केजीएमयू के नेफ्रोलॉजी विभाग में ताला, गुर्दा रोगियों की भर्ती बंद
केजीएमयू स्थित 30 बेड के वार्ड में कई दिनों से भर्ती बंद है। शुक्रवार को महिला वार्ड में जहां ताला पड़ा मिला वहीं पुरुष वार्ड में बेडों पर सन्नाटा मिला।
लखनऊ, जेएनएन। केजीएमयू में गुर्दा रोगियों की भर्ती बंद है। यहां के नेफ्रोलॉजी वार्ड में ताला लगा दिया गया है। ऐसे में गंभीर मरीज इलाज के लिए दर-दर भटकने के लिए मजबूर हैं। केजीएमयू में चिकित्सीय सेवाएं दम तोड़ रही हैं। यहां सरकार द्वारा संसाधन और करोड़ों का बजट मुहैया कराने के बावजूद मरीजों का इलाज बाधित चल रहा है। स्थिति ये है कि पिछले दो वर्षों में कई विभाग दम तोड़ चुके हैं। ये विभाग सिर्फ कागजों में सिमटकर रह गए हैं। वहीं, अब महत्वपूर्ण नेफ्रोलॉजी विभाग भी निष्क्रिय हो गया है।
डॉक्टर ने छोड़ी नौकरी, प्रशासन बेपरवाह
विभाग के चिकित्सक डॉ. संतशरण के नौकरी छोडऩे के बाद अफसर विभाग के संचालन पर गंभीर नहीं दिख रहे हैं। इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।
रोजाना लौट रहे औसतन दो सौ मरीज
केजीएमयू के नेफ्रोलॉजी विभाग में ओपीडी से इंडोर तक हर रोज औसतन दो सौ मरीजों का इलाज होता था। वहीं, अब विभाग की जिम्मेदारी यूरोलॉजी विभाग को सौंप दी गई है। ऐसे में नेफ्रोलॉजी विभाग की सेवाएं पूरी तरह चौपट हो गई हैं। यहां आने वाले मरीजों को लोहिया संस्थान और पीजीआइ जाने की सलाह दी जा रही है। वहीं, ट्रॉमा सेंटर में आने वाले किडनी रोगियों को भी इलाज नहीं मिल पा रहा है।
डायलिसिस की सात मशीनें खराब
केजीएमयू में पीपीपी मॉडल पर डायलिसिस होती है। लेकिन, नेफ्रोलॉजिस्ट न होने से यहां भी मरीजों पर आफत है। कुल 17 मशीनों में से सात मशीनें खराब हैं। ऐसे में गुर्दा रोगियों का इलाज बाधित चल रहा है। खासकर, हेपेटाइटिस व एचआइवी मरीजों की मशीन खराब होने से संक्रमित मरीज परेशान हैं। इन मशीनों के मदर बोर्ड खराब हो गए हैं।
डायलिसिस के लिए भटक रहे सात दिन से
बलरामपुर निवासी रंगीला की किडनियां खराब हैं। डॉक्टर ने उन्हें डायलिसिस का सुझाव दिया। परिजन शेष राम के साथ रंगीला सात दिन से केजीएमयू के चक्कर काट रहे हैं। शुक्रवार दोपहर तक उसकी डायलिसिस नहीं हो सकी। ऐसे ही खुर्रम नगर निवासी शालिनी कश्यप के पति आनंद दो दिनों से भटक रहे हैं। मगर डायलिसिस नहीं हो सकी।
प्रवक्ता को जानकारी ही नहीं
संस्थान के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने नेफ्रोलॉजी वार्ड में ताला लगने और एक भी मरीज भर्ती न होने की जानकारी से इंकार किया। उन्होंने कहा कि नेफ्रोलॉजी विभाग का काम सीएमएस व यूरोलॉजी के हेड डॉ. एसएन शंखवार को सौंपा गया है। वहीं, डॉ. शंखवार को कई बार कॉल की गई, मगर उनका फोन रिसीव नहीं हुआ।