लाओस और इंडोनेशिया के कलाकारों ने किया श्रीराम के चरित्र का मंचन
अपनी भाषा में किया रामलीला का मंचन। ऐशबाग के रामलीला मैदान में चार दिवसीय रामायण कॉन्क्लेव का समापन ।
लखनऊ, (जेएनएन)। भाषा और संवादों के बजाय अपने अभिनय के माध्यम श्रीराम के चरित्र को मंच पर दिखाकर लाओस और इंडोनेशिया के कलाकारों ने दर्शकों का दिल जीत लिया। रामलीला के संवादों की भाषा भले ही दर्शक समझ नहीं पाए, लेकिन जटायु-रावण संघर्ष और लक्ष्मण रेखा के बाहर रावण-सीता के संवादों का अभिनय दर्शकों को अपनी ओर खींचने में कामयाब रहा।
ऐशबाग के रामलीला मैदान में चार दिवसीय रामायण कॉन्क्लेव के अंतिम दिन मंगलवार को दिल्ली और कंबोडिया के कलाकारों ने भी रामलीला का जीवंत मंचन कर भारतीय संस्कृति को मंच पर जीवंत करने का सफल प्रयास किया। पर्यटन विभाग-संस्कृति विभाग, श्री राम लीला समिति ऐशबाग और अयोध्या शोध संस्थान के संयोजन में आयोजित चार दिवसीय कॉन्क्लेव के अंतिम दिन विदेशी कलाकारों ने अपने उत्कृष्ट अभिनय के माध्यम से सीता स्वयंवर और प्रभु श्रीराम के अयोध्या वापसी के प्रसंग का मंचन किया। ऐशबाग रामलीला समिति के अध्यक्ष हरिश्चंद्र अग्रवाल ने बताया कि आदित्य द्विवेदी के संचालन में आयोजित रामायण कॉन्क्लेव में मयंक रंजन समेत कई गणमान्य लोग मौजूद थे।
दर्शकों का रहा टोटा
दशहरे पर जिस ऐशबाग रामलीला मैदान में तिल रखने तक की जगह नहीं थी उस रामलीला मैदान की कुर्सियां खाली थीं। दीपावली के त्योहार की खरीदारी में व्यस्त रहे दर्शक भी इस आयोजन के समय को लेकर नाराज दिखे। दर्शकों के अभाव के बावजूद देशी विदेशी कलाकारों ने कलाकारों ने अपने मंचन से भारतीय संस्कृति को जीवंत करने का प्रयास किया।