धारदार हथियार से काट दिया था युवक का गला, केजीएमयू के डॉक्टरों ने दी नई जिंंदगी
बलरामपुर निवासी 19 वर्षीय युवक के गले पर धारदार हथियार से हमला हुआ था जिसमें उसकी सांस की नली और आहार नाल तक कट गई थी। केजीएमयू लखनऊ के डाॅक्टरों ने कोरोना का रिस्क उठाकर युवक का ऑपरेशन किया।
लखनऊ, जेएनएन। केजीएमयू के डॉक्टरों ने गला कटे एक मरीज की जान बचाने के लिए कोरोना संक्रमण का जोख़िम भी अपने सर उठा लिया। बलरामपुर निवासी 19 वर्षीय युवक के गले पर 9:00 10 सितंबर की रात धारदार हथियार से हमला हुआ था। इससे उसके सांस की नली और आहार नली कट गई थी। मरीज को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी । आक्सीजन का स्तर भी काफी गिर गया था। ऐसे में उसका बचना बेहद मुश्किल था। मगर डॉक्टरों ने कोविड महामारी को ध्यान में रखते हुए मरीज को पीपीई किट व एन-95 मास्क पहना कर उसका प्राथमिक परीक्षण व उपचार किया। जिसमें पता चला कि उसके सांस की नली (ट्रैकिया) व आहार नाल कट गई है। तुरंत मरीज की कोविड जांच कराई गई। इसके बाद डॉक्टरों ने बिना समय गंवाए जख्म वाले स्थान से सांस लेने के लिए नली डाल दी। फिर आनन-फानन में उसका जटिल ऑपरेशन किया गया अब मरीज स्वस्थ है और घर जाने को तैयार है।
बलरामपुर के रतोही गांव निवासी रिंकू तिवारी पुत्र छोटे लाल तिवारी को 10 सितंबर को सुबह करीब 10.30 बजे ट्रामा सेंटर लाया गया था। जहां डॉ. संदीप तिवारी, डॉ. समीर मिश्रा, डॉ. यादवेन्द्र की टीम ने इमरजेंसी में ऑपरेशन करने का निर्णय लिया। मगर यह प्रक्रिया एयरोसॉल जनरेटिंग थी, जिससे कोरोना का खतरा हो सकता था। मगर डॉ. यादवेन्द्र धीर ने कोविड का खतरा उठाते हुए ट्रैकियोस्टोमी किया। बीच-बीच में मरीज की हालत ज्यादा अस्थिर होने पर कुछ समय के लिए ऑपरेशन टाल कर दवाओं से मरीज को सामान्य स्थिति में लाया गया। फिर भर्ती की तारीख को ही दोपहर करीब साढ़े 12 बजे जटिल ऑपरेशन की शुरुआत की।
चार डॉक्टरों की टीम ने किया तीन घंटे जटिल ऑपरेशन:
ट्रामा सर्जरी के सीनियर रेजिडेंट डॉ. हर्षित अग्रवाल और उक्त डॉक्टरों की टीम ने मिलकर तीन घंटे तक जटिल ऑपरेशन किया। इस दौरान सांस की नली, आहार नली, मांशपेशियों व खून की धमनियों को रिपेयर किया गया। फिर सात घंटे तक मरीज की मॉनीटरिंग की गई। अभी मरीज ट्रैकियोस्टोमी पर है, लेकिन जख्म भर जाने से पूरी तरह घर जाने के लिए फिट है।
मरीज को लगे दो दर्जन टांके:
डॉक्टर संदीप तिवारी ने बताया की मरीज के सांस की नली व आहार नाल कट जाने की वजह से उसकी हालत बहुत ही ज्यादा गंभीर हो गई थी। ऐसे मरीजों के बचने का चांस बहुत कम होता है। पहले मरीज को सांस लेने के लिए जख्म वाले स्थान से अलग नली डाली गई। उसके बाद आहार नाल को रिपेयर किया गया। फिर मांसपेशियों व रक्त की शिराओं की मरम्मत की गई। यह सब कार्य बहुत ही सूक्ष्म वह बारीक उपकरणों की मदद से किया गया। इस दौरान मरीज को करीब दो दर्जन टांके भी लगाए गए। उन्होंने बताया कि पहले भी इस तरह के कई जटिल ऑपरेशन केजीएमयू में किए जा चुके हैं।