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डॉ. मनीषा प्रकरण में पिता ने कहा- दवा लेने आना था, दर्द लेकर जा रहा हूं...

पिता बोले, बिटिया करवा रही थी मेरा और अपनी मां का इलाज। आज हम दोनों को बेटी के पास हॉस्टल आना था, मगर हादसा हो गया ।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Wed, 17 Oct 2018 09:17 PM (IST)Updated: Thu, 18 Oct 2018 12:30 AM (IST)
डॉ. मनीषा प्रकरण में पिता ने कहा- दवा लेने आना था, दर्द लेकर जा रहा हूं...

लखनऊ[आशीष त्रिवेदी]। राजधानी के चर्चित केजीएमयू की जूनियर डॉक्टर (जेआर थर्ड) मनीषा शर्मा प्रकरण में वजीरगंज पुलिस और फॉरेंसिक टीम बुधवार को जांच करने बुद्धा हॉस्टल पहुंची। यहां सील किए गए थर्ड फ्लोर स्थित मनीषा के रूम नं 309 को टीम ने खोला। इस दौरान साथ में मौजूद रमेश चंद्र विद्यार्थी अपनी बेटी डॉ. मनीषा शर्मा के कमरे में दाखिल होने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे। जैसे ही फॉरेंसिक टीम व पुलिस ने उन्हें कमरे का ताला खोलते समय बुलाया तो बड़ी बेटी दीपा शर्मा को आगे कर दिया। बोले, अब क्या करेंगे इस कमरे में जाकर। 

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दवा लेने आना था लेकिन, दर्द लेकर जा रहा हूं

पिता ने रुंधे गले से बताया कि मेधावी मनीषा बहनों में सबसे छोटी और पांच भाई-बहनों में चौथे नंबर पर थी। मुझे बहुत मानती थी। मेरा गठिया और अपनी मां के पैर दर्द का इलाज यहां करवा रही थी। सारे कागज इसी कमरे में रखे हैं। पिछले बुधवार, 10 अक्टूबर को उसने हम दोनों को बुलाया था लेकिन, नवरात्र और बाहर कोर्ट का काम होने के कारण नहीं आ पाए। हमने उससे कहा था कि अगले बुधवार यानी आज के दिन आएंगे, मगर देखिए किस काम के लिए आए हैं। दवा लेने आना था लेकिन, दर्द लेकर जा रहा हूं। 


रुंधे गले से बोला पिता :  मेरी लाडली थी वो

पिता ने बताया कि बच्चों की पढ़ाई के लिए कभी भी समझौता नहीं किया। एमबीबीएस करते समय अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में उसे हॉस्टल में ठीक नहीं लगा तो अलग कमरा लेकर रखा। दिल्ली में पीजी की तैयारी करवाई। वह जो कहती, उसे जरूर पूरा करता था। वह मेरी लाडली थी। जब उसे पता चला कि  पापा व मम्मी को पैर में दर्द रहता है तो तुरंत हम दोनों को अपने पास बुलाया। जांचें करवाई और दवा दी। मुझे फोन पर बताया कि पापा आपको गठिया है और मम्मी को इतनी दिक्कत नहीं है, उन्हें आर्थोपेडिक विभाग में दिखाएंगे। आप ऐसा करो कि बुधवार को मेरे पास आ जाओ।


 17 अक्टूबर को बेटी ने बुलाया था अपने पास

मैने घर में बात की तो पत्नी ने कहा कि अभी नवरात्र है, अगले बुधवार को आएंगे। ऐसे में उसने कहा कि अगले बुधवार यानी 17 अक्टूबर को जरूर आना। मैंने कहा कि ठीक है अष्टमी है, पूजा करके आ जाएंगे। मगर इस बीच यह हादसा हो गया। बीते शनिवार को बेटी ने बेहोशी में दी जाने वाली दवा के इंजेक्शन की हाईडोज लगा ली। सोमवार को उसकी मौत हो गई। आज बुधवार को यहां खड़ा हूं, सबकुछ खत्म हो गया।

बड़ी बहन इंजीनियर व छोटा भाई भी एमबीबीएस कर रहा

पिता रमेश चंद्र विद्यार्थी ने बताया कि पांच भाई-बहनों में डॉ. मनीषा चौथे नंबर पर थी। बड़ा भाई सुधीर खेती करता है, उससे छोटी दीपा शर्मा गृहणी है। तीसरे नंबर पर रश्मि है जो आर्किटेक्चर की पढ़ाई करने के बाद मल्टी नेशनल कंपनी में काम कर रही है। चौथे नंबर पर मनीषा थी जो कि एमबीबीएस करने के बाद केजीएमयू से एमएस कर रही थी और पांचवें नंबर पर अनुराग शर्मा है जो राममूर्ति स्मारक कॉलेज से एमबीबीएस कर रहा है।


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