ये है हवा में उड़ता 100 बेड का अस्पताल, ऑपरेशन की सुविधा भी उपलब्ध
11 से 16 मार्च तक छावनी स्थित सूर्या ग्राउंड में आसियान व आसियान प्लस के सोलह देश चिकित्सकीय सुविधा को लेकर संयुक्त अभ्यास कर रहे हैं।
लखनऊ, जेएनएन। आपदा के समय अगर अधिक से अधिक लोगों को चिकित्सीय सुविधा पहुंचानी हो, तो सी-17 ग्लोब मास्टर इस पर खरा उतरेगा। यही नहीं, उड़ते हुए ग्लोबमास्टर में छोटा ऑपरेशन की सुविधा भी उपलब्ध है। इसके अलावा आठ से अधिक लोगों को भर्ती करने के साथ ही इसमें दर्जनों लोगों को ओपीडी के जरिये इलाज मिल सकता है।
नजदीकी एयरपोर्ट पर इसकी लैंडिंग करके घटनास्थल पर अधिकतम सौ बेड का अस्पताल बनाने का सामान ग्लोब मास्टर के जरिये पहुंचाया जा सकता है। 11 से 16 मार्च तक छावनी स्थित सूर्या ग्राउंड में आसियान व आसियान प्लस के सोलह देश चिकित्सकीय सुविधा को लेकर संयुक्त अभ्यास कर रहे हैं। गुरुवार को बीकेटी एयरफोर्स स्टेशन पर इसी क्रम को आगे बढ़ाया गया।
अस्पताल पूरी तरह वातानुकूलित
बीकेटी में आसियान व आसियान प्लस देशों के साथ हुए अभ्यास में भारतीय वायुसेना ने चंद घंटे में ग्लोब मास्टर से लखनऊ पहुंचकर अस्थायी अस्पताल खड़ा कर दिया। पूर्णत: वातानुकूलित टेंट में चिकित्सा की हर स्तर की सुविधा उपलब्ध थी। एक बार में 25 गंभीर रोगियों का इलाज किया जा सकता था।
पटरी पर दौड़ता सेना का अस्पताल
भारतीय सेना के पास रेल पटरी पर चलता-फिरता आधुनिक अस्पताल भी है। इसे एंबुलेंस ट्रेन के नाम से जाना जाता है। किसी भी आपदा के समय सेना पटरियों पर भी सैकड़ों की जान अपनी एंबुलेंस ट्रेन के जरिये बचा सकती है। 200 लोगों को एक समय में भर्ती करके उपचार किया जा सकता है। टेन में ही प्री ऑपरेटिव थियेटर, ऑपरेशन थियेटर, पोस्ट ऑपरेटिव के साथ ही ऑटो क्लेव के लिए जगह दी गई है। गुरुवार को सेना ने इस एंबुलेंस ट्रेन को आसियान व आसियान प्लस देशों से आए सैन्य अधिकारियों व जवानों को दिखाया भी। एंबुलेंस ट्रेन में मरीजों व स्टाफ के लिए खाने का भी ध्यान रखा जाता है। सोलह कोच की ट्रेन में अस्पताल से जुड़ी हर सुविधा है।
अभ्यास में आज
- मेडेक्स-2019 में गुरुवार को विभिन्न देशों से आए ऑब्जर्वर करेंगे समीक्षा
- प्रशिक्षण में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों की लगाई जाएगी प्रदर्शनी
- डीआरडीओ, इसरो और निजी कंपनियों के उपकरण भी किए जाएंगे प्रदर्शित।