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लखनऊ का गूंगे नवाब पार्क: कहने-सुनने को बहुत कुछ, पर देखने को?

अनदेखा लखनऊ अमीनाबाद में प्रताप मार्केट रोड पर है गूंगे का नवाब पार्क। एक कोने में गुरुजी छुटका पहलवान अखाड़ा समिति भी है।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Sat, 02 Nov 2019 03:16 PM (IST)Updated: Sat, 02 Nov 2019 03:16 PM (IST)
लखनऊ का गूंगे नवाब पार्क: कहने-सुनने को बहुत कुछ, पर देखने को?

लखनऊ [पवन तिवारी]। लखनऊ के अमीनाबाद का क्या मशहूर है? प्रकाश की कुल्फी, टुंडे कबाब, बाजार और भीड़भाड़। एक चीज और है? जवाब आएगा ट्रैफिक जाम। ना इससे इतर भी अमीनाबाद के पास अपनी थाती है, वह है इसके इर्द-गिर्द ऐतिहासिक पार्क। पिछली बार आपने नायाब जनाना पार्क के बारे में पढ़ा था। इस बार आपको ले चलते हैैं गूंगे नवाब पार्क।

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जंगे आजादी में कभी जहां से इंकलाबी नारे लगे हों, वह पार्क आज कुछ बोलने की हालत में नहीं है। ऐसा तब है, जब इसके बारे में कहने-सुनने को बहुत कुछ है। अमीनाबाद की तंग गलियों से होकर इसका रास्ता जाता है। रास्ते में हमने एक पटरी दुकानदार से पूछा-गूंगे नवाब पार्क जाना है चचा..। सिर खुजाते जवाब दिया अमां आगे से दाहिने गली में एक पारक तो है, अब वो कौन सा है-आप खुद ही देख लीजिए।

प्रताप मार्केट रोड पर। दाहिने हाथ। बिसातखाने की दुकानें सजी हैं। इन दुकानों के ठीक पीछे चुपचाप सा रहता है यह पार्क। अरे, यह तो पार्किंग है। पार्क कहां है? यही है पार्क। पत्थरनुमा एक बेंच पर बैठकर डाक के लिफाफे छांट रहे एक शख्स ने जवाब दिया। परिचय के दौरान खुद को कोरियरवाला बताते हुए कहा-साहब, कुछ लिख दीजिए, पार्क की हालत सुधर जाए। पार्किंग किसने लगवा दी यहां? चहलकदमी एक शख्स ने पान की गिलौरी संभालते हुए कहा-हमारा नाम न आए तो बताएं-लोकल लोगों ने लगवाई है। जिसकी जो मर्जी वो करता है, कौन देखने वाला है?

 

अखाड़ा, वर्जिश और कुश्ती

पार्क के एक कोने में पुराना अखाड़ा नजर आता है-बोर्ड लगा है परम पूज्य गुरुजी छुटका पहलवान अखाड़ा समिति। अंदर मिट्टी का अखाड़ा है। भुरभुरी मिट्टी देखकर लगता है कि इसकी नियमित देखभाल होती है। व्यायाम के उपकरण रखे हैैं। एक पहलवान भरी दोपहर वर्जिश में जुटा है। यहीं भेंट होती है-अखाड़े  के उस्ताद राम खेलावन से। उनके बेटे पिंटू पहलवान भी साथ में हैं। कहते हैं-अखाड़ा तो सन चालीस (1940) में बना, लेकिन तिरानबे (1993) में इसकी मरम्मत हुई। कहते है-इस अखाड़े के लड़के विदेश तक लडऩे जाते हैैं। मौजूदा समय में सुबह-शाम करीब 35-40 शागिर्द कुश्ती के दाव-पेंच सीखते हैं।

पिंटू सोनकर खांटी लखनउवा अंदाज में शुरू हो जाते हैं- अपने नखलऊ से पहलवानी खत्म होती जा रही है। कभी यहां 52 अखाड़े चलते थे। अब गिने-चुने ही चल रहे हैं।

नमक आंदोलन से जुड़ा है यह पार्क

नमक कानून तोडऩे के लिए महात्मा गांधी की ओर से चलाए गए आंदोलन में भी इस पार्क का योगदान है। इतिहासकार योगेश प्रवीण बताते हैैं कि उस दौरान गूंगे नवाब पार्क में नमक बनाकर गांधी जी के आंदोलन को समर्थन दिया गया। यही नहीं, गूंगे नवाब के पास एक बार कोई अंग्रेज अधिकारी मेहमान बनकर आया। अंग्रेजी हुकूमत के विरोध में नवाब ने इसी पार्क में ब्रिटिश करंसी जलाकर उसकी आंच में चाय बनवाई और वही चाय अंग्रेज मेहमान को पीने के लिए दी। यह भी कहा जाता है कि जंग-ए-आजादी के दौरान बापू ने कई बार यहां सभाएं भी की थीं।

कैसे पहुंचें?

चारबाग से कैसरबाग चौराहा। कैसरबाग से नजीराबाद होते हुए अमीनाबाद। अमीनाबाद में प्रताप मार्केट रोड पर दाईं ओर है गूंगे नवाब पार्क।


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