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Lucknow: हेरफेर कर खुले बाजार में बेची जा रही थीं केजीएमयू की दवाएं, STF ने तीन को दबोचा

लखनऊ में केजीएमयू की दवाएं हेरफेर कर खुले बाजार में बेजी जा रहीं थीं। यूपी एसटीएफ ने माल के साथ तीन आरोपितों को दबोच लिया। सभी की गिरफ्तारी चौक से हुई है। भारी मात्रा में सरकारी दवाएं बरामद की गई हैं।

By Vikas MishraEdited By: Published: Fri, 25 Nov 2022 08:24 AM (IST)Updated: Fri, 25 Nov 2022 08:24 AM (IST)
एसटीएफ ने चौक से तीन आरोपितों को गिरफ्तार किया

लखनऊ, जागरण संवाददाता। एसटीएफ ने किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी केजीएमयू के दवाओं को बाजार में बेचकर मुनाफा कमाने वाले गिरोह का राजफाश किया है। मरीजों का हक छीनकर आरोपित दवा व्यापारियों के साथ मिलीभगत कर सालों से फर्जीवाड़ा कर रहे थे। एसटीएफ ने गुरुवार को केजीएमयू में संविदा पर कार्यरत तीन कर्मचारियों को गिरफ्तार किया। आरोपितों के पास से भारी मात्रा में सरकारी अस्पतालों की दवाएं मिली हैं। एसटीएफ की नजर अभी शहर के अन्य सरकारी संस्थानों पर भी है। इसके लिए टीमें लग चुकी हैं। 

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प्रभारी एसएसपी एसटीएफ विशाल विक्रम सिंह के मुताबिक, त्रिवेणी नगर निवासी रजनीश कुमार, कृष्णा कालोनी रायपुर मड़ियांव निवासी नितिन बाजपेयी और और फैजुल्लागंज निवासी प्रियांशू मिश्र को गिरफ्तार किया गया है। एसटीएफ को मरीजों के लिए केजीएमयू में स्थापित फार्मेसी दुकानों की दवाओं को कूटरचना कर ऊंचे दाम पर बाजार में बेचने की सूचना मिल रही थी। टीम गठित कर छानबीन की गई तो गिरोह के बारे में जानकारी मिली।

आरोपित सरकारी अस्पतालों की कम कीमत की दवाओं के रैपर पर लिखी सरकारी मोहर को बदल देते थे। पूछताछ में रजनीश कुमार ने बताया कि वह केजीएमयू में रिवाल्विंग फंड (एचआरएफ) की फार्मेसी दवा की दुकान पर संविदा पर फार्मेसिस्ट सेल्समैन का काम तीन साल से कर रहा है। फार्मेसी पर केजीएमयू के रजिस्टर्ड मरीजों को 50 से 60 प्रतिशत छूट पर दवाएं दी जाती हैं। दवाओं के रैपर पर केजीएमयू के लिए व केवल एचआरएफ लिखा रहता है।

आरोपित अपने साथी नितिन बाजपेयी, प्रियांशु, सूरज और सुग्रीव वर्मा समेत अन्य के सहयोग से रैपर पर लिखे केजीएमयू के लिए व केवल एचआरएफ शब्द हटा देता था। इसके बाद सुग्रीव की मदद से मेडिकल स्टोर संचालकों को 30 प्रतिशत कमीशन पर बेच देते थे। दवा व्यापारी उन्हीं दवाओं को पूरी कीमत पर बेचकर मरीजों से अत्यधिक रकम वसूलते थे। गिरोह में ट्रामा सेंटर एचआरएफ की फार्मेसी पर तैनात महेश प्रताप सिंह तथा अनूप मिश्रा, प्लास्टिक सर्जरी की फार्मेसी पर तैनात देवेश मिश्रा, गांधी वार्ड की फार्मेसी पर तैनात उदय भान एवं प्रियांशु मिश्रा का बड़ा भाई सूरज भी शामिल है।

आरोपित आपस में रुपये बांट लेते थे। केजीएमयू में करीब तीन-चार सालों से दवाओं का हेरफेर किया जा रहा था। आरोपित अपने साथियों की मदद से हड़पी गयी दवाओं को अन्य मरीजों की रंजिस्टर्ड नंबर पर चढ़ा देते थे। एसटीएफ गिरोह में शामिल अन्य आरोपितों की तलाश कर रही है। इस पूरे मामले में केजीएमयू प्रशासन भी कठघरे में है। चौक कोतवाली में आरोपितों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई है।


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