की जांच के लिए 14 सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया है। 

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अंबेडकर विश्वविद्यालय में वर्ष 2014 में बीबीए-एलएलबी का कोर्स शुरू तो हुआ, लेकिन इसके शुरू होने के साथ ही पढ़ाई को लेकर शुरू हुआ बवाल चार साल बाद भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। मानवाधिकार विभाग में कुशल विधि शिक्षकों के अभाव में पढ़ाई न होने का आरोप लगाने वाले 150 छात्रों ने कोर्स को विधि संकाय में चलाने का अनुरोध किया, लेकिन विवि प्रशासन ने उनकी एक न सुनी। प्रदर्शन के बाद कोर्स लॉ विभाग में स्थानांतरित तो हुआ, लेकिन एक बार फिर कोर्स को वापस लाने की कवायद शुरू हो गई है। 

एक साल तक बंद रहा कोर्स

वर्ष 2017 में मानवाधिकार विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. प्रीती सक्सेना ने बीसीआइ (बार काउंसिल ऑफ इंडिया) के मानकों पर फिट न बैठने पर एक साल के लिए कोर्स ही बंद कर दिया था। इसके पीछे तर्क दिया गया कि नियमित शिक्षक न होने से पढ़ाई नहीं हो पा रही है। अब एक बार उनकी ओर से कोर्स संचालन करने और विधि संकाय में स्थानांतरित कोर्स को मानवाधिकार विभाग में लाने की कवायद क्यों की जा रही है? छात्रों के इस सवाल का जवाब कोई देने को तैयार नहीं है। छात्र एक बार फिर आंदोलन की रणनीति बनाने में जुट गए हैं।

क्या कहते हैं अफसर ?

  • बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मनन मिश्रा के मुताबिक, नियमों के तहत कानून की पढ़ाई विधि संकाय में ही होनी चाहिए। अंबेडकर विवि में यदि मानवाधिकार विभाग में शिक्षा दी जा रही है तो यह नियमों के विरुद्ध है। 
  • अंबेडकर विश्वविद्यालय रजिस्ट्रार प्रो. आरबी राम का कहना है कि मानवाधिकार विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. प्रीती सक्सेना ने बीसीआइ को पत्र लिखकर इसका संचालन चला पाने में असमर्थता जताई थी, जिसपर संभवत: बीसीआइ ने निर्णय भी किया है कि इसका संचालन विधि विभाग करे। वर्तमान में विधि विभाग में ही  बीबीए-एलएलबी कोर्स का संचालित हो रहा है।

एकेडमिक काउंसिल की बैठक में रखा जाएगा मामला

अंबेडकर विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. एनएमपी वर्मा ने बताया कि तत्कालीन कुलपति की ओर से कोर्स संचालन मानवाधिकार विभाग में करने का निर्णय क्यों लिया गया, इस बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता, लेकिन मामले की जांच के लिए 14 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है, जिसकी रिपोर्ट एक नवंबर को होने वाली एकेडमिक काउंसिल की बैठक में मामले को रखा जाएगा। काउंसिल जो भी निर्णय लेगा वह बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों के तहत ही लेगा।


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