राजनीतिक कार्यकर्ताओं पर लाठियां बरसाने पर बिफरा विपक्ष, सदन में उठेगा मुद्दा
राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज करने के मुद्दे को लेकर विपक्ष ने कड़ी नाराजगी जतायी है।
लखनऊ (जेएनएन)। राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज करने के मुद्दे को लेकर विपक्ष ने कड़ी नाराजगी जतायी है। सरकार की भत्र्सना करते हुए लोकतंत्र कुचलने की साजिश करार दिया और सदन में उठाने की बात भी कही।
मंगलवार को राजधानी में समाजवादी पार्टी की महिला कार्यकर्ताओं पर हुए लाठीचार्ज पर आक्रोश जताते हुए नेता विरोधी दल रामगोविंद चौधरी ने आरोप लगाया कि भाजपा शासनकाल में देश में अघोषित आपातकाल जैसे हालात है। विपक्ष की आवाज को कुचलने का हरसंभव प्रयास किया जा रहा है और पुलिस बर्बरता की सीमा लांघ रही है। केवल राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं पर ही नहीं अन्य संगठन भी सरकारी जुल्म का शिकार हो रहे हैं। समस्याएं समाधान करने के बजाए पुलिस द्वारा आवाज दबाने का काम किया जा रहा है। चौधरी ने कहा कि सदन के भीतर पुलिसिया बर्बरता का मुद्दा जोरशोर से उठाया जाएगा।
कांग्रेस ने की पुलिस रवैये की निंदा
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर ने भी पुलिस के रवैये की निंदा की। उन्होंने आरोप लगाया कि गत दिनों शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने जा रहें युवक कांग्रेस के कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया। राष्ट्रीय अध्यक्ष केशवचंद यादव समेत विधानमंडल दलनेता अजय कुमार लल्लू भी पुलिस की लाठियों के शिकार हुए। अपराध रोकने में नाकाम पुलिस बाउंसर की तरह कार्य रही है। इस बर्बरता पर कांग्रेस खामोश नहीं रहेगी और सड़क से लेकर सदन तक विरोध किया जाएगा।
सरकार का रवैया नादिरशाहीः रालोद
राष्ट्रीय लोकदल के प्रवक्ता अनिल दुबे ने आरोप लगाया कि सरकार का नादिरशाही रवैया आमजनता में आतंक बनाए है। विपक्ष की आवाज दबाने के लिए सरकार घटिया हथकंडे आजमा रही हैं। जिसका हर स्तर पर विरोध किया जाएगा।
महिलाओं पर लाठीचार्ज निंदनीयः सपा
समाजवादी पार्टी ने बिगड़ी कानून व्यवस्था, रसोई गैस व पेट्रोल-डीजल के दामों में वृद्धि, महंगाई की मार और राजधानी में बिजली कटौती के खिलाफ प्रदर्शन कर रही सपा की महिला कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज की ने निंदा की है। नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी, विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन, एमएलसी एसआरएस यादव और अरविंद कुमार सिंह ने मांग की है कि महिलाओं पर पुरुष कर्मियों द्वारा लाठीचार्ज किए जाने की जांच होनी चाहिए और दोषी लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए। महिलाओं के प्रदर्शन के समय महिला पुलिस की ड्यूटी होनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा लगता है कि भाजपा सरकार के इशारे पर पुलिस अधिकारी अपना कर्तव्य और कानून की व्यवस्थाओं को भूलकर काम करने लगे हैं।