Fight Against Coronavirus : 1500 किमी का मुश्किलों भरा सफर तय कर तेलंगाना से आया छात्र
प्रियंका गांधी वाड्रा ने सराहा शोध पत्र लिखने के लिए गया था अपने घर। विभागाध्यक्ष की कॉल पर लौटा।
लखनऊ, जेएनएन। जब वायरस पूरे देश में पैर पसार रहा था, तब केजीएमयू के माइक्रो बायोलॉजी विभाग के शोध छात्र रामा कृष्णा तेलंगाना में थे। शोध लिखने के लिए अपने गांव गए थे। इस संकट के समय में केजीएमयू ने वापस बुलाया तो माता-पिता को झूठ बोलकर चिकित्सा सेवा का धर्म निभाने के लिए निकल पड़े। 1500 किलोमीटर का थका देने वाला सफर कर लखनऊ पहुंचे। फिर बिना विश्रम किए कोरोना वायरस की लैब में जांच में तत्पर हो गए। उनके इस जज्बे को कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा ने भी ट्वीट कर और पत्र लिखकर सराहा है।
रामा कृष्णा मूल रूप से तेलंगाना राज्य के खम्मम जिले के रहने वाले हैं। राजधानी में केजीएमयू में माइक्रो बायोलॉजी विभाग की अध्यक्ष डॉ. अमिता जैन के निर्देशन में शोधार्थी हैं। विवि सूत्रों के अनुसार देश में कोरोना की दस्तक के शुरुआती समय में वह तेलंगाना गए थे। इसी दौरान खेतों में काम करने के दौरान ही रामा कृष्णा के पास उनकी गाइड व विभागाध्यक्ष डॉ. अमिता जैन की कॉल आई। उनसे कहा कि केजीएमयू में चल रहे कोरोना मरीजों की जांच में सहयोग करने के लिए आ सकते हैं। उन्हें विचार कर एक घंटे में उत्तर देने को कहा। माता-पिता से चर्चा तो वह वैश्विक महामारी के बढ़ते प्रकोप के बीच उन्हें सैकड़ों किलोमीटर का सफर कर लखनऊ जाने देने के लिए राजी नहीं हुए। ऐसे दोराहे पर शोधार्थी रामा कृष्णा ने फर्ज की पुकार सुनी।
वायरस जांच दल का अनुभव काम आया
रामा कृष्णा विभाग में शोध के दौरान वायरस से जुड़े जांचों और शोध के दल में पहले भी शामिल रह चुके हैं। उनके इसी अनुभव और वायरसों की जेनेटिक जानकारी के चलते ही उनकी गाइड ने उन्हें बुलाने का निर्णय लिया था। प्रियंका ने लिखे पत्र में कहा है कि आपने अपने ज्ञान का देश और इंसानियत की सेवा में अर्पण किया। यह गर्व का विषय है।